नई दिल्ली: कांग्रेस ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा को राजनीतिक मजबूरियों के कारण किया गया नाटक करार दिया और दावा किया कि 5 अक्टूबर को होने वाले हरियाणा चुनाव और राष्ट्रीय राजधानी में होने वाले विधानसभा चुनावों में इसका पुरानी पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पार्टी को सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ मजबूत सत्ता विरोधी लहर के कारण 10 साल के अंतराल के बाद हरियाणा में सरकार बनाने का भरोसा था और दिल्ली में भी वापसी करने का भी भरोसा था, जहां आप 2013 से सत्ता में है.
पहले ही देना चाहिए था इस्तीफा
दिल्ली कांग्रेस प्रमुख देवेंद्र यादव ने ईटीवी भारत से कहा, " अरविंद केजरीवाल को उस समय ही इस्तीफा दे देना चाहिए था, जब उन पर शराब घोटाले में आरोप लगे थे और बाद में उसी मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उन्हें तब भी इस्तीफा दे देना चाहिए था, जब दिल्ली के लोग भारी बारिश के दौरान नालों के जाम होने के कारण बाढ़ से जूझ रहे थे या जब लोगों को पीने के पानी और बिजली की आपूर्ति की कमी से जूझना पड़ रहा था या जब शहर भारी प्रदूषण के कारण जाम हो गया था.?"
उन्होंने कहा कि अब जब कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है, तो अब वह इस्तीफा क्यों दे रहें. यह सब नाटक है और राजनीतिक मजबूरी के तहत किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को क्लीन चिट नहीं दी है और मतदाताओं के सामने उनकी पोल खुल गई है.
'मतदाता कांग्रेस का समर्थन करेंगे'
यादव ने कहा, "दिल्ली के मतदाताओं को एहसास हो गया है कि पहले शहर का विकास किसने किया और अब उनके लिए कौन काम कर रहा है. इस बार मतदाता कांग्रेस का समर्थन करेंगे, न कि आप का, चाहे चुनाव फरवरी में हों या नवंबर में. दिल्ली में मुकाबला कांग्रेस बनाम बीजेपी होने वाला है. यही वजह है कि हाल ही में आप के कई नेता और मंत्री कांग्रेस में शामिल हुए हैं. हमने आर्टिलरी संगठन को पुनर्जीवित किया है और अगली सरकार हम ही बनाएंगे."
सहानुभूति वोट हासिल करने हथकंडा
पूर्व सांसद और पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने ईटीवी भारत से कहा, "केजरीवाल का इस्तीफा सहानुभूति वोट हासिल करने का एक हथकंडा है, लेकिन अब इसका कोई असर नहीं होगा. लोगों ने पिछली शीला दीक्षित सरकार और केजरीवाल सरकार के दौरान किए गए कामों में अंतर देखा है. कांग्रेस अब दिल्ली को सबसे हरी-भरी राजधानी होने का गौरव वापस दिलाएगी."
हरियाणा के प्रभारी एआईसीसी सचिव मनोज चौहान ने ईटीवी भारत से कहा, 'हरियाणा में AAP की कोई मौजूदगी नहीं है और यह हाल के लोकसभा चुनावों में दिखा है. हमने हरियाणा में आप के साथ सीट बंटवारे की डील करने की कोशिश की, लेकिन वे पीछे हट गए और सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन हरियाणा में भी कांग्रेस बनाम भाजपा की लड़ाई होगी और हम वहां सरकार बनाएंगे. हम मतदाताओं को बताएंगे कि आप को कोई भी वोट देने का मतलब भाजपा को अप्रत्यक्ष समर्थन होगा.
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली और हरियाणा में कांग्रेस और आप का गठबंधन था. हरियाणा में कांग्रेस ने 9 और AAP ने 1 सीट पर चुनाव लड़ा था. दिल्ली में कांग्रेस ने 3 और आप ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने हरियाणा में 5 सीटें जीतीं, लेकिन दिल्ली में एक भी नहीं.