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अजमेर में 13 माह के नवजात के पेट में 14 हफ्ते का भ्रूण, जटिल ऑपरेशन के बाद निकाला गया

अजमेर के जेएलएन अस्पताल में 4 घंटे के ऑपरेशन के बाद नवजात के पेट से भ्रूण निकाला गया. भ्रूण करीब 14 हफ्ते का था. अब शिशु पूरी तरह स्वस्थ्य है.

Fetus inside stomach of newborn
Fetus inside stomach of newborn
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 5, 2024, 3:18 PM IST

नवजात के पेट से भ्रूण निकाला गया

अजमेर. जेएलएन अस्पताल के शिशु रोग विभाग में एक 13 माह के नवजात के पेट में 14 हफ्ते का भ्रूण पाया गया. चिकित्सकों ने 4 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद शिशु के पेट से भ्रूण निकालने में सफलता हासिल की है. 450 ग्राम भ्रूण को निकालने के बाद शिशु पूरी तरह से स्वस्थ है. दुनिया में इस तरह के कई मामले आ चुके हैं. मेडिकल भाषा में इसको 'fetus in fetu' कहते हैं.

पीडियाट्रिक सर्जन एवं विभागाध्यक्ष डॉ. गरिमा अरोड़ा ने बताया कि अजमेर की रहने वाली एक महिला की सोनोग्राफी में उसके गर्भ में पल रहे शिशु के पेट में गांठ पाया गया था. महिला को प्रसव के बाद आने की सलाह दी गई. प्रसव के 2 दिन बाद माता-पिता नवजात शिशु को लेकर अस्पताल आए थे. यहां नवजात की सोनोग्राफी और सीटी जांच करवाई गई. नवजात के पेट में गांठ को देखकर लग रहा था कि वह भ्रूण है. उन्होंने बताया कि मेडिकल भाषा में इसको 'fetus in fetu' कहते हैं. पैरासिटिक जुड़वा बच्चे की यह वैरायटी है. गर्भ में ब्लड की सप्लाई दोनों में से एक को होती है, लेकिन दूसरे तक ब्लड की सप्लाई नहीं होने से उनकी ग्रोथ रुक जाती है.

पढ़ें. सिरोही में कचरे के ढेर में मिला नवजात का भ्रूण, जानवरों ने नोचा

सामान्य भ्रूण की तरह ही थे ऑर्गन : पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. गरिमा अरोड़ा ने बताया कि भ्रूण में रीढ़ की हड्डी, पसलियां थीं. दिखने में वह सामान्य भ्रूण की तरह ही था. डॉ. अरोड़ा ने बताया कि यह भ्रूण 12 से 14 हफ्ते का था, जिसका वजन 450 ग्राम था. दुनिया में ऐसे करीब 200 मामले ही सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि माता पिता नवजात शिशु के ऑपरेशन को लेकर निर्णय नहीं ले पा रहे थे और वह अपने नवजात शिशु को लेकर घर चले गए. हालांकि, उन्हें अच्छे से समझाया गया, जिसके करीब सवा महीने बाद वह वापस लौटे. तब वह बच्चे का ऑपरेशन करवाने के लिए राजी हुए.

ऑपरेशन से पहले किया गया अध्ययन : उन्होंने बताया कि ऑपरेशन से पहले पुराने केस और रिसर्च वर्क के अध्ययन के अलावा विशेषज्ञों से भी राय ली गई. डॉ. अरोड़ा ने बताया कि चंडीगढ़ में एमसीएच करने के दौरान इस तरह का जटिल ऑपरेशन को वह देख चुकीं थीं. ऐसे में उनके लिए यह जटिल ऑपरेशन नया नहीं था. ऑपरेशन के लिए चिकित्सकों की टीम गठित की गई. इसमें सहायक आचार्य डॉ. दिनेश बारोलिया, डॉ. रोहित जेन, डॉ. दीक्षा नामा और अन्य चिकित्सकों का काफी सहयोग रहा. 4 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद सफलता मिली और बच्चे के पेट से भ्रूण को बाहर निकल लिया गया.

नवजात के पेट से भ्रूण निकाला गया

अजमेर. जेएलएन अस्पताल के शिशु रोग विभाग में एक 13 माह के नवजात के पेट में 14 हफ्ते का भ्रूण पाया गया. चिकित्सकों ने 4 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद शिशु के पेट से भ्रूण निकालने में सफलता हासिल की है. 450 ग्राम भ्रूण को निकालने के बाद शिशु पूरी तरह से स्वस्थ है. दुनिया में इस तरह के कई मामले आ चुके हैं. मेडिकल भाषा में इसको 'fetus in fetu' कहते हैं.

पीडियाट्रिक सर्जन एवं विभागाध्यक्ष डॉ. गरिमा अरोड़ा ने बताया कि अजमेर की रहने वाली एक महिला की सोनोग्राफी में उसके गर्भ में पल रहे शिशु के पेट में गांठ पाया गया था. महिला को प्रसव के बाद आने की सलाह दी गई. प्रसव के 2 दिन बाद माता-पिता नवजात शिशु को लेकर अस्पताल आए थे. यहां नवजात की सोनोग्राफी और सीटी जांच करवाई गई. नवजात के पेट में गांठ को देखकर लग रहा था कि वह भ्रूण है. उन्होंने बताया कि मेडिकल भाषा में इसको 'fetus in fetu' कहते हैं. पैरासिटिक जुड़वा बच्चे की यह वैरायटी है. गर्भ में ब्लड की सप्लाई दोनों में से एक को होती है, लेकिन दूसरे तक ब्लड की सप्लाई नहीं होने से उनकी ग्रोथ रुक जाती है.

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सामान्य भ्रूण की तरह ही थे ऑर्गन : पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. गरिमा अरोड़ा ने बताया कि भ्रूण में रीढ़ की हड्डी, पसलियां थीं. दिखने में वह सामान्य भ्रूण की तरह ही था. डॉ. अरोड़ा ने बताया कि यह भ्रूण 12 से 14 हफ्ते का था, जिसका वजन 450 ग्राम था. दुनिया में ऐसे करीब 200 मामले ही सामने आए हैं. उन्होंने बताया कि माता पिता नवजात शिशु के ऑपरेशन को लेकर निर्णय नहीं ले पा रहे थे और वह अपने नवजात शिशु को लेकर घर चले गए. हालांकि, उन्हें अच्छे से समझाया गया, जिसके करीब सवा महीने बाद वह वापस लौटे. तब वह बच्चे का ऑपरेशन करवाने के लिए राजी हुए.

ऑपरेशन से पहले किया गया अध्ययन : उन्होंने बताया कि ऑपरेशन से पहले पुराने केस और रिसर्च वर्क के अध्ययन के अलावा विशेषज्ञों से भी राय ली गई. डॉ. अरोड़ा ने बताया कि चंडीगढ़ में एमसीएच करने के दौरान इस तरह का जटिल ऑपरेशन को वह देख चुकीं थीं. ऐसे में उनके लिए यह जटिल ऑपरेशन नया नहीं था. ऑपरेशन के लिए चिकित्सकों की टीम गठित की गई. इसमें सहायक आचार्य डॉ. दिनेश बारोलिया, डॉ. रोहित जेन, डॉ. दीक्षा नामा और अन्य चिकित्सकों का काफी सहयोग रहा. 4 घंटे के जटिल ऑपरेशन के बाद सफलता मिली और बच्चे के पेट से भ्रूण को बाहर निकल लिया गया.

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