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पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन, राष्ट्रपति मुर्मू, PM मोदी समेत दिग्गजों ने दुख जताया - Natwar Singh no more

Former foreign minister Natwar Singh no more: पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन हो गया. वह 93 वर्ष के थे. वह पिछले कुछ समय से बीमार थे और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था.

Former foreign minister Natwar Singh
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का निधन (फाइल फोटो) (IANS)
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By PTI

Published : Aug 11, 2024, 7:01 AM IST

नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 93 वर्ष के थे. पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन्होंने दिल्ली के निकट गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां वह पिछले कुछ सप्ताह से भर्ती थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दिग्गजों ने नटवर सिंह के निधन पर दुख जताया.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोशल मीडिया पर कहा,'पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री के. नटवर सिंह के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ. अपने लंबे करियर में उन्होंने कई भूमिकाए निभाई, एक प्रतिष्ठित राजनयिक से लेकर एक उत्कृष्ट सांसद तक. वे पद्म भूषण से सम्मानित एक प्रसिद्ध साहित्यकार भी थे. उनके परिवार, मित्रों और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं.'

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ट्वीट किया, 'के. नटवर सिंह के निधन से बहुत दुख हुआ. उन्होंने विदेश मंत्री सहित विभिन्न पदों पर रहते हुए देश की सेवा की. वह एक बड़े लेखक और प्रतिष्ठित इतिहासकार थे. उन्होंने हमेशा जीने और योगदान देने का उत्साह दिखाया. हमारे साहित्य जगत और सार्वजनिक जीवन में नटवर सिंह जी के अद्वितीय योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने ट्वीट किया, 'नटवर सिंह के निधन से दुखी हूं. उन्होंने कूटनीति और विदेश नीति की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह अपनी बुद्धिमत्ता के साथ-साथ अपने लेखन के लिए भी जाने जाते थे. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं.'

नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था. वे एक पेशेवर राजनयिक थे, जिन्होंने कूटनीति के क्षेत्र में अपने राजनीतिक जीवन में बहुत अनुभव प्राप्त किया और महाराजा के जीवन से लेकर विदेशी मामलों की बारीकियों तक के विषयों पर एक अनुभवी लेखक थे.

अपने प्रतिष्ठित करियर के दौरान, उन्होंने अनेक भूमिकाएं निभाईं और राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए पूर्व विदेश मंत्री को 1984 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. शनिवार देर रात एक पारिवारिक सूत्र ने बताया, 'उनका बेटा अस्पताल में है और उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक राज्य से कई और परिवार के सदस्य दिल्ली आ रहे हैं.'

वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे. सूत्र ने बताया कि शनिवार देर रात उनका निधन हो गया. पूर्व कांग्रेस सांसद सिंह, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-I सरकार के दौरान 2004-05 की अवधि के लिए भारत के विदेश मंत्री थे. उन्होंने पाकिस्तान में राजदूत के रूप में भी कार्य किया तथा 1966 से 1971 तक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे.

वरिष्ठ राजनेता रणदीप सुरजेवाला ने एक पोस्ट में पूर्व विदेश मंत्री को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हिंदी में लिखा, 'पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह जी के निधन की खबर दुखद है. ईश्वर उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दे और दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे.' उन्होंने सिंह की एक तस्वीर भी पोस्ट की. सिंह ने कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें 'द लिगेसी ऑफ नेहरू, ए मेमोरियल ट्रिब्यूट' और 'माई चाइना डायरी 1956-88' शामिल हैं. उनकी आत्मकथा का नाम 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' है.

ये भी पढ़ें- 'कैप्टन से BJP को होगा फायदा, राजस्थान-छत्तीसगढ़ से भी जा सकती है कांग्रेस सरकार'

नई दिल्ली: पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 93 वर्ष के थे. पारिवारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन्होंने दिल्ली के निकट गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां वह पिछले कुछ सप्ताह से भर्ती थे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दिग्गजों ने नटवर सिंह के निधन पर दुख जताया.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोशल मीडिया पर कहा,'पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री के. नटवर सिंह के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ. अपने लंबे करियर में उन्होंने कई भूमिकाए निभाई, एक प्रतिष्ठित राजनयिक से लेकर एक उत्कृष्ट सांसद तक. वे पद्म भूषण से सम्मानित एक प्रसिद्ध साहित्यकार भी थे. उनके परिवार, मित्रों और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं.'

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ट्वीट किया, 'के. नटवर सिंह के निधन से बहुत दुख हुआ. उन्होंने विदेश मंत्री सहित विभिन्न पदों पर रहते हुए देश की सेवा की. वह एक बड़े लेखक और प्रतिष्ठित इतिहासकार थे. उन्होंने हमेशा जीने और योगदान देने का उत्साह दिखाया. हमारे साहित्य जगत और सार्वजनिक जीवन में नटवर सिंह जी के अद्वितीय योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने ट्वीट किया, 'नटवर सिंह के निधन से दुखी हूं. उन्होंने कूटनीति और विदेश नीति की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह अपनी बुद्धिमत्ता के साथ-साथ अपने लेखन के लिए भी जाने जाते थे. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं.'

नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था. वे एक पेशेवर राजनयिक थे, जिन्होंने कूटनीति के क्षेत्र में अपने राजनीतिक जीवन में बहुत अनुभव प्राप्त किया और महाराजा के जीवन से लेकर विदेशी मामलों की बारीकियों तक के विषयों पर एक अनुभवी लेखक थे.

अपने प्रतिष्ठित करियर के दौरान, उन्होंने अनेक भूमिकाएं निभाईं और राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए पूर्व विदेश मंत्री को 1984 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. शनिवार देर रात एक पारिवारिक सूत्र ने बताया, 'उनका बेटा अस्पताल में है और उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक राज्य से कई और परिवार के सदस्य दिल्ली आ रहे हैं.'

वह पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे. सूत्र ने बताया कि शनिवार देर रात उनका निधन हो गया. पूर्व कांग्रेस सांसद सिंह, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-I सरकार के दौरान 2004-05 की अवधि के लिए भारत के विदेश मंत्री थे. उन्होंने पाकिस्तान में राजदूत के रूप में भी कार्य किया तथा 1966 से 1971 तक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे.

वरिष्ठ राजनेता रणदीप सुरजेवाला ने एक पोस्ट में पूर्व विदेश मंत्री को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हिंदी में लिखा, 'पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह जी के निधन की खबर दुखद है. ईश्वर उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दे और दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे.' उन्होंने सिंह की एक तस्वीर भी पोस्ट की. सिंह ने कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें 'द लिगेसी ऑफ नेहरू, ए मेमोरियल ट्रिब्यूट' और 'माई चाइना डायरी 1956-88' शामिल हैं. उनकी आत्मकथा का नाम 'वन लाइफ इज नॉट इनफ' है.

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