भरतपुर. पूर्व राज परिवार का पारिवारिक विवाद गहरा गया है. पूर्व राज परिवार सदस्य एवं पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह और बेटे अनिरुद्ध सिंह पर मारपीट करने, खाना नहीं देने, घर छोड़ने को मजबूर करने के गंभीर आरोप लगाए हैं. विश्वेंद्र सिंह ने वरिष्ठ नागरिक के रूप में उपखंड अधिकारी के ट्रिब्यूनल में प्रार्थना पत्र पेश कर ये आरोप लगाए हैं.
वहीं, रविवार को दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह ने विश्वेंद्र सिंह पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने बीते 30 साल में महाराजा सूरज की पूरी संपत्ति बेच दी. सिर्फ एक मोतीमहल बचा है. दिव्या सिंह ने कहा है कि मैं मरते दम तक मोतीमहल को बचाऊंगी. साथ ही उन्होंने कहा कि 30 साल में मेरे साथ क्या हुआ, अगर मैंने ये बता दिया तो ऐसा ना हो सुप्रीम कोर्ट तक केस पहुंच जाए.
कपड़े फाड़ दिए, आना-जाना बंद कर दिया-विश्वेंद्र सिंह के आरोप: विश्वेंद्र सिंह ने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि कई अवसरों पर उनकी पत्नी और बेटे ने उनके कपड़े फाड़ दिए, कुंए में फेंक दिए और जला दिए. उनके साथ बगावत का रवैया अपनाकर दुर्व्यवहार व उत्पीड़न शुरू कर दिया. उपयोगी कागज, रिकॉर्ड कुएं में फेंक दिए, कमरे का उपयोगी सामान फेंक दिया, अपशब्द, गंदी भाषा का इस्तेमाल कर बेइज्जत किया. चश्मा जबरन छुड़ाकर तोड़ दिया. रसोइए से समय पर खाना, चाय पानी देना बंद करवा दिया. मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया और बाहर आना-जाना बंद कर दिया. क्षेत्र से मिलने आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया.
विश्वेंद्र सिंह ने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि इस कारण उनका अपने निवास पर रह पाना मुश्किल हो गया. उत्पीड़न की पराकाष्ठा तब हुई, जब बेटे और पत्नी ने उनके साथ मारपीट शुरू कर दी और एक कमरे तक सीमित कर दिया. अपरार्थिगण का मंतव्य सामने आया कि पीड़ित की जीवनलीला समाप्त हो जाए और पूर्ण संपत्ति को हड़प कर खुर्द बुर्द कर दें. तभी से इधर उधर खानाबदोश की तरह रहना पड़ रहा है. कुछ समय जयपुर स्थित सरकारी आवास पर रहे और उसके बाद विभिन्न होटलों में असुविधापूर्वक रह रहे हैं.
कीमती वस्तुओं को खुर्द बुर्द करने का आरोप: विश्वेंद्र सिंह ने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि जब वो घर छोड़कर आए थे, तो घर व स्टोर में बेशकीमती ट्रॉफी, बहुमूल्य वस्तुएं, एंटीक आइटम, पूर्वजों की बेशकीमती फोटोग्राफ छोड़े थे, जिनकी कीमत करोड़ों रुपए है. ये सब बेटे और पत्नी के कब्जे में है. आरोप है कि उन्होंने कुछ वस्तुओं को बेच दिया या खुर्द बुर्द कर दिया.
विश्वेंद्र सिंह ने प्रार्थना पत्र में लिखा है कि बेटा और पत्नी ने इंस्टाग्राम, फेसबुक और मोबाइल मैसेज के माध्यम से टिप्पणी कर प्रार्थी को बेइज्जत किया है और उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाया है. कटुतम संबंधों को देखते हुए प्रार्थी का उनके साथ रह पाना संभव नहीं है. अपार्थीगन कभी भी प्रार्थी को कोई भी क्षति पहुंचा सकते हैं यहां तक की जीवन को भी खतरा पैदा हो गया है. ऐसे में बेटा व पत्नी से 5 लाख रुपए प्रति माह भरण पोषण भत्ता दिलाया जाए. मोती महल, कोठी दरबार निवास, सूरज महल, गोल बाग परिसर स्थित सभी भवन, मंदिर, देवालय आदि का कब्जा प्रार्थी को दिलाया जाए.
दिव्या सिंह और अनिरुद्ध सिंह के आरोप: अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि पिता विश्वेंद्र सिंह ने बीते 30 साल में महाराजा सूरजमल के समय की पैतृक संपत्ति को बेचा है. हमारे जाली हस्ताक्षर किए. चाहे आगरा का हरी पर्वत हो, गोवर्धन की छतरियां हों या पुष्कर की संपत्ति. हम इनसे संबंधित सभी दस्तावेज एसडीएम के समक्ष पेश करेंगे. जब सरदार पटेल ने भरतपुर रियासत का एकीकरण किया तब महाराजा सूरजमल की कितनी संपत्ति थी और आज कितनी सी रह गई है. 1995 से लगातार पैतृक संपत्ति बेची जा रही है. दिल्ली, आगरा की संपत्ति, मथुरा का मंदिर, पुष्कर की संपत्ति, अंतिम संस्कार की जगह वाली छतरियां चली गईं.
दिव्या सिंह ने कहा कि पता नहीं हम जब मर जाएंगे, तो हमारा अंतिम संस्कार कहां किया जाएगा क्योंकि जगह तो बेच दी. मथुरा में एक कोठी थी, सुना है उसमें कोई तांत्रिक रहता है. यदि हम आर्थिक उन्नति कर रहे हैं, तो इसमें उनका क्या है. उनसे तो नहीं मांग रहे. ये मामला सिर्फ हमारा उत्पीड़न करने के लिए किया गया है. अनिरुद्ध ने कहा कि ये कोठी इजलास खास का बार-बार जिक्र करते हैं. जबकि ये संपत्ति मेरी मां यानी दिव्या सिंह के नाम है. उस पर कोई स्टे नहीं है. ये लोगों को बहकाने का प्रयास है.
अनिरुद्ध ने कहा कि ये लोग हमें बदनाम कर रहे हैं. इनके पास तो कोई काम नहीं है. हमें अपना परिवार, काम, समाज सब देखना है. अनिरुद्ध ने कहा कि किसी दिन मेरी मां दिव्या सिंह प्रेसवार्ता करेंगी और बताएंगी कि पिता पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपने पिता के साथ क्या किया. तब देखेंगे ये किस फोरम (मंच) में जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट तक केस ना पहुंच जाए: दिव्या सिंह ने अपने पति विश्वेंद्र सिंह को लेकर कहा कि मैंने 30 साल में कभी मुंह नहीं खोला. अगर मैंने बता किया कि 30 साल में मेरे साथ क्या हुआ है, तो ऐसा ना हो सुप्रीम कोर्ट तक केस पहुंच जाए. मैंने तो कभी एक शब्द नहीं बोला और वहां से इल्जाम पर इल्जाम लगाए जा रहे हैं. दिव्या सिंह ने अनिरुद्ध सिंह को लेकर कहा कि यदि कोई बेटा अपनी मां की रक्षा कर रहा है, तो वो बहुत अच्छा बेटा है. मेरे साथ अन्याय, अत्याचार होता है, तो मेरा बेटा मेरे साथ खड़ा होता है. मेरे बेटे ने मेरे साथ अत्याचार होते देखा है. हर औरत को ऐसा बेटा मिले जो अपनी मां पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाए. हम तो अकेले रहते हैं. हमारे ऊपर कोई हमला कर दे, तो मेरे पास तो बेटे के सिवा कोई नहीं. मैंने बिगड़ा हुआ घर संभाला है और आज मेरे ऊपर इल्जाम लगाए जा रहे हैं.
सब कुछ बेच दिया, एक मोती महल बचा है: दिव्या सिंह ने कहा कि पूरा मसला तब शुरू हुआ जब मोती महल बिक रहा था. नहीं तो कोई मसला ही नहीं था. जब मोती महल को बचाया गया, तो मसला शुरू हो गया. सब कुछ बेच दिया, एक मोतीमहल बचा है. मैं मरते दम तक मोती महल बचाऊंगी, चाहे कुछ भी हो जाए.
अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि इस मामले में हमारी तरफ से हर सुनवाई पर हमारा वकील पहुंचा है, लेकिन उनकी तरफ से कोई नहीं आता. यहां तक कि एसडीएम पर भी दबाव बनाया जाता है. साथ ही पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह तीन साल दो माह से मोतीमहल में नहीं रह रहे. उससे पहले ये खुद कैबिनेट मंत्री थे. ऐसे में उनके साथ मारपीट का कोई सवाल ही नहीं उठता. फिर भी यदि उनके साथ ऐसा कुछ हुआ था, तो पुलिस में मामला दर्ज क्यों नहीं कराया. कुल मिलकर सभी आरोप झूठे हैं.