नई दिल्ली: नीट यूजी परीक्षा में कथित पेपर लीक और अनियमितताओं तथा अन्य परीक्षाओं को रद्द करने के विवाद के बीच, शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक एक मजबूत परीक्षा प्रणाली विकसित करने पर चर्चा के लिए हुई.
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से परीक्षाओं के पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन को सुनिश्चित करने के लिए सिफारिशें करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञों की सात सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति, पूर्व इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में गठित की गई.
मंत्रालय द्वारा साझा किए गए एक वीडियो क्लिप में समिति के एक सदस्य ने कहा कि पैनल की पहली प्राथमिकता अभिभावकों और छात्रों से उनकी चिंताओं और सुझावों को जानना होगा. पैनल दो महीने के भीतर शिक्षा मंत्रालय को अपनी सिफारिशें सौंपेगा.
पिछले सप्ताह, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि सरकार एनटीए में सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करेगी और समिति से एनटीए, इसकी संरचना, कार्यप्रणाली, परीक्षा प्रक्रिया, पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को और बेहतर बनाने के लिए सिफारिशें करने की उम्मीद की जाएगी ताकि शून्य त्रुटि परीक्षा आयोजित की जा सके.
नीट यूजी पेपर लीक और कई केंद्रों में अनियमितताओं के आरोपों पर मचे बवाल के बाद इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गई है. सीबीआई ने हाल ही में शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक की लिखित शिकायत के आधार पर आपराधिक मामला दर्ज किया है.
प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों में कहा गया है कि एनटीए द्वारा नीट यूजी 2024 परीक्षा 5 मई को 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिसमें विदेश के 14 शहर भी शामिल थे, जिसमें 23 लाख से अधिक उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए थे और परीक्षा के दौरान कुछ राज्यों में कुछ छिटपुट घटनाएं हुईं थीं.
सीबीआई अधिकारियों के अनुसार, मामले की सर्वोच्च प्राथमिकता पर जांच करने के लिए जांच एजेंसी द्वारा विशेष टीमें गठित की गई हैं और टीमों को पटना और गोधरा भेजा जा रहा है, जहां स्थानीय पुलिस मामले दर्ज किए गए हैं. पेपर लीक मामले में कथित संलिप्तता के सिलसिले में विभिन्न राज्यों से कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है.