ETV Bharat / bharat

देहरादून में तन्हाई में जीने को मजबूर बुजुर्ग, अकेलापन बना दुश्मन, सुरक्षा पर उठे सवाल - ELDERLY WORRIED ABOUT SAFETY

रिटायरमेंट सिटी देहरादून में बुजुर्ग बड़ी समस्याओं से गुजर रहे हैं, बड़े-बड़े बंगलों में बिता रहे एकांकी जीवन, अपराधियों की रहती है नजर

Etv Bharat
देहरादून में तन्हाई में जीने को मजबूर बुजुर्ग (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

देहरादून (धीरज सजवाण): उत्तराखंड की दून घाटी में बसा देहरादून शहर जो कभी अपनी स्वच्छ आबोहवा और रिटायरमेंट लाइफ के लिए जाना जाता था, वो शहर आज एक बड़ी समस्या से गुजर रहा है. वो समस्या है आलीशान कोठियों में रहने वाले अकेले बुजुर्ग और उनकी सुरक्षा. हाल ही में देहरादून के बंसत विहार इलाके में ओएनजीसी के रिटायर्ड इंजीनियर की हत्या के बाद इस तरह की चर्चाओं ने फिर से जोर पकड़ा है.

कोठी करोड़ों की लेकिन खटक रहा अकेलापन: यह कहा जाता है कि देश की किसी भी बड़ी व्यापारी और प्रेस्टीजियस सर्विस में काम करने वाले अधिकारी के रिटायरमेंट प्लान में देहरादून शहर में अपने जीवन के फुर्सत के पल बिताना शामिल होता है. देहरादून शहर में बसंत विहार, डिफेंस कॉलोनी, मोहित नगर, डालनवाला और राजपुर रोड सहित ऐसे कई इलाके हैं, जहां पर रिटायरमेंट के बाद देश के कई बड़े व्यवसायी, अधिकारी, नेता, खेल और बॉलीवुड से जुड़े प्रतिष्ठित लोगों ने अपनी बड़ी-बड़ी कोठियां बनाई हैं.

बुजुर्गों की सुनने वाला नहीं कोई: इन इलाकों में ज्यादातर समाज के उच्च वर्ग के लोगों के घर हैं, लेकिन आज यह इलाके वीरान होते जा रहे हैं. दरअसल, इन इलाकों में करोड़ों की बड़ी-बड़ी कोठियां तो हैं, लेकिन इनमें रहने वाले अब सिर्फ बुजुर्ग ही बचे हैं. परिवार के ज्यादातर सदस्य देश-विदेश में नौकरी कर रहे हैं या फिर बिजनेस.

देहरादून में बुजुर्गों को लेकर के काम करने वाली टाइम बैंक संस्था के अनुसार उत्तराखंड गठन के बाद पिछले दो दशक में बहुत तेजी से देहरादून के यह पॉश इलाके वीरान हुए हैं. यहां पर बड़े-बड़े घरों में केवल बुजुर्ग दंपति या फिर सिंगल बुजुर्ग ही बचे हैं.

खाए जा रहा अकेलापन: टाइम बैंक के सदस्य सुनली कुमार की मानें तो देहरादून के पॉश इलाकों में करोड़ों की आलीशान कोठियों में रहने वाले बुजुर्ग अकेले पड़ चुके हैं. महीनों-महीनों तक इन बुजुर्गों से बात करने वाला कोई नहीं होता है. जीवन भर चकाचौंध और व्यस्तता के बीच जीवन गुजरने वाला व्यक्ति बुढ़ापे में अकेला हो गया. कई बुजुर्गों की हालत तो ऐसी है कि जीवन साथी भी उनका साथ छोड़ गया और यही अकेलापन उन्हें खाए जा रहा है.

तन्हाई में कट रहा जीवन: टाइम बैंक ग्रुप सदस्य अवधेश कुमार के अनुसार देहरादून के मोहित नगर में फिलहाल 25 बुजुर्ग अकेले बड़े-बड़े घरों में रह रहे हैं. कुछ घरों में बुजुर्ग दंपति जोड़ा है, लेकिन कुछ ऐसे भी जिनके जीवन साथी यानी पति या पत्नी का निधन हो चुका है. ऐसे बुजुर्गों के साथ समस्या ये है कि इनके पास बात करने वाला भी कोई नहीं है.

अवधेश कुमार खुद का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि पिछले साल ही उनकी पत्नी का निधन हुआ है और अब वह बिल्कुल अकेले हैं. अवधेश कुमार बताते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ उन्हें कई तरह की बीमारियां भी घेर लेती हैं. ऐसे समय में मन और ज्यादा घबराता है. यदि उन्हें कुछ हो गया तो वो क्या करेंगे? अवधेश कुमार बताते है कि उन्हें और उन जैसे कई लोगों को कई बार इस तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ा है, लेकिन उनके पास मदद के लिए कोई नहीं था.

सुरक्षा बड़ी चुनौती: अब जिस तरह के देहरादून में क्राइम का ग्राफ बढ़ रहा है और अकेले रह रहे बुर्जुगों पर हमले हो रहे हैं, उसमें उनकी सुरक्षा पुलिस और खुद बुजुर्गों के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है. घरों में अकेले रहने वाले बुजुर्ग अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. बसंत विहार क्षेत्र में हाल ही में हुई वारदात ने सबको इस तरह सोचने पर मजबूर कर दिया है.

टाइम बैंक मुहिम से मिल रहा बुजुर्गों को सहारा: देहरादून के पॉश इलाकों में रहने वाले बुजुर्गों के पास वैसे तो कोई कमी नहीं है, लेकिन समस्या है तो अकेलेपन की है, जो उन्हें खाए जा रही है. आज की इस भागदौड़ भरी लाइफ में कोई भी बुजुर्गों को समय नहीं देना चाहता है. ऐसे में टाइम बैंक नाम की समाजसेवी संस्था ने एक मुहिम शुरू की. इस मुहिम में समय को पैसे की तरह जमा किया जाता है.

इस मुहिम के तहत अब तक सैकड़ों लोग जुड़ चुके हैं, जहां पर लोग अपना समय देते हैं और बदले में जब उन्हें किसी दूसरे का समय चाहिए होता है तो उन्हें इस टाइम बैंक में से समय मिलता है. यानी की आप जितना समय इस टाइम बैंक में देंगे यानी आप किसी दूसरे को देंगे तो जरूरत पड़ने पर आपको भी कोई इसी टाइम बैंक में से समय देगा.

दौड़ते भागते इस आधुनिक युग में अकेले पड़ रहे बुजुर्गों के लिए यह बेहद मार्मिक और लाभदायक मुहिम है. कहीं ना कहीं यह मुहिम इन बुजुर्गों के चेहरों पर थोड़ी खुशी और राहत लेकर आती है. टाइम बैंक मुहिम की शुरुआत समाज सेवी संस्था के सदस्य रोहित ने शुरू की थी.

उनका यह मानना है कि बुढ़ापा जीवन की हकीकत है. हर किसी को इस अवस्था से गुजरना है. इसलिए हमें अपनी युवावस्था में टाइम बैंक में समय देना चाहिए, ताकि बुजुर्ग होने पर जब आपको समय की जरूरत हो तो आपको कोई दूसरा समय दे पाए.

पुलिस भी कलेक्ट कर रही बुजुर्गों का डाटा: शहर में अकेले रह रहे बुजुर्गों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो देहरादून पुलिस इसका भी विशेष ध्यान रखती है. त्योहारों पर जहां पुलिसकर्मी अकेले रह रहे बुजुर्गों के घर जाकर उनसे बातचीत करते हैं और उनका हालचाल जानते हैं, तो वहीं उनकी तकलीफों का समाधान भी करते हैं.

देहरादून पुलिस के अनुसार शहर के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले सीनियर सिटीजन के सर्वे और आइडेंटिफिकेशन को समय-समय पर अभियान चलाया जाता है, लेकिन पुलिस के पास सीनियर सिटीजन का डेटा अभी काफी कम है.

एसएसपी देहरादून ने बताया कि दीवाली से पहले चलाए गए एक अभियान के बाद पुलिस के पास देहरादून के तकरीबन 2000 सीनियर सिटीजन का डाटा उपलब्ध है, लेकिन यह डाटा वास्तविकता से बेहद कम है. उन्होंने कहा कि ऐसे कई लोग देहरादून में रह रहे हैं, जो कि अपनी जानकारी या फिर अकेले होने की सूचना पुलिस तक नहीं देते हैं. ऐसे में पुलिस के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन जाता है.

देहरादून पुलिस का कहना है कि वेरीफिकेशन और सीनियर सिटीजन आइडेंटिफिकेशन को लेकर लोगों को भी जागरूक रहने की जरूरत है. क्योंकि पुलिस के पास जब सूचना होगी, तभी वह अकेले रह रहे लोगों का ख्याल रख पाएगी.

पांच दिन पहले ही हुई थी बुजुर्ग की हत्या: बता दें कि पांच दिन पहले ही बंसत विहार में दो लोगों ने घर में अकेले रहने वाले बुजुर्ग की धारदार हथियार से गोदकर हत्या कर दी. इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. हत्या का कारण लूट ही बताया गया है. आरोपियों को बुजुर्ग के पास कैश नहीं मिला तो उन्होंने बुजुर्ग का एटीएम कार्ड उठा लिया और उससे पिन पूछने लगे, लेकिन बुजुर्ग ने नहीं बताया तो आरोपियों ने बुजुर्ग की हत्या कर दी. पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया.

पढ़ें---

ONGC रिटायर्ड इंजीनियर मर्डर केस का खुलासा, ATM पिन के चक्कर में गई जान, पुलिस ने हत्यारों को दबोचा

देहरादून (धीरज सजवाण): उत्तराखंड की दून घाटी में बसा देहरादून शहर जो कभी अपनी स्वच्छ आबोहवा और रिटायरमेंट लाइफ के लिए जाना जाता था, वो शहर आज एक बड़ी समस्या से गुजर रहा है. वो समस्या है आलीशान कोठियों में रहने वाले अकेले बुजुर्ग और उनकी सुरक्षा. हाल ही में देहरादून के बंसत विहार इलाके में ओएनजीसी के रिटायर्ड इंजीनियर की हत्या के बाद इस तरह की चर्चाओं ने फिर से जोर पकड़ा है.

कोठी करोड़ों की लेकिन खटक रहा अकेलापन: यह कहा जाता है कि देश की किसी भी बड़ी व्यापारी और प्रेस्टीजियस सर्विस में काम करने वाले अधिकारी के रिटायरमेंट प्लान में देहरादून शहर में अपने जीवन के फुर्सत के पल बिताना शामिल होता है. देहरादून शहर में बसंत विहार, डिफेंस कॉलोनी, मोहित नगर, डालनवाला और राजपुर रोड सहित ऐसे कई इलाके हैं, जहां पर रिटायरमेंट के बाद देश के कई बड़े व्यवसायी, अधिकारी, नेता, खेल और बॉलीवुड से जुड़े प्रतिष्ठित लोगों ने अपनी बड़ी-बड़ी कोठियां बनाई हैं.

बुजुर्गों की सुनने वाला नहीं कोई: इन इलाकों में ज्यादातर समाज के उच्च वर्ग के लोगों के घर हैं, लेकिन आज यह इलाके वीरान होते जा रहे हैं. दरअसल, इन इलाकों में करोड़ों की बड़ी-बड़ी कोठियां तो हैं, लेकिन इनमें रहने वाले अब सिर्फ बुजुर्ग ही बचे हैं. परिवार के ज्यादातर सदस्य देश-विदेश में नौकरी कर रहे हैं या फिर बिजनेस.

देहरादून में बुजुर्गों को लेकर के काम करने वाली टाइम बैंक संस्था के अनुसार उत्तराखंड गठन के बाद पिछले दो दशक में बहुत तेजी से देहरादून के यह पॉश इलाके वीरान हुए हैं. यहां पर बड़े-बड़े घरों में केवल बुजुर्ग दंपति या फिर सिंगल बुजुर्ग ही बचे हैं.

खाए जा रहा अकेलापन: टाइम बैंक के सदस्य सुनली कुमार की मानें तो देहरादून के पॉश इलाकों में करोड़ों की आलीशान कोठियों में रहने वाले बुजुर्ग अकेले पड़ चुके हैं. महीनों-महीनों तक इन बुजुर्गों से बात करने वाला कोई नहीं होता है. जीवन भर चकाचौंध और व्यस्तता के बीच जीवन गुजरने वाला व्यक्ति बुढ़ापे में अकेला हो गया. कई बुजुर्गों की हालत तो ऐसी है कि जीवन साथी भी उनका साथ छोड़ गया और यही अकेलापन उन्हें खाए जा रहा है.

तन्हाई में कट रहा जीवन: टाइम बैंक ग्रुप सदस्य अवधेश कुमार के अनुसार देहरादून के मोहित नगर में फिलहाल 25 बुजुर्ग अकेले बड़े-बड़े घरों में रह रहे हैं. कुछ घरों में बुजुर्ग दंपति जोड़ा है, लेकिन कुछ ऐसे भी जिनके जीवन साथी यानी पति या पत्नी का निधन हो चुका है. ऐसे बुजुर्गों के साथ समस्या ये है कि इनके पास बात करने वाला भी कोई नहीं है.

अवधेश कुमार खुद का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि पिछले साल ही उनकी पत्नी का निधन हुआ है और अब वह बिल्कुल अकेले हैं. अवधेश कुमार बताते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ उन्हें कई तरह की बीमारियां भी घेर लेती हैं. ऐसे समय में मन और ज्यादा घबराता है. यदि उन्हें कुछ हो गया तो वो क्या करेंगे? अवधेश कुमार बताते है कि उन्हें और उन जैसे कई लोगों को कई बार इस तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ा है, लेकिन उनके पास मदद के लिए कोई नहीं था.

सुरक्षा बड़ी चुनौती: अब जिस तरह के देहरादून में क्राइम का ग्राफ बढ़ रहा है और अकेले रह रहे बुर्जुगों पर हमले हो रहे हैं, उसमें उनकी सुरक्षा पुलिस और खुद बुजुर्गों के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है. घरों में अकेले रहने वाले बुजुर्ग अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. बसंत विहार क्षेत्र में हाल ही में हुई वारदात ने सबको इस तरह सोचने पर मजबूर कर दिया है.

टाइम बैंक मुहिम से मिल रहा बुजुर्गों को सहारा: देहरादून के पॉश इलाकों में रहने वाले बुजुर्गों के पास वैसे तो कोई कमी नहीं है, लेकिन समस्या है तो अकेलेपन की है, जो उन्हें खाए जा रही है. आज की इस भागदौड़ भरी लाइफ में कोई भी बुजुर्गों को समय नहीं देना चाहता है. ऐसे में टाइम बैंक नाम की समाजसेवी संस्था ने एक मुहिम शुरू की. इस मुहिम में समय को पैसे की तरह जमा किया जाता है.

इस मुहिम के तहत अब तक सैकड़ों लोग जुड़ चुके हैं, जहां पर लोग अपना समय देते हैं और बदले में जब उन्हें किसी दूसरे का समय चाहिए होता है तो उन्हें इस टाइम बैंक में से समय मिलता है. यानी की आप जितना समय इस टाइम बैंक में देंगे यानी आप किसी दूसरे को देंगे तो जरूरत पड़ने पर आपको भी कोई इसी टाइम बैंक में से समय देगा.

दौड़ते भागते इस आधुनिक युग में अकेले पड़ रहे बुजुर्गों के लिए यह बेहद मार्मिक और लाभदायक मुहिम है. कहीं ना कहीं यह मुहिम इन बुजुर्गों के चेहरों पर थोड़ी खुशी और राहत लेकर आती है. टाइम बैंक मुहिम की शुरुआत समाज सेवी संस्था के सदस्य रोहित ने शुरू की थी.

उनका यह मानना है कि बुढ़ापा जीवन की हकीकत है. हर किसी को इस अवस्था से गुजरना है. इसलिए हमें अपनी युवावस्था में टाइम बैंक में समय देना चाहिए, ताकि बुजुर्ग होने पर जब आपको समय की जरूरत हो तो आपको कोई दूसरा समय दे पाए.

पुलिस भी कलेक्ट कर रही बुजुर्गों का डाटा: शहर में अकेले रह रहे बुजुर्गों को किसी तरह की कोई दिक्कत न हो देहरादून पुलिस इसका भी विशेष ध्यान रखती है. त्योहारों पर जहां पुलिसकर्मी अकेले रह रहे बुजुर्गों के घर जाकर उनसे बातचीत करते हैं और उनका हालचाल जानते हैं, तो वहीं उनकी तकलीफों का समाधान भी करते हैं.

देहरादून पुलिस के अनुसार शहर के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले सीनियर सिटीजन के सर्वे और आइडेंटिफिकेशन को समय-समय पर अभियान चलाया जाता है, लेकिन पुलिस के पास सीनियर सिटीजन का डेटा अभी काफी कम है.

एसएसपी देहरादून ने बताया कि दीवाली से पहले चलाए गए एक अभियान के बाद पुलिस के पास देहरादून के तकरीबन 2000 सीनियर सिटीजन का डाटा उपलब्ध है, लेकिन यह डाटा वास्तविकता से बेहद कम है. उन्होंने कहा कि ऐसे कई लोग देहरादून में रह रहे हैं, जो कि अपनी जानकारी या फिर अकेले होने की सूचना पुलिस तक नहीं देते हैं. ऐसे में पुलिस के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन जाता है.

देहरादून पुलिस का कहना है कि वेरीफिकेशन और सीनियर सिटीजन आइडेंटिफिकेशन को लेकर लोगों को भी जागरूक रहने की जरूरत है. क्योंकि पुलिस के पास जब सूचना होगी, तभी वह अकेले रह रहे लोगों का ख्याल रख पाएगी.

पांच दिन पहले ही हुई थी बुजुर्ग की हत्या: बता दें कि पांच दिन पहले ही बंसत विहार में दो लोगों ने घर में अकेले रहने वाले बुजुर्ग की धारदार हथियार से गोदकर हत्या कर दी. इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. हत्या का कारण लूट ही बताया गया है. आरोपियों को बुजुर्ग के पास कैश नहीं मिला तो उन्होंने बुजुर्ग का एटीएम कार्ड उठा लिया और उससे पिन पूछने लगे, लेकिन बुजुर्ग ने नहीं बताया तो आरोपियों ने बुजुर्ग की हत्या कर दी. पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया.

पढ़ें---

ONGC रिटायर्ड इंजीनियर मर्डर केस का खुलासा, ATM पिन के चक्कर में गई जान, पुलिस ने हत्यारों को दबोचा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.