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क्या है दरबार मूव? जिसको लेकर अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ हुआ प्रदर्शन, सड़क पर उतरे ​इंजीनियर रशीद - OMAR ABDULLAH

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 2020 में दरबार मूव प्रथा को बंद कर दिया था. अब इसको फिर से शुरू करने की मांग उठ रही है.

अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ प्रदर्शन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 25, 2024, 5:45 PM IST

श्रीनगर: मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के एक सप्ताह बाद उमर अब्दुल्ला को आज उस समय सार्वजनिक विरोध का सामना करना पड़ा, जब सांसद अब्दुल रशीद शेख उर्फ ​इंजीनियर रशीद ने महाराजा दरबार मूव को फिर से शुरू करने की मांग को लेकर श्रीनगर में सड़कों पर उतर आए. उमर अब्दुल्ला के सीएम बनने के बाद उनके खिलाफ यह पहली विरोध प्रदर्शन है.

बता दें दरबार मूव साल में दो बार श्रीनगर और जम्मू की राजधानियों के बीच सरकारी कार्यालयों को स्थानांतरित करने की प्रथा को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 2020 में आंशिक रूप से बंद कर दिया था. सिन्हा ने कहा था कि सरकारी कर्मचारियों, फाइलों और रसद को श्रीनगर और जम्मू की राजधानियों के बीच ले जाने से सरकारी खजाने को 200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होता है.

सड़क पर उतरे ​इंजीनियर रशीद
सड़क पर उतरे ​इंजीनियर रशीद (ETV Bharat)

इंजीनियर रशीद ने अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के अपने कार्यकर्ताओं के साथ सिविल सचिवालय तक विरोध मार्च निकाला, जहां मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके कैबिनेट मंत्री काम करते हैं.

श्रीनगर के लोग भ्रमित
इस दौरान रशीद ने कहा,"हम उमर अब्दुल्ला को याद दिला रहे हैं कि उन्होंने वादा किया था कि सरकार बनने के तुरंत बाद वह दरबार मूव की परंपरा को फिर से शुरू करेंगे. हम मांग कर रहे हैं कि लोगों को बताया जाए कि जम्मू-कश्मीर की राजधानी कौन सी है- जम्मू या श्रीनगर. हमारे लोगों को पता ही नहीं है कि उन्हें श्रीनगर जाना है या जम्मू. लोग भ्रमित हैं कि उनकी फाइलें श्रीनगर में हैं या जम्मू में."

उन्होंने कहा कि या तो दरबार मूव को बहाल किया जाना चाहिए या श्रीनगर को जम्मू-कश्मीर की स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए. नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि वह दरबार मूव की प्रथा को बहाल करेगी.

अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ प्रदर्शन (ETV Bharat)

हालांकि, सत्ता संभालने के बाद उमर और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि वे इसे बहाल करेंगे, लेकिन 24 अक्टूबर को सामान्य प्रशासनिक विभाग (GAD) ने एक आदेश जारी किया, जिसमें प्रशासनिक सचिवों को शीतकालीन राजधानी जम्मू में कार्यालय फिर से शुरू करने का निर्देश दिया गया है.

क्या है आदेश?
आदेश में कहा गया है, "जम्मू स्थित सिविल सचिवालय में आधिकारिक कामकाज के प्रभावी और कुशल संचालन के लिए यह आदेश दिया जाता है कि प्रशासनिक सचिव और केंद्र शासित प्रदेश स्तर के विभागाध्यक्ष 11 नवंबर 2024 से सिविल सचिवालय, जम्मू में अपनी उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे."

आदेश में आगे कहा गया है कि हालांकि, वे कार्यात्मक आवश्यकता के अनुसार श्रीनगर स्थित सिविल सचिवालय में उपस्थित रहेंगे. सिविल सचिवालय के प्रशासनिक विभागों के कर्मचारियों की उपलब्धता के संबंध में व्यवस्था संबंधित विभागों द्वारा निर्धारित की जाएगी. संबंधित प्रशासनिक विभागों द्वारा मांगे जाने पर संपदा विभाग अधिकारियों/कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार आवास उपलब्ध कराएगा.

आदेश के मुताबिक संबंधित प्रशासनिक विभागों की मांग पर संपदा विभाग, अधिकारियों/कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार आवास उपलब्ध कराएगा.

दरबार मूव शुरू करने का दबाव
गौरतलब है कि दरबार मूव हमेशा से जम्मू में एक संवेदनशील कमर्शियल मुद्दा रहा है. इसके खत्म होने के बाद से ही जम्मू जिले के व्यापारी और राजनीतिक दल केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार और एलजी मनोज सिन्हा पर इसे फिर से शुरू करने के लिए दबाव बना रहे हैं.

जम्मू के व्यापारियों का कहना है कि जब से एलजी प्रशासन ने इस प्रथा को छोड़ दिया है, तब से उनके कारोबार को भारी नुकसान हुआ है क्योंकि सर्दियों के दौरान कश्मीर से कम लोग जम्मू की यात्रा कर रहे हैं, जब घाटी में कड़ाके की सर्दी और बर्फबारी होती है.

कई लोगों का मानना है कि दरबार मूव को फिर से शुरू करना उमर अब्दुल्ला सरकार के लिए मुश्किल होगा, क्योंकि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लेने की उनकी शक्ति एलजी के पास ही रहेगी. इस अधिनियम ने एलजी को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री से ज़्यादा अधिकार दिए हैं.

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर के बारामूला में सेना के वाहन पर आतंकी हमला, दो पोर्टर की मौत, तीन जवान घायल

श्रीनगर: मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के एक सप्ताह बाद उमर अब्दुल्ला को आज उस समय सार्वजनिक विरोध का सामना करना पड़ा, जब सांसद अब्दुल रशीद शेख उर्फ ​इंजीनियर रशीद ने महाराजा दरबार मूव को फिर से शुरू करने की मांग को लेकर श्रीनगर में सड़कों पर उतर आए. उमर अब्दुल्ला के सीएम बनने के बाद उनके खिलाफ यह पहली विरोध प्रदर्शन है.

बता दें दरबार मूव साल में दो बार श्रीनगर और जम्मू की राजधानियों के बीच सरकारी कार्यालयों को स्थानांतरित करने की प्रथा को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 2020 में आंशिक रूप से बंद कर दिया था. सिन्हा ने कहा था कि सरकारी कर्मचारियों, फाइलों और रसद को श्रीनगर और जम्मू की राजधानियों के बीच ले जाने से सरकारी खजाने को 200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होता है.

सड़क पर उतरे ​इंजीनियर रशीद
सड़क पर उतरे ​इंजीनियर रशीद (ETV Bharat)

इंजीनियर रशीद ने अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) के अपने कार्यकर्ताओं के साथ सिविल सचिवालय तक विरोध मार्च निकाला, जहां मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके कैबिनेट मंत्री काम करते हैं.

श्रीनगर के लोग भ्रमित
इस दौरान रशीद ने कहा,"हम उमर अब्दुल्ला को याद दिला रहे हैं कि उन्होंने वादा किया था कि सरकार बनने के तुरंत बाद वह दरबार मूव की परंपरा को फिर से शुरू करेंगे. हम मांग कर रहे हैं कि लोगों को बताया जाए कि जम्मू-कश्मीर की राजधानी कौन सी है- जम्मू या श्रीनगर. हमारे लोगों को पता ही नहीं है कि उन्हें श्रीनगर जाना है या जम्मू. लोग भ्रमित हैं कि उनकी फाइलें श्रीनगर में हैं या जम्मू में."

उन्होंने कहा कि या तो दरबार मूव को बहाल किया जाना चाहिए या श्रीनगर को जम्मू-कश्मीर की स्थायी राजधानी बनाया जाना चाहिए. नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि वह दरबार मूव की प्रथा को बहाल करेगी.

अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
अब्दुल्ला सरकार के खिलाफ प्रदर्शन (ETV Bharat)

हालांकि, सत्ता संभालने के बाद उमर और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि वे इसे बहाल करेंगे, लेकिन 24 अक्टूबर को सामान्य प्रशासनिक विभाग (GAD) ने एक आदेश जारी किया, जिसमें प्रशासनिक सचिवों को शीतकालीन राजधानी जम्मू में कार्यालय फिर से शुरू करने का निर्देश दिया गया है.

क्या है आदेश?
आदेश में कहा गया है, "जम्मू स्थित सिविल सचिवालय में आधिकारिक कामकाज के प्रभावी और कुशल संचालन के लिए यह आदेश दिया जाता है कि प्रशासनिक सचिव और केंद्र शासित प्रदेश स्तर के विभागाध्यक्ष 11 नवंबर 2024 से सिविल सचिवालय, जम्मू में अपनी उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे."

आदेश में आगे कहा गया है कि हालांकि, वे कार्यात्मक आवश्यकता के अनुसार श्रीनगर स्थित सिविल सचिवालय में उपस्थित रहेंगे. सिविल सचिवालय के प्रशासनिक विभागों के कर्मचारियों की उपलब्धता के संबंध में व्यवस्था संबंधित विभागों द्वारा निर्धारित की जाएगी. संबंधित प्रशासनिक विभागों द्वारा मांगे जाने पर संपदा विभाग अधिकारियों/कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार आवास उपलब्ध कराएगा.

आदेश के मुताबिक संबंधित प्रशासनिक विभागों की मांग पर संपदा विभाग, अधिकारियों/कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार आवास उपलब्ध कराएगा.

दरबार मूव शुरू करने का दबाव
गौरतलब है कि दरबार मूव हमेशा से जम्मू में एक संवेदनशील कमर्शियल मुद्दा रहा है. इसके खत्म होने के बाद से ही जम्मू जिले के व्यापारी और राजनीतिक दल केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार और एलजी मनोज सिन्हा पर इसे फिर से शुरू करने के लिए दबाव बना रहे हैं.

जम्मू के व्यापारियों का कहना है कि जब से एलजी प्रशासन ने इस प्रथा को छोड़ दिया है, तब से उनके कारोबार को भारी नुकसान हुआ है क्योंकि सर्दियों के दौरान कश्मीर से कम लोग जम्मू की यात्रा कर रहे हैं, जब घाटी में कड़ाके की सर्दी और बर्फबारी होती है.

कई लोगों का मानना है कि दरबार मूव को फिर से शुरू करना उमर अब्दुल्ला सरकार के लिए मुश्किल होगा, क्योंकि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अनुसार महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय लेने की उनकी शक्ति एलजी के पास ही रहेगी. इस अधिनियम ने एलजी को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री से ज़्यादा अधिकार दिए हैं.

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर के बारामूला में सेना के वाहन पर आतंकी हमला, दो पोर्टर की मौत, तीन जवान घायल

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