ETV Bharat / bharat

बांग्लादेश के हालात पर पूर्व राजदूत जी. पार्थसारथी बोले, 'भारत को चिंतित होने की जरूरत' - political landscape in Dhaka

Former Diplomat G Parthasarathy, भारतीय सेना के पूर्व राजनयिक और कमीशन प्राप्त अधिकारी जी. पार्थसारथी ने ढाका की परिस्थितियों को चुनौतीपूर्ण बताया. उन्होंने ढाका में राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने वाले कट्टरपंथी समूहों की संभावना के प्रति आगाह किया और कहा कि भारत को चिंतित होने की जरूरत है. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

India needs to be concerned about the situation in Bangladesh
बांग्लादेश के हालात पर भारत को चिंतित होने की जरूरत (AP-ANI)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 5, 2024, 5:26 PM IST

Updated : Aug 5, 2024, 5:57 PM IST

नई दिल्ली : सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने के साथ ही देश छोड़ दिया है.स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाने के बाद अंतरिम सैन्य सरकार की स्थापना की गई है. इस बीच, सेना प्रमुख वकर-उज-ज़मान ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए पुष्टि की कि सेना ने ढाका पर कब्ज़ा कर लिया है. उन्होंने लोगों से सहयोग करने और हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया. स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भारतीय सेना के पूर्व राजनयिक और कमीशन प्राप्त अधिकारी जी पार्थसारथी ने ढाका में चुनौतियों को स्वीकार किया तथा साझी सीमा, बंगाल की खाड़ी में आपसी हितों और पूर्वोत्तर राज्यों पर प्रभाव के कारण बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों के महत्व पर बल दिया.

उन्होंने स्थिति पर भारत की करीबी निगरानी के महत्व पर बल दिया तथा सैन्य हस्तक्षेप की संभावना पर प्रश्न उठाया. हिंसा पर वर्तमान नियंत्रण के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने अशांति से निपटने के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने का भी आग्रह किया. जब उनसे संभावित भू-राजनीतिक प्रभावों, विशेषकर भारत के बारे में पूछा गया, तो पार्थसारथी ने बांग्लादेश की ऐतिहासिक सामाजिक जटिलताओं को पहचाना तथा स्थिरता बनाए रखने के लिए सतत प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया.

उन्होंने कट्टरपंथी समूहों द्वारा राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने की संभावना पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत को इस बारे में चिंतित होने की आवश्यकता है, क्योंकि इससे सांप्रदायिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जो भारत में भी फैल सकती हैं. पूर्व राजदूत ने रचनात्मक, दूरदर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया तथा आशा व्यक्त की कि सभी संबंधित पक्षों के लाभ के लिए स्थिति का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जाएगा.

बांग्लादेश में पिछले महीने छात्र समूहों द्वारा सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग के बाद से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा हो रही है. यह अभियान हसीना को हटाने के लिए चलाया गया, जिन्होंने जनवरी में विपक्ष द्वारा बहिष्कार किए गए चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल की थी. रविवार को 170 मिलियन की आबादी वाले देश में हिंसा से 300 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. वहीं पुलिस ने हजारों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं. इस बीच, चल रहे घटनाक्रम को देखते हुए, भारत ने रविवार, 4 अगस्त को बांग्लादेश में अपने नागरिकों के लिए अपनी सलाह को एडवाइजरी जारी की थी. इसमें वर्तमान घटनाक्रम को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक बांग्लादेश की यात्रा नहीं करने की सलाह दी गई है.

बांग्लादेश में वर्तमान में सभी भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतने, अपनी गतिविधियों को सीमित करने और अपने आपातकालीन फोन नंबरों +8801958383679 +8801958383680 +8801937400591 के माध्यम से ढाका में भारतीय उच्चायोग के संपर्क में रहने की सलाह दी गई है. पिछले कुछ हफ्तों में हिंसा भड़कने के बाद से 8000 से अधिक भारतीय छात्र बांग्लादेश छोड़ चुके हैं. प्रधानमंत्री हसीना जनवरी 2009 से लगातार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं. वह दुनिया की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली मुस्लिम महिला नेता हैं जिनका कार्यकाल अंततः समाप्त हो गया है.

भारत-बांग्लादेश संबंध

भारत और बांग्लादेश के बीच बहुआयामी और गतिशील संबंध हैं, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक संबंधों पर आधारित हैं. भारत ने 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और सैन्य सहायता प्रदान की थी, जिससे बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद मिली थी. इसके अलावा भारत बांग्लादेश के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है.

इसी वजह से द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, दोनों देशों को विभिन्न समझौतों के तहत टैरिफ रियायतों और शुल्क-मुक्त पहुंच से लाभ हुआ है. भारतीय कंपनियों ने बांग्लादेश में दूरसंचार, ऊर्जा और विनिर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश किया है. कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं, जैसे सड़क, रेल और जलमार्ग संपर्क का विकास. दोनों देशों के बीच मैत्री एक्सप्रेस (ट्रेन) और बस सेवाएं इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं. भारत बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति करता है तथा बिजली उत्पादन में संयुक्त उद्यम भी हैं.

दोनों देश आतंकवाद-रोधी और सीमा पर विद्रोही गतिविधियों से निपटने सहित सुरक्षा मुद्दों पर निकटता से सहयोग करते हैं. यद्यपि सीमा विवाद रहे हैं तथापि हाल के वर्षों में भूमि सीमा समझौते (2015) की तरह एग्रीमेंट के माध्यम से इन मुद्दों को सुलझाने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. बता दें कि बांग्लादेश और भारत 4,096 किलोमीटर (2,545 मील) लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं. यह दुनिया की पांचवीं सबसे लंबी भूमि सीमा है, जिसमें असम में 262 किमी (163 मील), त्रिपुरा में 856 किमी (532 मील), मिजोरम में 318 किमी (198 मील), मेघालय में 443 किमी (275 मील) और पश्चिम बंगाल में 2,217 किमी (1,378 मील) शामिल हैं.

ये भी पढ़ें

नई दिल्ली : सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने के साथ ही देश छोड़ दिया है.स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाने के बाद अंतरिम सैन्य सरकार की स्थापना की गई है. इस बीच, सेना प्रमुख वकर-उज-ज़मान ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए पुष्टि की कि सेना ने ढाका पर कब्ज़ा कर लिया है. उन्होंने लोगों से सहयोग करने और हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया. स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भारतीय सेना के पूर्व राजनयिक और कमीशन प्राप्त अधिकारी जी पार्थसारथी ने ढाका में चुनौतियों को स्वीकार किया तथा साझी सीमा, बंगाल की खाड़ी में आपसी हितों और पूर्वोत्तर राज्यों पर प्रभाव के कारण बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों के महत्व पर बल दिया.

उन्होंने स्थिति पर भारत की करीबी निगरानी के महत्व पर बल दिया तथा सैन्य हस्तक्षेप की संभावना पर प्रश्न उठाया. हिंसा पर वर्तमान नियंत्रण के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने अशांति से निपटने के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने का भी आग्रह किया. जब उनसे संभावित भू-राजनीतिक प्रभावों, विशेषकर भारत के बारे में पूछा गया, तो पार्थसारथी ने बांग्लादेश की ऐतिहासिक सामाजिक जटिलताओं को पहचाना तथा स्थिरता बनाए रखने के लिए सतत प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया.

उन्होंने कट्टरपंथी समूहों द्वारा राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करने की संभावना पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत को इस बारे में चिंतित होने की आवश्यकता है, क्योंकि इससे सांप्रदायिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जो भारत में भी फैल सकती हैं. पूर्व राजदूत ने रचनात्मक, दूरदर्शी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया तथा आशा व्यक्त की कि सभी संबंधित पक्षों के लाभ के लिए स्थिति का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जाएगा.

बांग्लादेश में पिछले महीने छात्र समूहों द्वारा सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग के बाद से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा हो रही है. यह अभियान हसीना को हटाने के लिए चलाया गया, जिन्होंने जनवरी में विपक्ष द्वारा बहिष्कार किए गए चुनाव में लगातार चौथी बार जीत हासिल की थी. रविवार को 170 मिलियन की आबादी वाले देश में हिंसा से 300 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. वहीं पुलिस ने हजारों प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं. इस बीच, चल रहे घटनाक्रम को देखते हुए, भारत ने रविवार, 4 अगस्त को बांग्लादेश में अपने नागरिकों के लिए अपनी सलाह को एडवाइजरी जारी की थी. इसमें वर्तमान घटनाक्रम को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक बांग्लादेश की यात्रा नहीं करने की सलाह दी गई है.

बांग्लादेश में वर्तमान में सभी भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सावधानी बरतने, अपनी गतिविधियों को सीमित करने और अपने आपातकालीन फोन नंबरों +8801958383679 +8801958383680 +8801937400591 के माध्यम से ढाका में भारतीय उच्चायोग के संपर्क में रहने की सलाह दी गई है. पिछले कुछ हफ्तों में हिंसा भड़कने के बाद से 8000 से अधिक भारतीय छात्र बांग्लादेश छोड़ चुके हैं. प्रधानमंत्री हसीना जनवरी 2009 से लगातार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं. वह दुनिया की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली मुस्लिम महिला नेता हैं जिनका कार्यकाल अंततः समाप्त हो गया है.

भारत-बांग्लादेश संबंध

भारत और बांग्लादेश के बीच बहुआयामी और गतिशील संबंध हैं, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक संबंधों पर आधारित हैं. भारत ने 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और सैन्य सहायता प्रदान की थी, जिससे बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद मिली थी. इसके अलावा भारत बांग्लादेश के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है.

इसी वजह से द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, दोनों देशों को विभिन्न समझौतों के तहत टैरिफ रियायतों और शुल्क-मुक्त पहुंच से लाभ हुआ है. भारतीय कंपनियों ने बांग्लादेश में दूरसंचार, ऊर्जा और विनिर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश किया है. कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं, जैसे सड़क, रेल और जलमार्ग संपर्क का विकास. दोनों देशों के बीच मैत्री एक्सप्रेस (ट्रेन) और बस सेवाएं इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं. भारत बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति करता है तथा बिजली उत्पादन में संयुक्त उद्यम भी हैं.

दोनों देश आतंकवाद-रोधी और सीमा पर विद्रोही गतिविधियों से निपटने सहित सुरक्षा मुद्दों पर निकटता से सहयोग करते हैं. यद्यपि सीमा विवाद रहे हैं तथापि हाल के वर्षों में भूमि सीमा समझौते (2015) की तरह एग्रीमेंट के माध्यम से इन मुद्दों को सुलझाने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. बता दें कि बांग्लादेश और भारत 4,096 किलोमीटर (2,545 मील) लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं. यह दुनिया की पांचवीं सबसे लंबी भूमि सीमा है, जिसमें असम में 262 किमी (163 मील), त्रिपुरा में 856 किमी (532 मील), मिजोरम में 318 किमी (198 मील), मेघालय में 443 किमी (275 मील) और पश्चिम बंगाल में 2,217 किमी (1,378 मील) शामिल हैं.

ये भी पढ़ें

Last Updated : Aug 5, 2024, 5:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.