देहरादून (उत्तराखंड): शिव भक्तों के लिए खुशखबरी है. अब भारत की भूमि से पवित्र कैलाश पर्वत (माउंट कैलाश) के दर्शन होने लगे हैं. पहले कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए चीन के कब्जे वाले तिब्बत जाना होता था. इसके लिए वीजा से लेकर तमाम जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता था. अब उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के ओल्ड लिपुलेख से कैलाश पर्वत के दर्शन हो रहे हैं. इस बार भक्तों के पहले दल ने कैलाश पर्वत के दर्शन किए. कैलाश पर्वत के दर्शन कर भक्त मंत्रमुग्ध हो गए.
5 सदस्यीय दल ने पिथौरागढ़ से किए कैलाश पर्वत के दर्शन: दरअसल, नवरात्रि के पहले दिन यानी 3 अक्टूबर को यात्रियों के 5 सदस्यीय दल ने पिथौरागढ़ जिले में स्थित ओल्ड लिपुलेख से कैलाश पर्वत (माउंट कैलाश) के दर्शन किए. उन्होंने उत्तराखंड में ही खड़े होकर न केवल कैलाश पर्वत के दर्शन किए, बल्कि भक्ति में सराबोर होकर वो काफी देर तक पर्वत को निहारते रहे. भारत की भूमि से ही पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन करने का शिव भक्तों का सपना पूरा हो गया.
भारत की भूमि से ही पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन करने का शिव भक्तों का सपना आज पूरा हो गया है। नवरात्रि के पहले दिन यात्रियों के पांच सदस्यीय दल ने पिथौरागढ़ जिले में स्थित ओल्ड लिपुलेख से माउण्ट कैलाश के दर्शन किए। इस दौरान कैलाश पर्वत के दिव्य दर्शन से श्रृद्धालु भाव विभोर हो… pic.twitter.com/O2ZN9kW2SG
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) October 3, 2024
कुमाऊं मंडल विकास निगम ने बनाया है खास टूर पैकेज: बता दें कि केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद उत्तराखंड सरकार ने आदि कैलाश और कैलाश पर्वत दर्शन यात्रा के सफल संचालन को लेकर कमर कस ली थी. कुमाऊं मंडल विकास निगम ने इसके लिए बाकायदा एक टूर पैकेज भी घोषित किया है. इसके लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम ने कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए 5 दिवसीय टूर पैकेज बनाया है. इस पैकेज में भगवान शिव के दो अन्य धाम आदि कैलाश और ओम पर्वत (ॐ) के दर्शन भी शामिल हैं.
पैकेज के तहत यात्रियों के पहले 5 सदस्यीय दल ने कैलाश पर्वत के दर्शन किए. यात्रियों के दल को बीते 2 अक्टूबर को हेलीकॉप्टर के माध्यम से पिथौरागढ़ के गुंजी पर पहुंचाया गया. इसके बाद सभी यात्रियों को सड़क मार्ग से ओल्ड लिपुलेख ले जाया गया. जहां से ओम पर्वत और कैलाश पर्वत के दर्शन कराए गए. अब 5 अक्टूबर को ये सभी यात्री वापस लौटेंगे.
इन लोगों ने किए कैलाश पर्वत के दर्शन: इस दल में केवल कृष्ण, नीरज मनोहर लाल चौकसे, मोहिनी नीरज चौकसे, अमनदीप कुमार जिंदल, नरेंद्र कुमार शामिल हैं, जिन भक्तों ने भारत में खड़े होकर भगवान कैलाश के दर्शन किए, वो सभी मंत्र मुक्त हो गए. सभी भक्तों ने कहा है कि यह उनके जीवन का सबसे खूबसूरत और कभी न भूलने वाला पल है.
उनका कहना है कि ठंडी हवा और ऊंचे पहाड़ से खड़े होकर भगवान के दर्शन करना मानो, ये महसूस हो रहा था कि उन्होंने ना जाने कौन से पुण्य किए होंगे, जो आज साक्षात कैलाश के दर्शन बिना किसी परेशानी के हो गए. सभी भक्तों ने यात्रा करवाने वाले कर्मचारी, पायलट और दूसरे लोगों का धन्यवाद देते हुए भावुक होकर सबको आशीर्वाद दिया.
पहले कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए पार करना पड़ता था चीन बॉर्डर: कोरोना काल से पहले तक केंद्र सरकार कुमाऊं मंडल विकास निगम के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा कराती थी. तब शिव भक्त लिपुपास से पैदल यात्रा कर चीन बॉर्डर (तिब्बत बॉर्डर) पहुंचते थे. फिर बॉर्डर पार कर कैलाश मानसरोवर के दर्शन करते थे. कोरोना काल के बाद से यह यात्रा बंद पड़ी हुई है.
वहीं, दूसरी ओर भारत-चीन विवाद के कारण अभी तक चीन सरकार ने भारत सरकार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अपनी सहमति नहीं दी है. लंबे समय से शिव भक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने को आतुर थे. लिहाजा, सरकार ने श्रद्धालुओं को भारत की भूमि से ही पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कराने का फैसला लिया.
ग्रामीणों की खोज है ये पर्वत: शायद ही कभी किसी ने सोचा होगा कि उत्तराखंड से ही कैलाश के दर्शन हो सकेंगे, लेकिन पिथौरागढ़ जिले में स्थित स्थानीय ग्रामीणों ने 18 हजार फीट ऊंची लिपुलेख पहाड़ियों पर एक ऐसा व्यू प्वाइंट खोजा, जहां से कैलाश पर्वत साफ दिखाई देता है.
ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची अफसरों और विशेषज्ञों की टीम ने रोड मैप, लोगों के ठहरने की व्यवस्था, दर्शन के प्वाइंट तक जाने का रूट समेत अन्य व्यवस्थाओं के लिए सर्वे किया. फिर केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद शासन ने 15 सितंबर से ओल्ड लिपुपास को श्रद्धालुओं के लिए खोलने का फैसला लिया.
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