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सीएम नीतीश कुमार यदि छोड़ते हैं महागठबंधन, तो ऐसा होगा बिहार का राजनीतिक समीकरण

Bihar Politics: बिहार में इस बार नीतीश कुमार पाला बदलते हैं तो क्या उनके लिए सब कुछ आसान रहेगा या परिस्थितियां बदल गई हैं. क्योंकि बिहार में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर आरजेडी तो दूसरे स्थान पर बीजेपी है और नीतीश की जेडीयू तीसरे स्थान पर आ गई है. ऐसे में पाला बदलने के खेल में मंझे खिलाड़ी नीतीश कुमार की स्थिति और बिहार की राजनीतिक परिदृश्य को जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें.

Bihar Politics
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 25, 2024, 8:36 PM IST

Updated : Jan 26, 2024, 12:45 PM IST

बिहार की राजनीति में हलचल

पटना: पिछले कई दिनों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं. बिहार की राजनीतिक परिस्थितियां कमोबेश उसी दिशा में आगे बढ़ रही है. जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह में नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ कुछ नहीं बोला. यहां तक कि प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया.

फिर एनडीए में जाएंगे नीतीश?: वहीं लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस पर परिवारवाद को लेकर बिना नाम लिए नीतीश कुमार ने सीधा हमला किया है. लालू प्रसाद यादव की बेटी ने उसके बाद कई ट्वीट किये. ट्वीट पर विवाद बढ़ता देख हालांकि उसे डिलीट भी कर दिया गया. रोहिणी आचार्य के ट्वीट के बाद यह साफ हो गया कि जेडीयू-आरजेडी के बीच खटास बढ़ रही है.

पाला बदलना नहीं होगा आसान: वहीं हम पार्टी सुप्रीमो जीतन राम मांझी का बयान लगातार आ रहा है जो बिहार में सियासी हलचल बढ़ाने का संकेत दे रहे हैं. राजनीतिक पंडितों की राय में बिहार में इस बार नीतीश कुमार के लिए पाला बदलना उतना आसान नहीं होने वाला है.

बहुमत नहीं.. लेकिन जलवा कायम : राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि 7 अगस्त 2022 में जब नीतीश कुमार ने राजद और महागठबंधन के घटक दलों के साथ सरकार बनाई थी तो उससे पहले बीजेपी के साथ जो सरकार चल रही थी वह बहुमत की सरकार थी. हालांकि बहुमत बहुत ज्यादा नहीं थी.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

"यही कारण था कि कई बार बिहार में उलटफेर की आशंका भी लगाई जाती रही है. लेकिन बहुमत रहने के कारण लगातार सरकार चलती रही. कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई. उथल पुथल नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद ही शुरू होती है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

विधानसभा में पार्टियों की स्थिति: बिहार में अभी आरजेडी विधानसभा में 79 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है तो वहीं भाजपा 78 सीटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी है. जदयू के पास 45 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के 19 विधायक हैं. वामपंथी दलों के 16 विधायक हैं. जीतन राम मांझी की पार्टी हम के चार विधायक हैं. वहीं एआईएमआईएम के एक विधायक हैं और एक निर्दलीय है.

नीतीश के एनडीए में वापसी के बाद की स्थिति: यदि नीतीश कुमार राजद के मंत्रियों को बर्खास्त कर फिर से बीजेपी और हम के साथ सरकार बनाते हैं तो कहीं दिक्कत नहीं होगी. क्योंकि बीजेपी के 78 और जदयू के 45 के साथ हम के चार विधायक और एक निर्दलीय विधायक मिलकर बहुमत के आंकड़ें को आसानी से छू सकते हैं. संख्या 122 से अधिक हो जाती है.

जदयू में टूट की चर्चा: लेकिन यह स्थिति तब होगी जब किसी तरह की जदयू में टूट ना हो. क्योंकि लगातार यह चर्चा चल रही थी कि जदयू में कुछ विधायक नाराज हैं. ललन सिंह और विजेंद्र यादव बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाने का विरोध कर रहे हैं, इसकी भी चर्चा हो रही है.

बिहार की राजनीति में हलचल: नीतीश कुमार जब बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाएंगे तो केवल छह विधायक ही उनके पास अधिक होगा, जिसमें जीतन राम मांझी की पार्टी के भी चार विधायक होंगे. इसलिए आने वाले कुछ दिन बिहार में हलचल मचाने वाला है.

राजद कोटे से विधानसभा अध्यक्ष: लालू प्रसाद यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. आसानी से नीतीश कुमार को सरकार बनने देंगे इसकी संभावना कम है. क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष राजद कोटे से ही बने हैं. इसलिए आने वाले समय में कोई बड़ा खेल हो जाए तो राजनीतिक जानकार इससे इनकार नहीं कर रहे हैं.

बिहार विधानसभा भंग कर सकते हैं नीतीश: सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि नीतीश कुमार बिहार विधानसभा भंग कर फिर से लोकसभा के साथ चुनाव कराना चाहते हैं, लेकिन बीजेपी शायद इसके लिए तैयार नहीं है. ऐसे में आने वाले कुछ दिनों तक बिहार की सियासत में हलचल बढ़ना तय है. इस पर सबकी नजर रहेगी कि इस बार किस प्रकार से नीतीश कुमार पाला बदलते हैं. किन शर्तों को मनवाते हैं और भाजपा अपने किन शर्तों पर नीतीश कुमार को एनडीए में लाती है.

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फिर एनडीए में जाएंगे नीतीश?: वहीं लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस पर परिवारवाद को लेकर बिना नाम लिए नीतीश कुमार ने सीधा हमला किया है. लालू प्रसाद यादव की बेटी ने उसके बाद कई ट्वीट किये. ट्वीट पर विवाद बढ़ता देख हालांकि उसे डिलीट भी कर दिया गया. रोहिणी आचार्य के ट्वीट के बाद यह साफ हो गया कि जेडीयू-आरजेडी के बीच खटास बढ़ रही है.

पाला बदलना नहीं होगा आसान: वहीं हम पार्टी सुप्रीमो जीतन राम मांझी का बयान लगातार आ रहा है जो बिहार में सियासी हलचल बढ़ाने का संकेत दे रहे हैं. राजनीतिक पंडितों की राय में बिहार में इस बार नीतीश कुमार के लिए पाला बदलना उतना आसान नहीं होने वाला है.

बहुमत नहीं.. लेकिन जलवा कायम : राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि 7 अगस्त 2022 में जब नीतीश कुमार ने राजद और महागठबंधन के घटक दलों के साथ सरकार बनाई थी तो उससे पहले बीजेपी के साथ जो सरकार चल रही थी वह बहुमत की सरकार थी. हालांकि बहुमत बहुत ज्यादा नहीं थी.

ईटीवी भारत GFX.
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"यही कारण था कि कई बार बिहार में उलटफेर की आशंका भी लगाई जाती रही है. लेकिन बहुमत रहने के कारण लगातार सरकार चलती रही. कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई. उथल पुथल नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद ही शुरू होती है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

विधानसभा में पार्टियों की स्थिति: बिहार में अभी आरजेडी विधानसभा में 79 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है तो वहीं भाजपा 78 सीटों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी है. जदयू के पास 45 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस के 19 विधायक हैं. वामपंथी दलों के 16 विधायक हैं. जीतन राम मांझी की पार्टी हम के चार विधायक हैं. वहीं एआईएमआईएम के एक विधायक हैं और एक निर्दलीय है.

नीतीश के एनडीए में वापसी के बाद की स्थिति: यदि नीतीश कुमार राजद के मंत्रियों को बर्खास्त कर फिर से बीजेपी और हम के साथ सरकार बनाते हैं तो कहीं दिक्कत नहीं होगी. क्योंकि बीजेपी के 78 और जदयू के 45 के साथ हम के चार विधायक और एक निर्दलीय विधायक मिलकर बहुमत के आंकड़ें को आसानी से छू सकते हैं. संख्या 122 से अधिक हो जाती है.

जदयू में टूट की चर्चा: लेकिन यह स्थिति तब होगी जब किसी तरह की जदयू में टूट ना हो. क्योंकि लगातार यह चर्चा चल रही थी कि जदयू में कुछ विधायक नाराज हैं. ललन सिंह और विजेंद्र यादव बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाने का विरोध कर रहे हैं, इसकी भी चर्चा हो रही है.

बिहार की राजनीति में हलचल: नीतीश कुमार जब बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाएंगे तो केवल छह विधायक ही उनके पास अधिक होगा, जिसमें जीतन राम मांझी की पार्टी के भी चार विधायक होंगे. इसलिए आने वाले कुछ दिन बिहार में हलचल मचाने वाला है.

राजद कोटे से विधानसभा अध्यक्ष: लालू प्रसाद यादव राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. आसानी से नीतीश कुमार को सरकार बनने देंगे इसकी संभावना कम है. क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष राजद कोटे से ही बने हैं. इसलिए आने वाले समय में कोई बड़ा खेल हो जाए तो राजनीतिक जानकार इससे इनकार नहीं कर रहे हैं.

बिहार विधानसभा भंग कर सकते हैं नीतीश: सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि नीतीश कुमार बिहार विधानसभा भंग कर फिर से लोकसभा के साथ चुनाव कराना चाहते हैं, लेकिन बीजेपी शायद इसके लिए तैयार नहीं है. ऐसे में आने वाले कुछ दिनों तक बिहार की सियासत में हलचल बढ़ना तय है. इस पर सबकी नजर रहेगी कि इस बार किस प्रकार से नीतीश कुमार पाला बदलते हैं. किन शर्तों को मनवाते हैं और भाजपा अपने किन शर्तों पर नीतीश कुमार को एनडीए में लाती है.

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Last Updated : Jan 26, 2024, 12:45 PM IST
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