रांची: चुनावी समर में डमी प्रत्याशी के जरिए खेल बिगाड़ने वाले कंडिडेट्स की इस बार खैर नहीं है. पिछले चुनाव से सीख लेते हुए चुनाव आयोग ने इसपर अंकुश लगाने के लिए व्यापक तैयारी की है. आयोग ने ऐसे प्रत्याशियों पर नजर रखने के लिए जिला से लेकर प्रदेश स्तर पर टीम गठित की है.
आम तौर पर चुनाव के वक्त निर्दलीय प्रत्याशी के जरिए बड़े राजनीतिक दल के प्रत्याशी चुनाव खर्च छिपाने के लिए बैकडोर से काम करते हैं. जिस वजह से चुनाव मैदान में प्रत्याशियों की संख्या काफी अधिक हो जाती है. प्रत्याशियों की संख्या बढ़ने से ईवीएम में अतिरिक्त बैलेट यूनिट लगानी पड़ती है. गौरतलब है कि एक बैलेटिंग यूनिट में 16 कंडिडेट्स के लिए वोटिंग की जा सकती है, इससे ज्यादा होने पर अतिरिक्त बैलेटिंग यूनिट लगानी होगी.
डमी कंडिडेट्स पकड़े जाने पर होगी कार्रवाई-सीईओ
चुनाव मैदान में खड़े होने वाले प्रत्याशियों पर नजर रखने के लिए आयोग के द्वारा अधिकारियों की पूरी टीम खड़ी की गई है. आयोग के द्वारा पहली बार डमी कंडिडेट्स पर अंकुश लगाने के लिए जिला से लेकर प्रदेश स्तर पर तैनात अधिकारियों को विशेष जिम्मेदारी दी गई है. आयोग के द्वारा डमी कंडिडेट्स की पहचान के लिए मानक तय किए गए हैं. जिसके तहत नामांकन के बाद स्क्रूटनी और नाम वापसी तक नोमिनेशन पेपर की गहन छानबीन की जाती है.
नोमिनेशन प्रोसेस पूरा करने के बाद किसी अन्य प्रत्याशी को समर्थन देने वाले कंडिडेट्स को आयोग से अनुमति लेनी होगी. उसके बाद ही संयुक्त रूप से झंडा और बैनर का इस्तेमाल कर सकते हैं. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के अनुसार चुनाव के दौरान चुनाव खर्च बचाने के लिए डमी प्रत्याशियों का इस्तेमाल होता रहा है, जिसपर आयोग गंभीर है. इस बार वीडियो सर्विलांस टीम के अलावे गाड़ियों के परमिट एवं अन्य गतिविधि पर नजर रखी जा रही है. जो भी इस तरह के कार्यों को करते हुए पाये जायेंगे उनके विरुद्ध कारवाई की जाएगी.
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