नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा कि उसे कथित अवैध रेत खनन से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के संबंध में तमिलनाडु के पांच जिलों के कलेक्टरों को 'अनावश्यक' परेशान नहीं करना चाहिए. तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अगुवाई वाली पीठ से कहा कि जिला कलेक्टर ईडी कार्यालय सुबह 11 बजे पहुंचे थे, लेकिन उन्हें रात साढ़े आठ बजे तक बैठाए रखा गया.
ईडी के वकील ने कहा कि कलेक्टर पेश हुए थे, लेकिन अभी तक कोई विवरण और दस्तावेज जमा नहीं किए गए हैं. सिब्बल ने कहा कि उन्होंने वे सभी दस्तावेज जमा कर दिए हैं जो उनसे मांगे गए थे. शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रतिवादी अदालत के निर्देशानुसार ईडी के समक्ष पेश हुए हैं. पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति पंकज मिथल भी शामिल थे, उन्होंने ईडी के वकील से कहा, 'आप ऐसा नहीं कर सकते. उन्हें इंतजार न कराएं, उन्हें अपने जिलों का रुख करना होगा'. पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि अधिकारियों को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं.
ईडी के वकील ने कहा कि उनके निर्देश हैं कि कोई विवरण या दस्तावेज जमा नहीं किया गया है. एजेंसी इस आशय का हलफनामा दायर कर सकती है. सुनवाई के बाद, पीठ ने ईडी से उन दस्तावेजों को निर्दिष्ट करने को कहा, जो कलेक्टरों द्वारा प्रस्तुत नहीं किए गए हैं. पीठ ने कहा कि एक रिपोर्ट पेश कर स्पष्ट करें कि उसने समन के माध्यम से कौन से दस्तावेज मांगे थे, जो उपलब्ध नहीं कराए गए हैं.
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद तय की. बता दें कि अप्रैल में शीर्ष अदालत ने आदेशों के बावजूद ईडी के सामने शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं होने के लिए पांच जिला कलेक्टरों की खिंचाई की थी. उन्हें 25 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से एजेंसी के सामने पेश होने का निर्देश दिया था. शीर्ष अदालत तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों को ईडी के समन पर रोक लगाने के मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ ईडी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी.
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