ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के डॉक्टरों ने एक मरीज के कंधे से 45 सेमी लंबे और करीब साढ़े छह किलो के ट्यूमर को निकालकर सभी को हैरत में डाल दिया. मरीज अब स्वस्थ है और हॉस्पिटल में स्वास्थ्य लाभ ले रहा है. मरीज का इलाज आयुष्मान योजना के तहत किया गया है.
जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मौहम्मद सादिकपुर के रहने वाले एक 37 वर्षीय मरीज की पीठ के ऊपरी हिस्से और कंधे के निकट एक गांठ (सॉफ्ट टिश्यू सार्कोमा) बन गई थी. धीरे-धीरे कुछ समय बाद इस गांठ में रक्तस्राव के साथ घाव बनने लगा. डॉक्टरों ने बताया कि यह मरीज पहली बार जून 2022 में एम्स अस्पताल आया था, लेकिन फॉलोअप में नियमित तौर से एम्स नहीं आ पाया. फिर 2 साल बाद फरवरी 2024 में एम्स की सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की ओपीडी में आकर मरीज ने अपनी परेशानी बताई.
इन 2 सालों के दौरान मरीज के कंधे की गांठ का साइज बहुत बढ़ गया और इसकी वजह से उसके हाथ और कंधे ठीक से काम नहीं कर पा रहे थे. बीते माह फरवरी में एम्स पहुंचने पर रोगी ने डॉक्टरों को बताया कि उसे असहनीय दर्द होता है और उसका हाथ भी नहीं चल रहा है, साथ ही उसके शरीर का रंग भी बदल चुका है.
डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि उसकी पीठ में कैंसर बन चुका है और उसका आकार असामान्य रूप बड़ा हो रहा है. जानकारी देते हुए सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के सर्जन डॉक्टर अमित गुप्ता ने बताया कि यदि मरीज समय रहते एम्स नहीं पहुंचता तो यह बीमारी उसके शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती थी.
उन्होंने बताया कि ट्यूमर का आकार बड़ा होने के कारण कंधे के आस-पास की महत्वपूर्ण नसों, मांसपेशियों व हड्डियों को बचा कर ऑपरेशन करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन टीम वर्क से इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दे दिया गया. डॉ. गुप्ता ने बताया कि सर्जरी के बाद मरीज के कंधे का मूवमेंट सामान्य हो गया है और उसे अब दर्द से भी राहत है.
इस सर्जरी में लगभग 3 घंटे का समय लगा. सर्जरी करने वाली टीम में डॉक्टर अमित गुप्ता के अलावा डॉ. मरेश्वनरी, डॉ. निर्भय, डॉ. अजित और डॉ विवेक शामिल थे. जबकि एनेस्थीसिया टीम से डॉ भावना गुप्ता, डॉ केदार और डॉ राधेश्याम का सहयोग रहा.
चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने सर्जरी करने वाले डॉक्टरों की टीम की प्रशंसा की और कहा कि विशालकाय ट्यूमर निकालकर एम्स के चिकित्सकों ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. वहीं, एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने बताया कि कैंसर के इलाज में देरी करने पर यह बहुत घातक होने लगता है. इसलिए जरूरी है कि चिकित्सीय परामर्श के अनुसार रोगी को नियमिततौर पर फॉलोअप के लिए अस्पताल आना चाहिए. बिना डॉक्टर की सलाह के इलाज को बीच में छोड़ना हमेशा नुकसानदेह होता है. प्रत्येक कैंसर जानलेवा नहीं होता, लेकिन इसके लक्षणों के प्रति जागरूक रहकर समयबद्ध इलाज कराकर इसे जीता जा सकता है.
वहीं डॉक्टर अमित गुप्ता ने बताया कि एम्स में सर्जिकल ऑन्कोकोलॉजी विभाग की ओपीडी प्रत्येक मंगलवार, शुक्रवार और शनिवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक संचालित होती है. एम्स में सभी प्रकार के कैंसर के इलाज की सुविधा उपलब्ध है.
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