नई दिल्ली: केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि भारत में डॉक्टर-रोगी अनुपात विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित 1:1000 मानक से बेहतर है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जुलाई 2024 तक राज्य चिकित्सा परिषदों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के साथ 13,86,136 एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं.
स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में कहा, 'यह मानते हुए कि पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की 80 प्रतिशत उपलब्धता है और लगभग 5.65 लाख आयुष डॉक्टर हैं. देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात लगभग 1:836 है. ये विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक 1:1000 से बेहतर है.' उन्होंने कहा कि देश में 731 मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें हर साल 1,12,112 एमबीबीएस सीट होती है. उन्होंने कहा, 'इसके अलावा अभी 72,627 पीजी सीट है.'
पटेल ने कहा कि सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाई है और इसके बाद एमबीबीएस सीटों में भी बढ़ोतरी की है. उन्होंने कहा, 'मेडिकल कॉलेजों की संख्या 2014 से पहले 387 से 88 प्रतिशत बढ़कर 731 हो गई है. इसके अलावा, एमबीबीएस सीटों में 2014 से पहले 51,348 से 118 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अब 1,12,112 हो गई है. इसी तरह पीजी सीटों में 2014 से पहले 31,185 से 133 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अब 72,627 हो गई है.'
देश में चिकित्सा शिक्षा सुविधाओं को बढ़ाने और चिकित्सा मानकों में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और उपायों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि जिला और रेफरल अस्पतालों को उन्नत करके नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) है. इसके तहत 157 नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है. इनमें से 109 पहले से ही कार्यरत हैं.
एमबीबीएस (UG) और पीजी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार और केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों को मजबूत बनाने और उन्नत बनाने के लिए सीएसएस योजना है. इसके तहत 5972.20 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत से 83 कॉलेजों में 4977 एमबीबीएस सीटों की वृद्धि के लिए सहायता प्रदान की गई है. इसके साथ ही 1498.43 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत से 72 कॉलेजों में प्रथम चरण में 4058 पीजी सीट उपलब्ध कराया जाएगा. दूसरे चरण में 4478.25 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत से 65 कॉलेजों में 4000 पीजी सीट की व्यवस्था की जाएगी.