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दुनिया को उत्तराखंड की संस्कृति, जड़ी बूटियां और प्रकृति से जोड़ने की जरूरत- आचार्य बालकृष्ण

विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो 2024 में आचार्य बालकृष्ण से खास बातचीत, कहा- लोगों को उत्तराखंड की संस्कृति, जड़ी बूटियां से जोड़ने की जरूरत

Patanjali Ayurved MD Acharya Balkrishna
ईटीवी भारत पर पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

रोहित कुमार सोनी, देहरादून: उत्तराखंड को आयुष प्रदेश बनने पर जोर दिया जा रहा है. सरकार जहां एक ओर आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान पर जोर दे रही है तो वहीं दूसरी ओर सभी जिलों में आयुष अस्पताल के साथ ही आयुष ग्राम बनाने की कवायद की जा रही है. इसी कड़ी में पहली बार उत्तराखंड में विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो 2024 आयोजित किया जा रहा है. जिससे उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में आयुर्वेद पद्धति का देश दुनिया में प्रचार प्रसार होगा. सम्मेलन में देश-विदेश से हजारों डेलिगेट्स प्रतिभाग कर रहे हैं. जिसमें पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण भी सम्मेलन में शामिल हुए.

देवों और जड़ी बूटियां की भूमि है उत्तराखंड: वहीं, ईटीवी भारत से पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण ने खास बातचीत की. बातचीत के दौरान आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि उत्तराखंड देवों की भूमि और जड़ी बूटियां की भूमि है. इसको आयुष प्रांत बनाने का एक प्रयास शुरू हुआ है. हालांकि, उत्तराखंड को आयुष प्रांत बनाने के लिए यह सम्मेलन एक उपयोग की प्रयास हो सकता है, लेकिन इसको गति देते हुए देश दुनिया से आए लोगों को उत्तराखंड से जोड़ना, प्रदेश की संस्कृति और जड़ी बूटियों के साथ ही प्रकृति से जोड़ने की जरूरत है. यह एक बड़ा अवसर है, ऐसे में अगर सभी लोग मिलकर प्रयास करें तो एक बड़े अवसर के परिणाम में पहुंचा सकते हैं.

आचार्य बालकृष्ण से खास बातचीत (वीडियो- ETV Bharat)

आयुष विधाओं को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत: लोगों में आयुर्वेद के प्रति कम जागरूकता होने के सवाल पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि लोगों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता लाने की जरूरत है. इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे. क्योंकि, जिन लोगों को आयुर्वेद ने जीवन और लाभ दिया है. आयुष विधाओं से जो लोग स्वस्थ हैं, उन सभी को एक साथ मिलकर इस विधा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए. ताकि, यह जन-जन की विधा बन सके.

आयुर्वेद में इमरजेंसी मेडिसिन की व्यवस्था न होने पर दिया ये जवाब: अन्य चिकित्सा पद्धति में इमरजेंसी मेडिसिन की सुविधा है, लेकिन आयुर्वेद में इमरजेंसी मेडिसिन की व्यवस्था नहीं है? इस सवाल के जवाब में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि इसके लिए बड़ा प्रयास कर रहा है. पतंजलि एक ऐसी संस्था के रूप में पूरी दुनिया के बीच पहुंच चुकी है, जो आयुर्वेद को एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के रूप में स्थापित करने के लिए संकल्पित है. इस दिशा में पतंजलि की ओर से लगातार कार्य किया जा रहा है.

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रोहित कुमार सोनी, देहरादून: उत्तराखंड को आयुष प्रदेश बनने पर जोर दिया जा रहा है. सरकार जहां एक ओर आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान पर जोर दे रही है तो वहीं दूसरी ओर सभी जिलों में आयुष अस्पताल के साथ ही आयुष ग्राम बनाने की कवायद की जा रही है. इसी कड़ी में पहली बार उत्तराखंड में विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो 2024 आयोजित किया जा रहा है. जिससे उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में आयुर्वेद पद्धति का देश दुनिया में प्रचार प्रसार होगा. सम्मेलन में देश-विदेश से हजारों डेलिगेट्स प्रतिभाग कर रहे हैं. जिसमें पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण भी सम्मेलन में शामिल हुए.

देवों और जड़ी बूटियां की भूमि है उत्तराखंड: वहीं, ईटीवी भारत से पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण ने खास बातचीत की. बातचीत के दौरान आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि उत्तराखंड देवों की भूमि और जड़ी बूटियां की भूमि है. इसको आयुष प्रांत बनाने का एक प्रयास शुरू हुआ है. हालांकि, उत्तराखंड को आयुष प्रांत बनाने के लिए यह सम्मेलन एक उपयोग की प्रयास हो सकता है, लेकिन इसको गति देते हुए देश दुनिया से आए लोगों को उत्तराखंड से जोड़ना, प्रदेश की संस्कृति और जड़ी बूटियों के साथ ही प्रकृति से जोड़ने की जरूरत है. यह एक बड़ा अवसर है, ऐसे में अगर सभी लोग मिलकर प्रयास करें तो एक बड़े अवसर के परिणाम में पहुंचा सकते हैं.

आचार्य बालकृष्ण से खास बातचीत (वीडियो- ETV Bharat)

आयुष विधाओं को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत: लोगों में आयुर्वेद के प्रति कम जागरूकता होने के सवाल पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि लोगों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता लाने की जरूरत है. इसके लिए सभी को प्रयास करने होंगे. क्योंकि, जिन लोगों को आयुर्वेद ने जीवन और लाभ दिया है. आयुष विधाओं से जो लोग स्वस्थ हैं, उन सभी को एक साथ मिलकर इस विधा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए. ताकि, यह जन-जन की विधा बन सके.

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