ETV Bharat / bharat

ED ने केजरीवाल की जमानत याचिका का किया विरोध, कहा- चुनाव प्रचार मौलिक अधिकार नहीं - SC on kejriwal interim bail

Delhi Excise Policy Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार करने की अनुमति मिलेगी या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को फैसला सुना सकता है. इससे पहले ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि चुनाव प्रचार करना कोई मौलिक अधिकार नहीं है, जिसका लाभ केजरीवाल को मिल सके.

Arvind Kejriwal
अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के मुख्यमंत्री (ETV Bharat (File Photo))
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 9, 2024, 5:52 PM IST

Updated : May 9, 2024, 6:01 PM IST

नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से एक दिन पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली शराब नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री को अंतरिम जमानत देने का विरोध करते हुए एक नया हलफनामा दायर किया. ईडी ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव प्रचार का अधिकार 'मौलिक नहीं' है. ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां राजनेताओं ने न्यायिक हिरासत में चुनाव लड़ा और कुछ जीते भी हैं, लेकिन उन्हें इस आधार पर कभी भी अंतरिम जमानत नहीं दी गई.

शीर्ष अदालत ने बुधवार को संकेत दिया था कि वह केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर अपना आदेश सुना सकती है. ईडी के उप निदेशक भानु प्रिया द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि चुनाव प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक. यहां तक ​​कि कानूनी अधिकार भी नहीं.

हलफनामे में कहा गया है कि 'अभिसाक्षी की जानकारी में किसी भी राजनीतिक नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार न हो. चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को भी अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है, अगर वह अपने प्रचार के लिए हिरासत में है'.

शीर्ष अदालत से केजरीवाल की अंतरिम जमानत की याचिका खारिज करने का आग्रह करते हुए ईडी ने कहा कि न्यायिक हिरासत में रहते हुए वोट देने का अधिकार भी है, जिसे यह अदालत वैधानिक/संवैधानिक अधिकार मानती है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62(5) के आधार पर कानून द्वारा कटौती की जाती है. ईडी ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां राजनेताओं ने न्यायिक हिरासत में चुनाव लड़ा और कुछ ने जीत भी हासिल की, लेकिन उन्हें इस आधार पर कभी अंतरिम जमानत नहीं दी गई.

केंद्रीय एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि आप नेता को अंतरिम जमानत देना कानून के स्थापित सिद्धांतों के विपरीत होगा और कानून के शासन का भी उल्लंघन होगा जो संविधान की मूल विशेषता है. इस तरह का दृष्टिकोण प्रत्येक अपराधी को राजनेता बनने और देश में बड़े पैमाने पर अपराध और कानून का उल्लंघन करते हुए पूरे वर्ष अभियान मोड में रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा. ईडी ने इस बात पर जोर दिया कि 'आम चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत देकर उनके पक्ष में कोई भी विशेष रियायत कानून के शासन और समानता के लिए अभिशाप होगी. ये एक मिसाल कायम होगी, जो सभी बेईमान राजनेताओं को किसी न किसी चुनाव की आड़ में अपराध करने और जांच से बचने की अनुमति देगा'.

ईडी ने कहा, 'ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जो किसी किसान या अपना व्यवसाय आगे बढ़ाने की इच्छा रखने वाले व्यवसायी के खिलाफ प्रचार करने वाले राजनेता के साथ अलग व्यवहार करने को उचित ठहराता हो'. ईडी ने कहा कि अगर प्रचार के अधिकार को अंतरिम जमानत देने के आधार के रूप में माना जाता है तो यह अनुच्छेद 14 के सिद्धांतों का उल्लंघन होगा. एक राजनेता एक सामान्य नागरिक से अधिक किसी विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकता है. किसी अन्य नागरिक की तरह ही अपराध करने पर उसे गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है.

पढ़ें: केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर शुक्रवार को आ सकता है फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने दिए संकेत

नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से एक दिन पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली शराब नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री को अंतरिम जमानत देने का विरोध करते हुए एक नया हलफनामा दायर किया. ईडी ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव प्रचार का अधिकार 'मौलिक नहीं' है. ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां राजनेताओं ने न्यायिक हिरासत में चुनाव लड़ा और कुछ जीते भी हैं, लेकिन उन्हें इस आधार पर कभी भी अंतरिम जमानत नहीं दी गई.

शीर्ष अदालत ने बुधवार को संकेत दिया था कि वह केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर अपना आदेश सुना सकती है. ईडी के उप निदेशक भानु प्रिया द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि चुनाव प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक. यहां तक ​​कि कानूनी अधिकार भी नहीं.

हलफनामे में कहा गया है कि 'अभिसाक्षी की जानकारी में किसी भी राजनीतिक नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार न हो. चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को भी अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है, अगर वह अपने प्रचार के लिए हिरासत में है'.

शीर्ष अदालत से केजरीवाल की अंतरिम जमानत की याचिका खारिज करने का आग्रह करते हुए ईडी ने कहा कि न्यायिक हिरासत में रहते हुए वोट देने का अधिकार भी है, जिसे यह अदालत वैधानिक/संवैधानिक अधिकार मानती है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62(5) के आधार पर कानून द्वारा कटौती की जाती है. ईडी ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां राजनेताओं ने न्यायिक हिरासत में चुनाव लड़ा और कुछ ने जीत भी हासिल की, लेकिन उन्हें इस आधार पर कभी अंतरिम जमानत नहीं दी गई.

केंद्रीय एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि आप नेता को अंतरिम जमानत देना कानून के स्थापित सिद्धांतों के विपरीत होगा और कानून के शासन का भी उल्लंघन होगा जो संविधान की मूल विशेषता है. इस तरह का दृष्टिकोण प्रत्येक अपराधी को राजनेता बनने और देश में बड़े पैमाने पर अपराध और कानून का उल्लंघन करते हुए पूरे वर्ष अभियान मोड में रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा. ईडी ने इस बात पर जोर दिया कि 'आम चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत देकर उनके पक्ष में कोई भी विशेष रियायत कानून के शासन और समानता के लिए अभिशाप होगी. ये एक मिसाल कायम होगी, जो सभी बेईमान राजनेताओं को किसी न किसी चुनाव की आड़ में अपराध करने और जांच से बचने की अनुमति देगा'.

ईडी ने कहा, 'ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है जो किसी किसान या अपना व्यवसाय आगे बढ़ाने की इच्छा रखने वाले व्यवसायी के खिलाफ प्रचार करने वाले राजनेता के साथ अलग व्यवहार करने को उचित ठहराता हो'. ईडी ने कहा कि अगर प्रचार के अधिकार को अंतरिम जमानत देने के आधार के रूप में माना जाता है तो यह अनुच्छेद 14 के सिद्धांतों का उल्लंघन होगा. एक राजनेता एक सामान्य नागरिक से अधिक किसी विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकता है. किसी अन्य नागरिक की तरह ही अपराध करने पर उसे गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है.

पढ़ें: केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर शुक्रवार को आ सकता है फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने दिए संकेत

Last Updated : May 9, 2024, 6:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.