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वर्ल्ड एलीफेंट डे: क्यों अलग हैं झारखंड के हाथी? सिंहभूम एलीफेंट रिजर्व और पीटीआर के हाथियों में भी कई अंतर - World Elephant Day 2024 - WORLD ELEPHANT DAY 2024

Elephants of Jharkhand. 12 अगस्त को वर्ल्ड एलीफेंट डे है. इस मौके पर हम आपको झारखंड के हाथियों के बारे में बताने जा रहे हैं. झारखंड के हाथी भारत के दूसरे राज्यों में मिलने वाले हाथियों से काफी अलग और खास हैं. यहां के हाथी पश्चिम बंगाल, ओडिशा और कर्नाटक के हाथियों से कम हिंसक हैं. झारखंड में भी पलामू टाइगर रिजर्व में मिलने वाले हाथी सबसे कम हिंसक होते हैं.

Elephants of Jharkhand
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 11, 2024, 9:52 AM IST

Updated : Aug 11, 2024, 9:58 AM IST

पलामू: दुनिया में सबसे ज्यादा एशियाई हाथी भारत में हैं. फिलहाल इनकी संख्या करीब 30,000 है. दक्षिण भारत के केरल से लेकर पूर्वी भारत के असम तक फैले इस एलीफेंट कॉरिडोर में ये हाथी निवास करते हैं. भारत के अन्य राज्यों में मिलने वाले हाथियों की तुलना में झारखंड में रहने वाले हाथी काफी अलग और खास हैं. झारखंड के इलाके में हाथियों की संख्या काफी ज्यादा है.

पीटीआर के उपनिदेशक से बात करते संवाददाता नीरज कुमार (ईटीवी भारत)

दूसरे राज्यों से कम हिंसक हैं झारखंड के हाथी

सिंहभूम का इलाका हाथी रिजर्व क्षेत्र कहलाता है. वहीं पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में भी बड़ी संख्या में हाथी निवास करते हैं. झारखंड के हाथी पश्चिम बंगाल, ओडिशा और कर्नाटक के हाथियों से कम हिंसक हैं. झारखंड में भी पलामू टाइगर रिजर्व में मिलने वाले हाथी सबसे कम हिंसक होते हैं. इसका एक कारण यह भी है कि झारखंड के पलामू इलाके को छोड़कर बाकी इलाके में मयूरभंजी हाथी हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में करीब 180 से ज्यादा हाथी हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में मिलने वाले हाथी का जेनेटिक क्या है? इसपर फिलहाल शोध चल रहा है.

हर साल होती है दो लोगों की मौत

भारत में हाथियों और इंसानों के बीच संघर्ष के कारण हर साल सैकड़ों लोगों की मौत होती है. एक सर्वे के मुताबिक भारत में हाथियों से संघर्ष के कारण औसतन दो लोगों की प्रतिदिन मौत होती है. 2023 में झारखंड में हाथियों के कारण 96 लोगों की मौत हुई, जबकि पूरे भारत में 628 लोगों की मौत हुई. झारखंड और देश के दूसरे राज्यों में हाथियों से संघर्ष और मौतौं के बीच में काफी अंतर है. इसके पीछे का कारण यह है कि यहां के हाथी दूसरे राज्यों से काफी अलग हैं.

झारखंड में हाथियों की स्थिति और अन्य मामलों को लेकर ईटीवी भारत ने पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेशकांत जेना से बात की. इस दौरान उन्होंने यहां के हाथियों के विशेषताओं के बारे में भी जानकारी दी.

झारखंड के हाथियों में हिंसा की प्रवृत्ति बहुत कम

पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेशकांत जेना कहते हैं कि झारखंड के हाथी दूसरे इलाकों के हाथियों के मुकाबले कम हिंसक होते हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह यहां के हाथियों का जेनेटिक अंतर है. वहीं, इलाके के हाथी संपन्न हैं, क्योंकि झारखंड का ज्यादातर इलाका जंगल है. झारखंड में सिंहभूम हाथी कॉरिडोर और रिजर्व एरिया झारखंड छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल से जुड़ा हुआ है और साथ ही केरल से असम तक के बीच की यह एक अहम कड़ी है. वह बताते हैं कि हाथियों के कई कॉरिडोर पर इंसानों ने कब्जा कर लिया है. जिसके कारण आए दिन संघर्ष देखने को मिलते हैं.

सरगुजा के महाराजा ने पलामू क्षेत्र में छोड़े थे हाथी

उपनिदेशक कहते हैं कि इतिहास में उल्लेख है कि सरगुजा के महाराजा ने पलामू क्षेत्र में बड़ी संख्या में हाथी छोड़े थे. वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया पलामू क्षेत्र के हाथियों पर शोध कर रहा है और पलामू क्षेत्र के हाथियों की जेनेटिक का पता लगाने का प्रयास कर रहा है. पलामू क्षेत्र के हाथियों की अपनी खास पहचना है. एक तो वे बहुत कम हिंसक होते हैं, वहीं उनके एक दांत होते हैं. इलाके में बड़ी संख्या वैसे हाथियों की भी है, जो बिना दांत के होते हैं. उन्होंने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 180 से अधिक हाथी हैं.

इलेक्ट्रिक फेंसिंग लगाने की तैयारी

हाथी कॉरिडोर पर कई रिसर्च चल रहे हैं, ताकि इंसानों के साथ संघर्ष को कम किया जा सके. उपनिदेशक कहते हैं कि हाथी कॉरिडोर पर इलेक्ट्रिक फेंसिंग की तैयारी की जा रही है, इस इलेक्ट्रिक फेंसिंग से बहुत कम झटका लगेगा. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कांटेदार पौधे लगाकर हाथियों से होने वाले नुकसान को कम करने की पहल की जा रही है. उन्होंने बताया कि यह एक प्रयोग है क्योंकि हाथी बहुत स्मार्ट जानवर होते हैं.

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पीटीआर के उपनिदेशक से बात करते संवाददाता नीरज कुमार (ईटीवी भारत)

दूसरे राज्यों से कम हिंसक हैं झारखंड के हाथी

सिंहभूम का इलाका हाथी रिजर्व क्षेत्र कहलाता है. वहीं पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में भी बड़ी संख्या में हाथी निवास करते हैं. झारखंड के हाथी पश्चिम बंगाल, ओडिशा और कर्नाटक के हाथियों से कम हिंसक हैं. झारखंड में भी पलामू टाइगर रिजर्व में मिलने वाले हाथी सबसे कम हिंसक होते हैं. इसका एक कारण यह भी है कि झारखंड के पलामू इलाके को छोड़कर बाकी इलाके में मयूरभंजी हाथी हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में करीब 180 से ज्यादा हाथी हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में मिलने वाले हाथी का जेनेटिक क्या है? इसपर फिलहाल शोध चल रहा है.

हर साल होती है दो लोगों की मौत

भारत में हाथियों और इंसानों के बीच संघर्ष के कारण हर साल सैकड़ों लोगों की मौत होती है. एक सर्वे के मुताबिक भारत में हाथियों से संघर्ष के कारण औसतन दो लोगों की प्रतिदिन मौत होती है. 2023 में झारखंड में हाथियों के कारण 96 लोगों की मौत हुई, जबकि पूरे भारत में 628 लोगों की मौत हुई. झारखंड और देश के दूसरे राज्यों में हाथियों से संघर्ष और मौतौं के बीच में काफी अंतर है. इसके पीछे का कारण यह है कि यहां के हाथी दूसरे राज्यों से काफी अलग हैं.

झारखंड में हाथियों की स्थिति और अन्य मामलों को लेकर ईटीवी भारत ने पलामू टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेशकांत जेना से बात की. इस दौरान उन्होंने यहां के हाथियों के विशेषताओं के बारे में भी जानकारी दी.

झारखंड के हाथियों में हिंसा की प्रवृत्ति बहुत कम

पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेशकांत जेना कहते हैं कि झारखंड के हाथी दूसरे इलाकों के हाथियों के मुकाबले कम हिंसक होते हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह यहां के हाथियों का जेनेटिक अंतर है. वहीं, इलाके के हाथी संपन्न हैं, क्योंकि झारखंड का ज्यादातर इलाका जंगल है. झारखंड में सिंहभूम हाथी कॉरिडोर और रिजर्व एरिया झारखंड छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल से जुड़ा हुआ है और साथ ही केरल से असम तक के बीच की यह एक अहम कड़ी है. वह बताते हैं कि हाथियों के कई कॉरिडोर पर इंसानों ने कब्जा कर लिया है. जिसके कारण आए दिन संघर्ष देखने को मिलते हैं.

सरगुजा के महाराजा ने पलामू क्षेत्र में छोड़े थे हाथी

उपनिदेशक कहते हैं कि इतिहास में उल्लेख है कि सरगुजा के महाराजा ने पलामू क्षेत्र में बड़ी संख्या में हाथी छोड़े थे. वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया पलामू क्षेत्र के हाथियों पर शोध कर रहा है और पलामू क्षेत्र के हाथियों की जेनेटिक का पता लगाने का प्रयास कर रहा है. पलामू क्षेत्र के हाथियों की अपनी खास पहचना है. एक तो वे बहुत कम हिंसक होते हैं, वहीं उनके एक दांत होते हैं. इलाके में बड़ी संख्या वैसे हाथियों की भी है, जो बिना दांत के होते हैं. उन्होंने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में 180 से अधिक हाथी हैं.

इलेक्ट्रिक फेंसिंग लगाने की तैयारी

हाथी कॉरिडोर पर कई रिसर्च चल रहे हैं, ताकि इंसानों के साथ संघर्ष को कम किया जा सके. उपनिदेशक कहते हैं कि हाथी कॉरिडोर पर इलेक्ट्रिक फेंसिंग की तैयारी की जा रही है, इस इलेक्ट्रिक फेंसिंग से बहुत कम झटका लगेगा. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कांटेदार पौधे लगाकर हाथियों से होने वाले नुकसान को कम करने की पहल की जा रही है. उन्होंने बताया कि यह एक प्रयोग है क्योंकि हाथी बहुत स्मार्ट जानवर होते हैं.

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Last Updated : Aug 11, 2024, 9:58 AM IST
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