देहरादून: उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं में आग का तांडव लगातार जारी है. आलम यह है कि आग बुझाने के लिए वायु सेवा के बाद एनडीआरएफ की सहायता लेनी पड़ रही है. इस बार वनाग्नि की घटनाएं सबसे अधिक कुमाऊं क्षेत्र में देखी जा रही हैं. अलग-अलग स्थान पर 28 अप्रैल तक 606 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. 29 अप्रैल शाम 4 बजे तक प्रदेश में कुल 47 घटनाएं हुई हैं. इनमें गढ़वाल में 16, कुमाऊं में 30 और वन्यजीव क्षेत्र में एक घटना रिकॉर्ड की गई है.
आज 1,53, 451 की आर्थिक क्षति: 29 अप्रैल शाम 4 बजे तक प्रदेश में फॉरेस्ट फायर से कुल 78.2825 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. फॉरेस्ट फायर से आज 1,53, 451 का नुकसान हुआ है. वनाग्नि की घटनाओं को देखते हुए अब तक 196 लोगों पर केस दर्ज किया गया है. जिसमें 29 लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज किया गया है. अज्ञात में 173 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किये गये हैं.
रिहायशी इलाकों तक पहुंच रही फॉरेस्ट फायर: उत्तराखंड में लगातार आग की घटनाएं रिहायशी इलाके तक पहुंच रही हैं. आग की लपटें वन संपदा के साथ ही घरों, इमारत, सेना के ठिकाने और धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचा रही हैं. शनिवार और रविवार को कई इलाकों में हुई बारिश के बाद उम्मीद यही जताई जा रही थी कि अब आज की घटना में कमी आएगी, लेकिन कई इलाकों में हुई बारिश के बाद भी राहत नहीं मिली. वन विभाग ने आग की तेजी से हो रही घटनाओं को देखते हुए अपने कर्मचारियों के साथ-साथ फायर ब्रिगेड और एनडीआरफ की मांग की है. इसके साथ ही वायु सेना का एमआई 17 की मदद भी आग बुझाने के लिए ली गई. उसके बाद अब एनडीआरएफ के 40 जवानों ने नैनीताल और उसके आसपास मोर्चा संभाला है.
आग की लपटों में कुमाऊं की फेमस जगहें: कुमाऊं में सबसे अधिक फाॉरेस्ट फायर की घटनाएं हुई हैं. कुमाऊं में 333, गढ़वाल में 220 वनाग्नि की घटनाएं अब तक रिकॉर्ड की गई हैं. आग की विकरालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कौसानी के आर्मी कैंप तक आग की लपटें पहुंच गई. इसके साथ ही पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध सीराकोट मंदिर के पास भी आग लगने की घटना से लोग चिंतित हैं. चंपावत के मरोड़ा खान मार्ग पर आग की लपटें देखकर लोग दहशत में हैं. इसके साथ ही पूर्णागिरि मेले परिसर में टैक्सी स्टैंड के पास वनाग्नि ने तांडव दिखाया. बागेश्वर के जंगल भी धूं धू कर जल रहे हैं. उत्तराखंड में कई स्कूलों, कॉलेजों के परिसर तक भी वनाग्नि पहुंची है.चंपावत में भी एक खाली पड़े मकान को भी आग ने अपनी चपेट में ले लिया. बागेश्वर में भी सूखे चारे में आग लगने से अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया था.
NDRF के 40 जवानों की तैनाती, 10 साल का आंकड़ा भी चिंताजनक:कुमाऊं में धधकते जंगलों की आग को देखते हुए एनडीआरएफ के जवानों 30 को भवाली रेंज में तैनात किया गया है. 10 जवानों को मनोरा में तैनात किया गया है. इसके साथ ही आग बुझाने के लिए 250 कर्मचारियों को नैनीताल के आसपास वन विभाग ने तैनात किया है. 300 फायर वॉचर भी तैनात किये गये हैं. आंकड़े बताते हैं कि नैनीताल और खासकर नैनीताल के आसपास के इलाकों में वनाग्नि की घटनाएं हमेशा से ही विकराल रूप लेती हैं. वन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक बीते 10 सालों में 14000 से अधिक बार नैनीताल और आसपास के जंगलों में आग की घटनाएं हुई हैं. इसमें 23000 हेक्टेयर से अधिक का क्षेत्रफल वनाग्नि की चपेट में आया है. इतना ही नहीं इन घटनाओं में 17 लोगों की मौत भी हुई है. साल 2014 से लेकर साल 2023 तक ही सबसे ज्यादा आग की घटनाएं नैनीताल जिले में ही रिकॉर्ड की गई हैं. जिसमें 2021 में 2183 घटनाएं सबसे अधिक हैं.
अपर वन प्रमुख संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया 'वर्तमान समय में कई जगहों पर बारिश के कारण आग शांत हुई है. कई जगहों पर कर्मचारियों ने आग पर काबू पाया है. उन्होंने बताया जैसे जैसे फॉरेस्ट फायर की सूचनाएं मिल रही हैं वैसे-वैसे काम किया जा रहा है. उम्मीद है कि अब अग्नि की घटनाओं में कमी आएगी. उन्होंने कहा हम लगातार ऐसे लोगों पर भी कार्रवाई कर रहे हैं जो इस आग की घटनाओं में शामिल हैं. इसके लिए ग्रामीण स्तर पर भी लोगों से संपर्क साधा जा रहा है'.
क्या है वन विभाग का एक्शन प्लान: दरअसल गढ़वाल और कुमाऊं के ऊपरी हिस्सों में कभी फायर लाइन हुआ करती थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे साफ नहीं किया जा सका. पर्यावरण को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट हमेशा से कई तरह के फैसले देता है. लिहाजा गढ़वाल और कुमाऊं के ऊपरी क्षेत्र में 100 फीट लंबी फायर लाइन बनाई गई है. अब उस फायर लाइन पर पेड़ पौधे उग आने की वजह से आग विकराल रूप धारण कर रही है. जंगलों को आग से बचने के लिए फायर लाइन तैयार इसलिए की जाती थी ताकि जंगल के बीचों-बीच से एक ऐसा मार्ग निकले जहां पर किसी तरह का कोई पौधा पत्ता या पेड़ न हो. अगर एक हिस्से में आग लगती थी तो वह दूसरे हिस्से में नहीं पहुंच पाती. अब वन विभाग में सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद इस फायर लाइन को साफ करवाने और दुरुस्त करने का काम भी शुरू कर दिया है. अभी यह काम इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि जंगलों में आग की घटनाएं लगातार हो रही हैं. आगे जैसे ही फॉरेस्ट फायर की घटनाओं में कमी आएगी, इस एक्शन प्लान पर काम किया जाएगा.
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