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25 मई को खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट, पंच प्यारों की अगुवाई में ऋषिकेश से रवाना हुआ श्रद्धालुओं का पहला जत्था - hemkund sahib yatra 2024

उत्तराखंड में सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब यात्रा की शुरुआत हो गई है. पंच प्यारों की अगुवाई के आज 22 मई को ऋषिकेश गुरुद्वारा से श्रद्धालुओं का पहला जत्था हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुआ. 25 मई को हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के कपाट खोले जाएंगे.

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ऋषिकेश से हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुआ पहला जत्था. (ईटीवी भारत.)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 22, 2024, 5:28 PM IST

Updated : May 22, 2024, 10:19 PM IST

25 मई को खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट (ईटीवी भारत.)

ऋषिकेश: उत्तराखंड में सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खोले जायेंगे. हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने से पहले आज 22 मई को ऋषिकेश गुरुद्वारा से पंच प्यारों की अगुवाई में हेमकुंड साहिब के लिए पहला जत्था रवाना हुआ, जिसे उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गुरमीत सिंह ने हरी झंडी दिखाई. इस मौके पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, हंस फाउंडेशन की प्रणेता मंगला माता और भोले महाराज समेत कई श्रद्धालु मौजूद रहे.

पंच प्यारों के नेतृत्व में जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब ऋषिकेश की तरफ से माला पहनाकर और रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर यात्रा की शुभकामनाएं दी गई. इस मौके पर राज्यपाल गुरमीत सिंह ने सभी तीर्थ यात्रियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संस्कृति व संस्कारों को बनाये रखते हुए इस दिव्य यात्रा का आनंद ले. उत्तराखंड की धरती तप और संयम की भूमि है. उत्तराखंड गुरु गोबिंदसिंह की तपोभूमि है. उन्होंने यहां आकर तपस्या की थी. इसीलिए इस भूमि को प्रदूषण से मुक्त और पर्यावरण से युक्त बनाये रखे.

वहीं, स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड आध्यात्मिक ऊर्जा का पावर बैंक है. फिर चाहे चारधाम यात्रा हो या फिर श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा. उत्तराखंड शांति, शक्ति और भक्ति की भूमि है. उत्तराखंड पर्यटन की नहीं तीर्थाटन की भूमि है. यह यात्रा जागृति और नई ऊर्जा के समावेश की है.

बता दें कि हेमकुंड साहिब के साथ ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी 25 मई को ही खुलेंगे, जिसको लेकर प्रशासन ने अपनी तैयारियों पूरी कर ली है. हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है.

हेमकुंड साहिब की मान्यता: सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब को लेकर कहा जाता है कि यहां पर सिखों के दसवें गुरु गोविंदसिंह साहिब ने दुष्टदमन के रूप में पपस्या की थी, जिसका जिक्र सिखों के धार्मिक साहित्य में मिलता है. वहीं हेमकुंड साहिब के पास ही स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर भगवान राम के छोटे भी लक्ष्मण ने पूर्व जन्म में शेषनाग के अवतार में तपस्या की थी.

कैसे पहुंचे हेमकुंड साहिब: हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. यात्रा के शुरुआत में यहां रोजाना 3500 तीर्थ यात्रियों को ही दर्शन की अनुमित मिली है. हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए भक्तों को सबसे पहले चमोली जिले के गोविंदघाट पहुंचना होगा, जो ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर स्थित है. ऋषिकेश से गोविंदघाट की दूरी 272 किमी है. गोविंदघाट तक आप सड़क मार्ग से ही पहुंच सकते है.

गोविंदघाट से पहले आपको 14 किमी का पैदल ट्रैक करके घांघरिया पहुंचाना होगा. घांघरिया हेमकुंड साहिब का बेस कैंप है. घांघरिया से हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा की दूरी करीब पांच किमी है. हेमकुंड साहिब में रात को रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है. इसीलिए आपको दर्शन कर दिन के दिन घांघरिया वापस आना होगा. घांघरिया में रुकने का इंतजाम है.

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25 मई को खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट (ईटीवी भारत.)

ऋषिकेश: उत्तराखंड में सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खोले जायेंगे. हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने से पहले आज 22 मई को ऋषिकेश गुरुद्वारा से पंच प्यारों की अगुवाई में हेमकुंड साहिब के लिए पहला जत्था रवाना हुआ, जिसे उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गुरमीत सिंह ने हरी झंडी दिखाई. इस मौके पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, हंस फाउंडेशन की प्रणेता मंगला माता और भोले महाराज समेत कई श्रद्धालु मौजूद रहे.

पंच प्यारों के नेतृत्व में जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब ऋषिकेश की तरफ से माला पहनाकर और रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर यात्रा की शुभकामनाएं दी गई. इस मौके पर राज्यपाल गुरमीत सिंह ने सभी तीर्थ यात्रियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संस्कृति व संस्कारों को बनाये रखते हुए इस दिव्य यात्रा का आनंद ले. उत्तराखंड की धरती तप और संयम की भूमि है. उत्तराखंड गुरु गोबिंदसिंह की तपोभूमि है. उन्होंने यहां आकर तपस्या की थी. इसीलिए इस भूमि को प्रदूषण से मुक्त और पर्यावरण से युक्त बनाये रखे.

वहीं, स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड आध्यात्मिक ऊर्जा का पावर बैंक है. फिर चाहे चारधाम यात्रा हो या फिर श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा. उत्तराखंड शांति, शक्ति और भक्ति की भूमि है. उत्तराखंड पर्यटन की नहीं तीर्थाटन की भूमि है. यह यात्रा जागृति और नई ऊर्जा के समावेश की है.

बता दें कि हेमकुंड साहिब के साथ ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी 25 मई को ही खुलेंगे, जिसको लेकर प्रशासन ने अपनी तैयारियों पूरी कर ली है. हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है.

हेमकुंड साहिब की मान्यता: सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब को लेकर कहा जाता है कि यहां पर सिखों के दसवें गुरु गोविंदसिंह साहिब ने दुष्टदमन के रूप में पपस्या की थी, जिसका जिक्र सिखों के धार्मिक साहित्य में मिलता है. वहीं हेमकुंड साहिब के पास ही स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर भगवान राम के छोटे भी लक्ष्मण ने पूर्व जन्म में शेषनाग के अवतार में तपस्या की थी.

कैसे पहुंचे हेमकुंड साहिब: हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. यात्रा के शुरुआत में यहां रोजाना 3500 तीर्थ यात्रियों को ही दर्शन की अनुमित मिली है. हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए भक्तों को सबसे पहले चमोली जिले के गोविंदघाट पहुंचना होगा, जो ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर स्थित है. ऋषिकेश से गोविंदघाट की दूरी 272 किमी है. गोविंदघाट तक आप सड़क मार्ग से ही पहुंच सकते है.

गोविंदघाट से पहले आपको 14 किमी का पैदल ट्रैक करके घांघरिया पहुंचाना होगा. घांघरिया हेमकुंड साहिब का बेस कैंप है. घांघरिया से हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा की दूरी करीब पांच किमी है. हेमकुंड साहिब में रात को रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है. इसीलिए आपको दर्शन कर दिन के दिन घांघरिया वापस आना होगा. घांघरिया में रुकने का इंतजाम है.

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Last Updated : May 22, 2024, 10:19 PM IST
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