नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की स्थिर कीमतों के बीच पेट्रोल, डीजल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) के निर्यात पर लगाए जाने वाले अप्रत्याशित कर (Windfall Tax) का मूल्यांकन कर रहा है. साथ ही प्राकृतिक गैस को भी वस्तु और सेवा कर (GST) के दायरे में लाया जा रहा है. यह डेवलपमेंट विंडफॉल टैक्स को खत्म करने के लिए तेल मंत्रालय के अनुरोध के बाद हुआ है.
इस संबंध में एक सरकारी अधिकारी ने मीडिया से कहा, "विंडफॉल टैक्स पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, फिर भी एक विचार यह है कि इसे जीरो रखा जाए, जबकि सरकार चाहे तो इसे बढ़ाने का प्रावधान भी रखा जा सकता है." अधिकारी ने कहा कि ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों के पूर्वानुमानों पर विचार करने के बाद वित्त मंत्रालय अंतिम निर्णय लेगा.
गौरतलब है कि भारत ने जुलाई 2022 में क्रूड ऑयल प्रोड्यूसर पर अप्रत्याशित लाभ कर लागू किया और इस टैक्स को गैसोलीन, डीजल और विमानन ईंधन के निर्यात तक बढ़ा दिया.
प्राकृतिक गैस पर जीएसटी
वित्त मंत्रालय को तेल मंत्रालय से प्राकृतिक गैस को जीएसटी में शामिल करने का औपचारिक अनुरोध भी मिला है. इसका प्रस्ताव विंडफॉल टैक्स के लिए सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था जीएसटी परिषद के सामने रखा जा सकता है.
जीएसटी काउंसिल के एजेंडे में शामिल
इस संबंध में एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "हमें एक औपचारिक अनुरोध मिला है...", उन्होंने कहा कि इसे 21 दिसंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक के एजेंडे में शामिल किया जा सकता है. पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के अंतर्गत लाने से टैक्स का बोझ कम होगा, जिसके चलते उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम होंगी और खपत में इजाफा होगा.
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 279ए (5) में प्रावधान है कि जीएसटी परिषद उस तारीख की सिफारिश करे जिस दिन पेट्रोलियम क्रूड, हाई स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट, प्राकृतिक गैस और विमानन टरबाइन ईंधन पर जीएसटी लगाया जाएगा. हालांकि, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को संवैधानिक रूप से जीएसटी के तहत शामिल किया गया है, लेकिन जिस डेट को ऐसे सामानों पर टैक्स लगाया जाएगा, वह परिषद के निर्णय के अनुसार होगा.
यह भी पढ़ें- पेट्रोल और डीजल की नई कीमतें जारी, चेक करें अपने शहर के लेटेस्ट रेट