पलामू: अजोला (azolla) के जरिए बाघों के हैबिटेट को बचाने की पहल की जा रही है. अजोला शैवाल और घास से मिलती-जुलती एक प्रजाति है जो पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल होती है. अजोला हाई प्रोटीन चारा है. यही अजोला अब एशिया प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व के आसपास मौजूद ग्रामीणों को दिए जाने की तैयारी है ताकि वे इसका इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप के कर सकें.
पलामू टाइगर रिजर्व में करीब चार लाख मवेशी मौजूद हैं. यह मवेशी प्रतिदिन चारा के लिए पीटीआर में जाते हैं. मवेशियों को जंगल में जाने से रोकना पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती है. मवेशी पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के हैबिटेट और इको सिस्टम को भी प्रभावित कर रहे है. मवेशियों को रोकने के लिए पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने अजोला को अपनाने की योजना है.
अजोला बड़ी तेजी से तैयार होती है और हाई प्रोटीन वाली होती है. प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार ने बताया कि अजोला काफी हाई प्रोटीन वाला चारा है. दुधारू पशुओं के लिए काफी फायदेमंद होता है. अजोला खिलाने से 20 प्रतिशत तक दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. इसके इस्तेमाल से पशुओं को बीमारी भी नहीं होती है.
दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व अजोला की मदद से मवेशियों को जंगलों में जाने से रोकना चाहता है. पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने लातेहार जिला प्रशासन के साथ मिलकर अजोला को अपनाने की योजना तैयार किया है. लातेहार जिला प्रशासन ने डीएमएफटी फंड से ग्रामीणों को अजोला उपलब्ध करवाने की योजना को तैयार किया है. यह योजना पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के गांव में दिया जाना है.
शुरुआत में 10 से 12 गांव के लोगों को दिया जाना है अजोला, महाराष्ट्र से लाने की है योजना
पलामू टाइगर रिजर्व और उसके आसपास 260 से अधिक गांव मौजूद हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि शुरुआत में पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के आसपास मौजूद 10 से 12 गांव के लोगों को अनुदान पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत अजोला देगी. इसके साथ ग्रामीणों को इसके उत्पादन को लेकर प्रशिक्षित किया जाएगा. ग्रामीणों को अजोला के बारे में जानकारी दी जाएगी ताकि वह इसका इस्तेमाल कर सकें. पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन मवेशी को जंगल में दाखिल होने से रोकने के लिए इस तरह की योजना पर कार्य कर रहा है. प्रजेशकांत ने बताया कि अजोला काफी हाई प्रोटीन वाला होता है, ग्रामीणों को इससे काफी फायदा होने वाला है. उन्होंने बताया कि शुरुआत में अजोला की खेप को महाराष्ट्र से लायी जाएगी.
ग्रामीणों को अजोला और बर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से जोड़ा जाएगा
पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने ग्रामीणों को अजोला और बर्मी कंपोस्ट के उत्पादन से भी जोड़ने की योजना को तैयार किया है. उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना बताते हैं कि अजोला का पूरे वर्ष उत्पादन हो सकता है और इस पर गर्मी का भी अधिक प्रभाव नहीं होता है. ग्रामीणों की शुरुआत में इसके उत्पादन को लेकर प्रशिक्षण दिया जाना है. ग्रामीणों को अजोला के उत्पादन इस्तेमाल के साथ-साथ बर्मी कंपोस्ट के उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा. पीटीआर और सके अगल-बगल चार लाख मवेशी मौजूद है जो पूरी तरह से चारा के लिए जंगल पर निर्भर, अगले कुछ वर्षों में इस निर्भरता को खत्म करना है. बर्मी कंपोस्ट के लिए भी बाजार उपलब्ध कराया जाएगा.
ये भी पढ़ें:
क्या है टाइगर मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल! जिसके माध्यम से बाघों के मूवमेंट की होती है निगरानी
पीटीआर के कैमरे में दो महीने में चौथी बार कैद हुई बाघ की तस्वीर, विभाग में जारी किया हाई अलर्ट