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महापंचायत से पहले किसानों ने सरकार के खिलाफ जारी किया संकल्प पत्र, अमित शाह से मांगा इस्तीफा - Kisan Mahanpanchayat in delhi

Kisan Mahanpanchayat in Ramlila Maidan: संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले रामलीला मैदान में हो रही किसान महापंचायत में किसान नेताओं ने एक सकंल्प पत्र जारी कर केंद्र सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखी हैं. इस संकल्प पत्र में किसानों ने केंद्र सरकार पर कई आरोप भी लगाए हैं.

किसानों ने सरकार के खिलाफ जारी किया संकल्प पत्र
किसानों ने सरकार के खिलाफ जारी किया संकल्प पत्र
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 14, 2024, 12:44 PM IST

किसानों ने सरकार के खिलाफ जारी किया संकल्प पत्र

नई दिल्ली : रामलीला मैदान में हो रही किसान महापंचायत में अलग-अलग संगठनों के किसान शामिल हो रहे हैं. देश के अलग-अलग राज्यों से किसान ट्रेन, बस निजी वाहनों में भरकर रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं. किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के विरोध में संकल्प पत्र जारी किया है. संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा संकल्प पत्र में किसानों से आह्वान किया गया है कि बीजेपी के विशेध में देशव्यापी जन प्रतिरोध खड़ा करो. बीजेपी की पोल खोलो, विरोध करो.

संकल्प पत्र में कहा गया

  • सभी फसलों की सी-2+50 प्रतिशत एमएसपी पर गारंटी खरीद के संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा के साथ 9 दिसंबर 2021 को हुए समझौते को लागू नहीं करने का विरोध करें. वर्ष 2014-2022 के बीच 1,00,474 किसानों के आत्महत्या करने के बावजूद किसानों के लिए व्यापक ऋण माफी योजना लागू नहीं करने का विरोध करें.
  • इसके साथ ही बिजली क्षेत्र का तेजी से निजीकरण करने के खिलाफ, लखीमपुर खीरी में किसानों के हत्यारे को बचाने के खिलाफ आवाज उठाने को कहा गया है. इस संकल्प पत्र में किसान शुभकरण सिंह की मौत का भी जिक्र है. किसान आंदोलन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की भी मांग की गई है. घटना की न्यायिक जांच की भी मांग की जा रही है.
  • आईपीसी की धारा 302 के तहत अमित शाह, एमएल खट्टर और अनिल विज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग कर रहे हैं. वर्तमान में किसानों और मजदूरों के चल रहे संघर्षों को आम जनता के संयुक्त आंदोलन में परिवर्तित करने के विरोध में देश भर में भाजपा के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की अपील की
  • संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया कि विकास के नाम पर मोदी सरकार ने सभी फसलों को एमएसपी@सी-2+50% पर गारंटीशुदा खरीद से मना कर दिया है और इस प्रकार 2014 के आम चुनाव में भाजपा के घोषणापत्र में किए गए वादे का उल्लंघन किया है, जबकि इसने कॉर्पोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 22%-15% की सीमा तक कर दिया है.
  • सब्सिडी वापस लेने से उत्पादन की लागत आसमान छू रही है और लाभकारी आय से किसानों को वंचित किया जा रहा है. इसके साथ ही, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा का कॉर्पोरेटीकरण कर दिया गया है. कॉर्पोरेट बीमा कंपनियों ने साल 2017 से आज तक 57000 करोड़ रुपये लूटे हैं. इन कारणों से किसान और खेत मजदूर कर्ज के फंदे में फंसे हुए हैं. वर्ष 2014-22 के दौरान 1,00,474 किसानों ने आत्महत्या की है. इसके बावजूद मोदी सरकार ने किसानों को कर्ज माफी के रूप में एक भी रुपया नहीं दिया है, लेकिन बड़े कॉर्पोरेट घरानों का 2014-23 के दौरान 14.68 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम ऋण माफ कर दिया है.
  • किसानों का आरोप है कि मोदी सरकार लखीमपुर खीरी में किसान मौत मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बचा रही और अब उन्हें फिर से खीरी लोकसभा सीट के लिए टिकट दे दिया है. इससे स्पष्ट है कि भाजपा को कॉर्पोरेट-भ्रष्टाचार-आपराधिक गठजोड़ नियंत्रित कर रहा है.
  • मोदी शासन ने अपनी हरियाणा सरकार के माध्यम से किसानों के संघर्ष का क्रूर दमन किया है और 21 फरवरी 2024 को खनौरी सीमा पर किसान शुभकरण सिंह की हत्या कर दी. एसकेएम ने पुलिस गोलीबारी के खिलाफ न्यायिक जांच की और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के सीएम एमएल खट्टर और राज्य के गृह मंत्री अनिल विज के इस्तीफे की मांग की है.
  • आम चुनाव की घोषणा के बाद मोदी शासन एक कार्यवाहक प्रशासन में बदल जाएगा. यदि लोग फिर से भाजपा को चुनते हैं, तो वो किसानों और मजदूरों के लिए कुछ भी अच्छा होने की उम्मीद नहीं कर सकते. लोकतंत्र में आम जनता सर्वोच्च है और अब स्थिति इस हद तक विकसित हो गई है कि भारत की जनता को एक वास्तविक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरना होगा इसके साथ ही राज्य सत्ता के गलियारों से कॉरपोरेट ताकतों को हटाना होगा और उसे पीछे धकेलना होगा, ताकि बुनियादी उत्पादक वर्गों की आजीविका और हमारे देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष संविधान की रक्षा की जा सके.

कॉर्पोरेट, सांप्रदायिक, तानाशाही शासन के खिलाफ यह प्रस्ताव/संकल्प पत्र जनता के सभी तबकों के सभी जन संगठनों और वर्गीय संगठनों से अपील करता है कि वे आजीविका और संविधान की रक्षा के लिए चल रहे किसानों और मजदूरों के संघर्ष को आम जनता के संयुक्त आंदोलन में परिवर्तित कर दें.

ये भी पढ़ें : किसान महापंचायत: ट्रेनों से बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंच रहे किसान, स्टेशनों पर बढ़ाई गई सुरक्षा

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किसानों ने सरकार के खिलाफ जारी किया संकल्प पत्र

नई दिल्ली : रामलीला मैदान में हो रही किसान महापंचायत में अलग-अलग संगठनों के किसान शामिल हो रहे हैं. देश के अलग-अलग राज्यों से किसान ट्रेन, बस निजी वाहनों में भरकर रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं. किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के विरोध में संकल्प पत्र जारी किया है. संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा संकल्प पत्र में किसानों से आह्वान किया गया है कि बीजेपी के विशेध में देशव्यापी जन प्रतिरोध खड़ा करो. बीजेपी की पोल खोलो, विरोध करो.

संकल्प पत्र में कहा गया

  • सभी फसलों की सी-2+50 प्रतिशत एमएसपी पर गारंटी खरीद के संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा के साथ 9 दिसंबर 2021 को हुए समझौते को लागू नहीं करने का विरोध करें. वर्ष 2014-2022 के बीच 1,00,474 किसानों के आत्महत्या करने के बावजूद किसानों के लिए व्यापक ऋण माफी योजना लागू नहीं करने का विरोध करें.
  • इसके साथ ही बिजली क्षेत्र का तेजी से निजीकरण करने के खिलाफ, लखीमपुर खीरी में किसानों के हत्यारे को बचाने के खिलाफ आवाज उठाने को कहा गया है. इस संकल्प पत्र में किसान शुभकरण सिंह की मौत का भी जिक्र है. किसान आंदोलन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की भी मांग की गई है. घटना की न्यायिक जांच की भी मांग की जा रही है.
  • आईपीसी की धारा 302 के तहत अमित शाह, एमएल खट्टर और अनिल विज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी मांग कर रहे हैं. वर्तमान में किसानों और मजदूरों के चल रहे संघर्षों को आम जनता के संयुक्त आंदोलन में परिवर्तित करने के विरोध में देश भर में भाजपा के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की अपील की
  • संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया कि विकास के नाम पर मोदी सरकार ने सभी फसलों को एमएसपी@सी-2+50% पर गारंटीशुदा खरीद से मना कर दिया है और इस प्रकार 2014 के आम चुनाव में भाजपा के घोषणापत्र में किए गए वादे का उल्लंघन किया है, जबकि इसने कॉर्पोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 22%-15% की सीमा तक कर दिया है.
  • सब्सिडी वापस लेने से उत्पादन की लागत आसमान छू रही है और लाभकारी आय से किसानों को वंचित किया जा रहा है. इसके साथ ही, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा का कॉर्पोरेटीकरण कर दिया गया है. कॉर्पोरेट बीमा कंपनियों ने साल 2017 से आज तक 57000 करोड़ रुपये लूटे हैं. इन कारणों से किसान और खेत मजदूर कर्ज के फंदे में फंसे हुए हैं. वर्ष 2014-22 के दौरान 1,00,474 किसानों ने आत्महत्या की है. इसके बावजूद मोदी सरकार ने किसानों को कर्ज माफी के रूप में एक भी रुपया नहीं दिया है, लेकिन बड़े कॉर्पोरेट घरानों का 2014-23 के दौरान 14.68 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम ऋण माफ कर दिया है.
  • किसानों का आरोप है कि मोदी सरकार लखीमपुर खीरी में किसान मौत मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बचा रही और अब उन्हें फिर से खीरी लोकसभा सीट के लिए टिकट दे दिया है. इससे स्पष्ट है कि भाजपा को कॉर्पोरेट-भ्रष्टाचार-आपराधिक गठजोड़ नियंत्रित कर रहा है.
  • मोदी शासन ने अपनी हरियाणा सरकार के माध्यम से किसानों के संघर्ष का क्रूर दमन किया है और 21 फरवरी 2024 को खनौरी सीमा पर किसान शुभकरण सिंह की हत्या कर दी. एसकेएम ने पुलिस गोलीबारी के खिलाफ न्यायिक जांच की और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के सीएम एमएल खट्टर और राज्य के गृह मंत्री अनिल विज के इस्तीफे की मांग की है.
  • आम चुनाव की घोषणा के बाद मोदी शासन एक कार्यवाहक प्रशासन में बदल जाएगा. यदि लोग फिर से भाजपा को चुनते हैं, तो वो किसानों और मजदूरों के लिए कुछ भी अच्छा होने की उम्मीद नहीं कर सकते. लोकतंत्र में आम जनता सर्वोच्च है और अब स्थिति इस हद तक विकसित हो गई है कि भारत की जनता को एक वास्तविक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरना होगा इसके साथ ही राज्य सत्ता के गलियारों से कॉरपोरेट ताकतों को हटाना होगा और उसे पीछे धकेलना होगा, ताकि बुनियादी उत्पादक वर्गों की आजीविका और हमारे देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष संविधान की रक्षा की जा सके.

कॉर्पोरेट, सांप्रदायिक, तानाशाही शासन के खिलाफ यह प्रस्ताव/संकल्प पत्र जनता के सभी तबकों के सभी जन संगठनों और वर्गीय संगठनों से अपील करता है कि वे आजीविका और संविधान की रक्षा के लिए चल रहे किसानों और मजदूरों के संघर्ष को आम जनता के संयुक्त आंदोलन में परिवर्तित कर दें.

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