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OPS से खुश हिमाचल के कर्मचारी अब सैलरी के लिए चिंतित, सुख की सरकार का खजाना खाली! - Economic crisis in Himachal - ECONOMIC CRISIS IN HIMACHAL

Economic crisis in Himachal: हिमाचल प्रदेश का आर्थिक संकट इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. अगस्त महीने की सैलरी और पेंशन अब तक कर्मचारियों और पेंशनर्स के खाते में क्रेडिट नहीं हुई है. हिमाचल प्रदेश पर मौजूदा समय में 87 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. हिमाचल का ये वित्तीय संकट प्रदेश के लोगों को डराने लगा है. डिटेल में पढ़ें खबर...

हिमाचल पर वित्तीय संकट
हिमाचल पर वित्तीय संकट (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 3, 2024, 7:48 PM IST

Updated : Sep 3, 2024, 8:26 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश का वित्तीय संकट नेशनल इश्यू बन गया है. प्रदेश के कर्मचारी अगस्त महीने में सरकार से लंबित पड़े डीए व एरियर की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनर्स को क्या पता था कि उनकी अगस्त महीने की सैलरी और पेंशन डिले होने वाली है.

वैसे तो अगर किसी महीने की शुरुआत रविवार से होती है तो पिछले महीने की आखिरी तारीख को हिमाचल में कर्मचारियों और पेंशनर्स की पेंशन क्रेडिट हो जाती है. सामान्य दिनों में प्रदेश के कर्मचारियों की सैलरी महीने की पहली तारीख को क्रेडिट होती है. सितंबर महीने की पहली तारीख को भी इस बार रविवार पड़ा. ऐसे में कर्मचारियों ने सोचा पब्लिक हॉलीडे होने के चलते वेतन खाते में नहीं आया. कर्मचारी 2 सितंबर को भी पूरा दिन इंतजार करते रहे लेकिन सैलरी खाते में क्रेडिट नहीं हुई. इसके बाद कर्मचारियों ने अपने सोशल मीडिया ग्रुप्स पर सैलरी ना आने को लेकर जमकर पोस्ट किए.

हालांकि इसका संकेत सुक्खू सरकार अगस्त महीने के अंत में दे चुकी थी. प्रदेश के आर्थिक संकट का हवाला देकर सीएम ने कहा था अभी प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में मुख्यमंत्री, मंत्री और सीपीएम के वेतन और भत्ते दो महीने तक विलंबित किए जाएंगे. हालांकि वित्तीय स्थिती ठीक होने पर इन्हें जारी किया जाएगा.

प्रदेश में हैं 2 लाख से अधिक कर्मचारी

हिमाचल प्रदेश में मौजूदा समय में करीब 2 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी और डेढ़ लाख पेंशनर्स हैं. इन्हें पेंशन और वेतन देने के लिए प्रदेश सरकार को हर महीने 2 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होती है. 1200 करोड़ रुपये सीधे तौर पर कर्मचारियों के वेतन पर खर्चा होता है और 800 करोड़ रुपये पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च होता है.

सरकार के खजाने में नहीं पैसा

हिमाचल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि कर्मचारियों को पहली तारीख को वेतन नहीं मिला है. सरकार के खजाने में वेतन व पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है. ट्रेजरी यानी कोषागार सिर्फ 750 करोड़ रुपये का ओवर ड्राफ्ट झेल सकता है. यानी सरकार की ओवर ट्राफ्ट लिमिट 750 करोड़ रुपये ही है. सरकार चाहे तो ट्रेजरी से सिर्फ 750 करोड़ रुपये ही ड्रॉ कर सकती है.

साधारण शब्दों में कहें तो यदि सरकार के खजाने में एक भी रुपया न हो तो भी 750 करोड़ रुपए ड्रॉ हो सकते हैं. इससे अधिक ड्रॉ किए गए तो आरबीआई पेनल्टी लगा देगी. अब सरकार की उम्मीद केवल केंद्र से आने वाले रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट पर ही है. ये ग्रांट पांच सितंबर को आएगी तो बैंक में छह सितंबर को इसका इंपैक्ट आएगा. यानी अब वेतन की उम्मीद छह तारीख को ही है.

राज्य सरकार के सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार राकेश ने सोशल मीडिया पर लिखा "अपने पचास साल के इन्साइडर वाले अनुभव से लिख रहे हैं कि हिमाचल जैसे अथाह कुदरती संसाधनों वाले राज्य में यह स्थिति पहली बार आई है. ये आर्थिक संकट जितना दिखता है, उससे कहीं अधिक भयावह है"

वहीं, राज्य के स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर रहे डॉ. रमेश चंद ने भी सोशल मीडिया पर लिखा "सुबह आंख खुलने से पहले ही पहली तारीख को तनख्वाहें/पेंशन खाते में आ जाती थी...फिलहाल, अब सैलेरी के लिए पांच अथवा छह तारीख का इंतजार रहेगा"

हिमाचल पर है करीब 87 हजार करोड़ रुपये कर्ज

कर्ज के मामले में हिमाचल एक लाख करोड़ वाले राज्यों की श्रेणी में शामिल होने वाला है. पहाड़ी राज्यों में हिमाचल प्रदेश कर्ज के मामले में टॉप पर है. राज्य पर अभी 87 हजार करोड़ रुपए के करीब कर्ज है. हालात ये हो गए हैं कि अब कर्ज लेकर भी बात नहीं बनेगी. सुखविंदर सरकार ने 15 दिसंबर 2022 से लेकर 31 जुलाई 2024 तक कुल 21,366 करोड़ रुपये का लोन लिया है. सरकार ने इस दौरान बेशक 5864 करोड़ रुपये का कर्ज वापस भी किया, लेकिन इससे स्थितियां सुधरने वाली नहीं हैं. सरकार ने जीपीएफ के अगेंस्ट पहली जनवरी 2023 से 31 जुलाई 2024 तक की अवधि में भी 2810 करोड़ रुपये का लोन लिया है. अगले साल मार्च महीने में हिमाचल सरकार पर 92 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज का अनुमान है. फिर अगले साल किसी भी समय राज्य के कर्ज का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये को छू सकता है. ऐसे में वेतन व पेंशन के लिए जुगाड़ करना आसान नहीं होगा.

जयराम ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष (ETV Bharat)

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सत्ता पक्ष पर उठाए सवाल

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश की आर्थिक स्थिती को लेकर सत्ता पक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा "यह काफी समय बाद हुआ है कि 2 तारीख बीत जाने के बाद भी सैलरी और पेंशन नहीं मिल पाई है. हिमाचल दिवालियापन की ओर बढ़ता जा रहा है. कई बार सीएम बोलते हैं हालात खराब हैं और कई बार कहते हैं हालात खराब नहीं हैं. हैरानी तब होती है जब सीएम कहते हैं कि साल 2027 तक हिमाचल प्रदेश पूरे देश का सबसे समृद्ध राज्य होगा. ऐसे में सीएम के इस बयान पर हैरानी होती है. यहां सैलरी और पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है."

सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश (ETV Bharat)

सीएम सुक्खू मांग रहे कर्मचारियों से सहयोग

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के आर्थिक संकट को लेकर कर्मचारियों से सहयोग की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा "हम आर्थिक संकट से उभर रहे हैं. पिछले साल भी आर्थिक संकट था और हमारी सरकार ने 2200 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया. सरकार ने शराब के ठेकों की नीलामी से एक साल में 485 करोड़ रुपये की कमाई की. इसके अलावा हमने बैट लगाकर और अन्य संसाधनों से कमाई की."

सीएम ने कहा "पूर्व की भाजपा सरकार ने पांच साल में 600 करोड़ रुपये कमाए. सरकार की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था में 20 फीसदी का सुधार हुआ है. इससे धीरे-धीरे हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी और साल 2027 में हम आत्मनिर्भर बन जाएंगे."

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कांग्रेस सरकार नहीं दे पाई वेतन और पेंशन, राज्य के इतिहास में पहली बार महीने की शुरुआत में नहीं आई सैलरी

ये भी पढ़ें: "हिमाचल पर घोर वित्तीय संकट", हर महीने सैलरी और पेंशन के लिए चाहिए इतने करोड़

ये भी पढ़ें: पहाड़ी राज्यों में सबसे बड़ा कर्जदार है हिमाचल, अगले साल एक लाख करोड़ हो जाएगा उधार का भार

शिमला: हिमाचल प्रदेश का वित्तीय संकट नेशनल इश्यू बन गया है. प्रदेश के कर्मचारी अगस्त महीने में सरकार से लंबित पड़े डीए व एरियर की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनर्स को क्या पता था कि उनकी अगस्त महीने की सैलरी और पेंशन डिले होने वाली है.

वैसे तो अगर किसी महीने की शुरुआत रविवार से होती है तो पिछले महीने की आखिरी तारीख को हिमाचल में कर्मचारियों और पेंशनर्स की पेंशन क्रेडिट हो जाती है. सामान्य दिनों में प्रदेश के कर्मचारियों की सैलरी महीने की पहली तारीख को क्रेडिट होती है. सितंबर महीने की पहली तारीख को भी इस बार रविवार पड़ा. ऐसे में कर्मचारियों ने सोचा पब्लिक हॉलीडे होने के चलते वेतन खाते में नहीं आया. कर्मचारी 2 सितंबर को भी पूरा दिन इंतजार करते रहे लेकिन सैलरी खाते में क्रेडिट नहीं हुई. इसके बाद कर्मचारियों ने अपने सोशल मीडिया ग्रुप्स पर सैलरी ना आने को लेकर जमकर पोस्ट किए.

हालांकि इसका संकेत सुक्खू सरकार अगस्त महीने के अंत में दे चुकी थी. प्रदेश के आर्थिक संकट का हवाला देकर सीएम ने कहा था अभी प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में मुख्यमंत्री, मंत्री और सीपीएम के वेतन और भत्ते दो महीने तक विलंबित किए जाएंगे. हालांकि वित्तीय स्थिती ठीक होने पर इन्हें जारी किया जाएगा.

प्रदेश में हैं 2 लाख से अधिक कर्मचारी

हिमाचल प्रदेश में मौजूदा समय में करीब 2 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी और डेढ़ लाख पेंशनर्स हैं. इन्हें पेंशन और वेतन देने के लिए प्रदेश सरकार को हर महीने 2 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होती है. 1200 करोड़ रुपये सीधे तौर पर कर्मचारियों के वेतन पर खर्चा होता है और 800 करोड़ रुपये पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च होता है.

सरकार के खजाने में नहीं पैसा

हिमाचल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि कर्मचारियों को पहली तारीख को वेतन नहीं मिला है. सरकार के खजाने में वेतन व पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है. ट्रेजरी यानी कोषागार सिर्फ 750 करोड़ रुपये का ओवर ड्राफ्ट झेल सकता है. यानी सरकार की ओवर ट्राफ्ट लिमिट 750 करोड़ रुपये ही है. सरकार चाहे तो ट्रेजरी से सिर्फ 750 करोड़ रुपये ही ड्रॉ कर सकती है.

साधारण शब्दों में कहें तो यदि सरकार के खजाने में एक भी रुपया न हो तो भी 750 करोड़ रुपए ड्रॉ हो सकते हैं. इससे अधिक ड्रॉ किए गए तो आरबीआई पेनल्टी लगा देगी. अब सरकार की उम्मीद केवल केंद्र से आने वाले रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट पर ही है. ये ग्रांट पांच सितंबर को आएगी तो बैंक में छह सितंबर को इसका इंपैक्ट आएगा. यानी अब वेतन की उम्मीद छह तारीख को ही है.

राज्य सरकार के सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार राकेश ने सोशल मीडिया पर लिखा "अपने पचास साल के इन्साइडर वाले अनुभव से लिख रहे हैं कि हिमाचल जैसे अथाह कुदरती संसाधनों वाले राज्य में यह स्थिति पहली बार आई है. ये आर्थिक संकट जितना दिखता है, उससे कहीं अधिक भयावह है"

वहीं, राज्य के स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर रहे डॉ. रमेश चंद ने भी सोशल मीडिया पर लिखा "सुबह आंख खुलने से पहले ही पहली तारीख को तनख्वाहें/पेंशन खाते में आ जाती थी...फिलहाल, अब सैलेरी के लिए पांच अथवा छह तारीख का इंतजार रहेगा"

हिमाचल पर है करीब 87 हजार करोड़ रुपये कर्ज

कर्ज के मामले में हिमाचल एक लाख करोड़ वाले राज्यों की श्रेणी में शामिल होने वाला है. पहाड़ी राज्यों में हिमाचल प्रदेश कर्ज के मामले में टॉप पर है. राज्य पर अभी 87 हजार करोड़ रुपए के करीब कर्ज है. हालात ये हो गए हैं कि अब कर्ज लेकर भी बात नहीं बनेगी. सुखविंदर सरकार ने 15 दिसंबर 2022 से लेकर 31 जुलाई 2024 तक कुल 21,366 करोड़ रुपये का लोन लिया है. सरकार ने इस दौरान बेशक 5864 करोड़ रुपये का कर्ज वापस भी किया, लेकिन इससे स्थितियां सुधरने वाली नहीं हैं. सरकार ने जीपीएफ के अगेंस्ट पहली जनवरी 2023 से 31 जुलाई 2024 तक की अवधि में भी 2810 करोड़ रुपये का लोन लिया है. अगले साल मार्च महीने में हिमाचल सरकार पर 92 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज का अनुमान है. फिर अगले साल किसी भी समय राज्य के कर्ज का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये को छू सकता है. ऐसे में वेतन व पेंशन के लिए जुगाड़ करना आसान नहीं होगा.

जयराम ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष (ETV Bharat)

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सत्ता पक्ष पर उठाए सवाल

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश की आर्थिक स्थिती को लेकर सत्ता पक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा "यह काफी समय बाद हुआ है कि 2 तारीख बीत जाने के बाद भी सैलरी और पेंशन नहीं मिल पाई है. हिमाचल दिवालियापन की ओर बढ़ता जा रहा है. कई बार सीएम बोलते हैं हालात खराब हैं और कई बार कहते हैं हालात खराब नहीं हैं. हैरानी तब होती है जब सीएम कहते हैं कि साल 2027 तक हिमाचल प्रदेश पूरे देश का सबसे समृद्ध राज्य होगा. ऐसे में सीएम के इस बयान पर हैरानी होती है. यहां सैलरी और पेंशन देने के लिए पैसा नहीं है."

सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश (ETV Bharat)

सीएम सुक्खू मांग रहे कर्मचारियों से सहयोग

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के आर्थिक संकट को लेकर कर्मचारियों से सहयोग की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा "हम आर्थिक संकट से उभर रहे हैं. पिछले साल भी आर्थिक संकट था और हमारी सरकार ने 2200 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया. सरकार ने शराब के ठेकों की नीलामी से एक साल में 485 करोड़ रुपये की कमाई की. इसके अलावा हमने बैट लगाकर और अन्य संसाधनों से कमाई की."

सीएम ने कहा "पूर्व की भाजपा सरकार ने पांच साल में 600 करोड़ रुपये कमाए. सरकार की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था में 20 फीसदी का सुधार हुआ है. इससे धीरे-धीरे हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी और साल 2027 में हम आत्मनिर्भर बन जाएंगे."

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Last Updated : Sep 3, 2024, 8:26 PM IST
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