ETV Bharat / bharat

हाथियों के इस डेढ़ दांत वाले 'लीडर' से हरिद्वार परेशान, इसके इशारे पर शहर में मचा है उत्पात, अब होगी स्टडी

डेढ़ दांत वाले एक हाथी ने पूरे हरिद्वार शहर की नाक में दम कर रखा है. इस हाथी ने अन्य हाथियों को भी बिगाड़ दिया.

Etv Bharat
हरिद्वार में हाथियों का आतंक (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 29, 2024, 7:28 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के राजाजी और कॉर्बेट नेशनल पार्क को एशिया में हाथियों का दूसरा बड़ा घर कहा जाता है. उत्तराखंड के दोनों नेशलन पार्कों में दो हजार से ज्याद हाथी मौजूद हैं. खास तौर पर हरिद्वार के राजाजी नेशनल पार्क में तो हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक इन हाथियों को देखने आते हैं. लेकिन आजकल हाथियों ने वन विभाग के साथ-साथ हरिद्वार के लोगों की मुश्किलें भी बढ़ा रखी हैं. परेशानी का बड़ा कारण एक डेढ़ दांत वाला हाथी है, जिसने जंगल के बहुत सारे हाथियों को 'बिगाड़' दिया है.

दरअसल, राजाजी नेशनल पार्क में हाथियों ने एक टोली बना ली है, जिसका लीडर डेढ़ दांत वाला एक हाथी है. हाथियों की पूरी टोली को ये डेढ़ दांत वाला हाथी लीड कर रहा है. समस्या ये है कि इस डेढ़ दांत वाले हाथी की संगत में आने वाले छोटे हाथी भी 'बिगड़' रहे हैं. हालांकि, ये वजह थोड़ी अजीब लग सकती है कि कैसे एक जानवर दूसरे जानवर को बिगाड़ सकता है. लेकिन वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो ये बात राजाजी नेशनल पार्क के इस डेढ़ दांत वाले हाथी पर सही साबित होती है.

हरिद्वार एनएच पर बढ़ेडी राजपुतान में आ धमका हाथी (Video-ETV Bharat)

साल 2024 में हाथियों की मूवमेंट शहर की तरफ बढ़ी: हरिद्वार वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो साल 2024 से पहले 2 से 3 हाथी ही हरिद्वार शहर की तरफ आते थे, वो भी कभी-कभी. लेकिन साल 2024 से तो हाथियों का बड़ा झुंड आए दिन शहर में आने लगा है. इस हाथी गैंग ने अब शहर में रोजाना पहुंचना शुरू कर दिया है.

टोली में हर उम्र के हाथी मौजूद: वन विभाग ने हथियों की इस टोली की बारीकी से अध्ययन भी किया है. वन विभाग की टीम हाथियों के एक-एक मूवमेंट पर नजर रख रही है. वन विभाग की स्टडी में एक बात साफ हुई कि इस ग्रुप में कोई मादा हाथी नहीं, इस टोली में हर उम्र के सिर्फ नर हाथी ही हैं.

हरिद्वार बहादराबाद मार्केट में टहलता दिखा हाथी (Video-ETV Bharat)

पहले जंगल में एक जगह इकट्ठा होते हैं सभी हाथी: हरिद्वार के डीएफओ वैभव कुमार सिंह की मानें तो जब इन हाथियों पर बारीकी से अध्ययन किया गया तो हैरान करने वाली बात निकलकर सामने आई. होता ये है कि पहले जंगल में सभी हाथी एक जगह इकट्ठा होते हैं. उसके बाद हाथियों का ये झुंड नील पर्वत से गंगा को पार करते हुए हरिद्वार शहर और लक्सर के अलग-अलग इलाकों में जाता है.

एक हाथी के पीछे चलता है पूरा झूंड: स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि इस पूरे ग्रुप को एक हाथी ही लीड करता है. वो हाथी जहां जाता है, अन्य हाथी भी उसके पीछे-पीछे वहीं जाते हैं. जब वन विभाग इस हाथी को रिहायशी इलाके में जाने से रोकता है तो अन्य हाथी भी शहर में दाखिल नहीं होते. यानी लीडर हाथी जहां जाएगा, अन्य हाथी भी वहीं पर जाएंगे. वन विभाग ने इस बात को बारीकी से नोटिस किया है कि सारे हाथी लीडर हाथी की बात मान रहे हैं.

haridwar elephant
हाथियों की धमक से खौफजदा लोग (Photo-ETV Bharat)

अपने पुराने रास्ते जानते हैं हाथी: डीएफओ वैभव कुमार सिंह बताते हैं कि हाथी काफी समझदार जानवर होता है. उसकी याददाश्त भी काफी अच्छी होती है. कहा जाता है कि हाथी अपना पुरानी रास्ता कभी नहीं भूलते है. अक्सर हाथी उन्हीं गलियों में जाते हैं, जिन रास्तों को वो पहले से जानते हैं. हाथियों को पता होता है कि कौन सी गली से होकर वो आसानी से गन्ने के खेत में पहुंच सकते हैं, जहां इन्हे पर्याप्त भोजन मिलेगा. गन्ने के खेतों की तलाश में हाथी सुबह जंगलों से निकलते हैं और शाम होते ही वापस अपने ठिकाने पर पहुंच जाते हैं.

haridwar elephant
हरिद्वार में आए दिन दिखाई देती है हाथियों की धमक (Photo-ETV Bharat)

वन विभाग की कोशिश है कि लीडर हाथ की गर्दन पर रेडियो कॉलर लगाया जाए. इससे एक तो हाथी के मूवमेंट की सही जानकारी मिल पाएगी और उसमें होने वाले बदलाव का भी पता चल सकेगा. जल्द ही इस दिशा में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आगे की कार्रवाई करने जा रहा है. डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि हरिद्वार शहर और आसपास के इलाकों में 40 कर्मचारियों की टीम हाथी की मूवमेंट ट्रैक करने में लगा रखी है.

बर्ताव और बदलाव दोनों की जानकारी मिलेगी: वन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि हाथियों को इस तरह बार-बार रिहायशी इलाके में आना सही नहीं है. हाथी आखिर क्यों बार-बार रिहायशी इलाके में आ रहे हैं, इसका पता लगाने के लिए विभाग ने वन मुख्यालय को पत्र लिखा है. उस पत्र में हाथियों पर स्टडी कराने की बात कही गई है, ताकि पता चल सके कि हाथियों के बर्ताव में क्या बदलाव आया है. आखिर अचानक से हाथी जंगल छोड़ शहर का क्यों रुख करने लगे हैं?

पढ़ें---

देहरादून: उत्तराखंड के राजाजी और कॉर्बेट नेशनल पार्क को एशिया में हाथियों का दूसरा बड़ा घर कहा जाता है. उत्तराखंड के दोनों नेशलन पार्कों में दो हजार से ज्याद हाथी मौजूद हैं. खास तौर पर हरिद्वार के राजाजी नेशनल पार्क में तो हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक इन हाथियों को देखने आते हैं. लेकिन आजकल हाथियों ने वन विभाग के साथ-साथ हरिद्वार के लोगों की मुश्किलें भी बढ़ा रखी हैं. परेशानी का बड़ा कारण एक डेढ़ दांत वाला हाथी है, जिसने जंगल के बहुत सारे हाथियों को 'बिगाड़' दिया है.

दरअसल, राजाजी नेशनल पार्क में हाथियों ने एक टोली बना ली है, जिसका लीडर डेढ़ दांत वाला एक हाथी है. हाथियों की पूरी टोली को ये डेढ़ दांत वाला हाथी लीड कर रहा है. समस्या ये है कि इस डेढ़ दांत वाले हाथी की संगत में आने वाले छोटे हाथी भी 'बिगड़' रहे हैं. हालांकि, ये वजह थोड़ी अजीब लग सकती है कि कैसे एक जानवर दूसरे जानवर को बिगाड़ सकता है. लेकिन वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो ये बात राजाजी नेशनल पार्क के इस डेढ़ दांत वाले हाथी पर सही साबित होती है.

हरिद्वार एनएच पर बढ़ेडी राजपुतान में आ धमका हाथी (Video-ETV Bharat)

साल 2024 में हाथियों की मूवमेंट शहर की तरफ बढ़ी: हरिद्वार वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो साल 2024 से पहले 2 से 3 हाथी ही हरिद्वार शहर की तरफ आते थे, वो भी कभी-कभी. लेकिन साल 2024 से तो हाथियों का बड़ा झुंड आए दिन शहर में आने लगा है. इस हाथी गैंग ने अब शहर में रोजाना पहुंचना शुरू कर दिया है.

टोली में हर उम्र के हाथी मौजूद: वन विभाग ने हथियों की इस टोली की बारीकी से अध्ययन भी किया है. वन विभाग की टीम हाथियों के एक-एक मूवमेंट पर नजर रख रही है. वन विभाग की स्टडी में एक बात साफ हुई कि इस ग्रुप में कोई मादा हाथी नहीं, इस टोली में हर उम्र के सिर्फ नर हाथी ही हैं.

हरिद्वार बहादराबाद मार्केट में टहलता दिखा हाथी (Video-ETV Bharat)

पहले जंगल में एक जगह इकट्ठा होते हैं सभी हाथी: हरिद्वार के डीएफओ वैभव कुमार सिंह की मानें तो जब इन हाथियों पर बारीकी से अध्ययन किया गया तो हैरान करने वाली बात निकलकर सामने आई. होता ये है कि पहले जंगल में सभी हाथी एक जगह इकट्ठा होते हैं. उसके बाद हाथियों का ये झुंड नील पर्वत से गंगा को पार करते हुए हरिद्वार शहर और लक्सर के अलग-अलग इलाकों में जाता है.

एक हाथी के पीछे चलता है पूरा झूंड: स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि इस पूरे ग्रुप को एक हाथी ही लीड करता है. वो हाथी जहां जाता है, अन्य हाथी भी उसके पीछे-पीछे वहीं जाते हैं. जब वन विभाग इस हाथी को रिहायशी इलाके में जाने से रोकता है तो अन्य हाथी भी शहर में दाखिल नहीं होते. यानी लीडर हाथी जहां जाएगा, अन्य हाथी भी वहीं पर जाएंगे. वन विभाग ने इस बात को बारीकी से नोटिस किया है कि सारे हाथी लीडर हाथी की बात मान रहे हैं.

haridwar elephant
हाथियों की धमक से खौफजदा लोग (Photo-ETV Bharat)

अपने पुराने रास्ते जानते हैं हाथी: डीएफओ वैभव कुमार सिंह बताते हैं कि हाथी काफी समझदार जानवर होता है. उसकी याददाश्त भी काफी अच्छी होती है. कहा जाता है कि हाथी अपना पुरानी रास्ता कभी नहीं भूलते है. अक्सर हाथी उन्हीं गलियों में जाते हैं, जिन रास्तों को वो पहले से जानते हैं. हाथियों को पता होता है कि कौन सी गली से होकर वो आसानी से गन्ने के खेत में पहुंच सकते हैं, जहां इन्हे पर्याप्त भोजन मिलेगा. गन्ने के खेतों की तलाश में हाथी सुबह जंगलों से निकलते हैं और शाम होते ही वापस अपने ठिकाने पर पहुंच जाते हैं.

haridwar elephant
हरिद्वार में आए दिन दिखाई देती है हाथियों की धमक (Photo-ETV Bharat)

वन विभाग की कोशिश है कि लीडर हाथ की गर्दन पर रेडियो कॉलर लगाया जाए. इससे एक तो हाथी के मूवमेंट की सही जानकारी मिल पाएगी और उसमें होने वाले बदलाव का भी पता चल सकेगा. जल्द ही इस दिशा में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आगे की कार्रवाई करने जा रहा है. डीएफओ वैभव कुमार ने बताया कि हरिद्वार शहर और आसपास के इलाकों में 40 कर्मचारियों की टीम हाथी की मूवमेंट ट्रैक करने में लगा रखी है.

बर्ताव और बदलाव दोनों की जानकारी मिलेगी: वन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि हाथियों को इस तरह बार-बार रिहायशी इलाके में आना सही नहीं है. हाथी आखिर क्यों बार-बार रिहायशी इलाके में आ रहे हैं, इसका पता लगाने के लिए विभाग ने वन मुख्यालय को पत्र लिखा है. उस पत्र में हाथियों पर स्टडी कराने की बात कही गई है, ताकि पता चल सके कि हाथियों के बर्ताव में क्या बदलाव आया है. आखिर अचानक से हाथी जंगल छोड़ शहर का क्यों रुख करने लगे हैं?

पढ़ें---

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.