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सुनीता किडनी कांड में दोषी डॉक्टर को 7 साल की सजा, 2 साल से मौत से जंग लड़ रही पीड़िता - SUNITA KIDNEY CASE

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 19, 2024, 5:08 PM IST

MUZAFFARPUR SUNITA KIDNEY SCANDAL: मुजफ्फरपुर के चर्चित सुनीता किडनी कांड में झोला छाप डॉक्टर को सात साल की सजा और जुर्माना लगाया गया है. हालांकि किडनी कांड का मुख्य आरोपी डॉ. आरके सिंह अभी भी फरार है. वहीं 2022 से ही सुनीता डायलिसिस पर है.

सुनीता किडनी कांड में दोषी को सजा
सुनीता किडनी कांड में दोषी को सजा (ETV Bharat)
सुनीता किडनी कांड (ETV Bharat)

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में ऑपरेशन के नाम पर सुनीता (34 वर्षीय) की दोनों किडनी निकालने के मामले में दो साल बाद आखिरकार कोर्ट ने न्याय किया है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल की विशेष कोर्ट (SC/ST एक्ट) ने पवन कुमार को 7 साल जेल की सजा सुनाई है और 18 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

सुनीता किडनी कांड में कोर्ट का फैसला: विशेष लोक अभियोजक (SC/ST एक्ट) जयमंगल प्रसाद ने बताया कि किडनी कांड का मुख्य आरोपी डॉ. आरके सिंह फरार है. उसके विरुद्ध कुर्की की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. विशेष कोर्ट ने उसके मामले को अलग कर दिया है. बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लीनिक में पेट में दर्द की शिकायत पर 11 जुलाई 2022 को सुनीता का उपचार शुरू हुआ था. गर्भाशय में प्रॉब्लम बताते हुए पवन ने उसे निकालने के लिए ऑपरेशन कराने की सलाह दी. इसके लिए उसने 20 हजार रुपये जमा कराए गए थे.

"पवन को सात साल की सजा सुनाई गई है. वही, मुख्य आरोपी डॉ आरके सिंह अब भी फरार है. उसके खिलाफ कुर्की की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. विशेष कोर्ट ने उसके मामले को अलग कर दिया गया है. पवन अगर जुर्माना नहीं देगा तो 4 महीने की सजा और भुगतनी होगी. कोर्ट का यह कदम सराहनीयी है. समुचित न्याय करते हुए पवन को सजा दी गई है. तीन धाराओं में 420, 326 और 384 में सजा हुई है."- जयमंगल प्रसाद, लोक अभियोजक पदाधिकारी, एससी एसटी कोर्ट

आरोपी झोलाछाप डॉक्टर को 7 साल की सजा: इसके बाद 3 सितंबर 2022 को सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन किया गया था, जिस क्लीनिक में ऑपरेशन हुआ, उसका डॉक्टर पवन कुमार था, जो पुलिस जांच में झोलाछाप डॉक्टर निकला. ऑपरेशन के बाद 5 सितंबर 2022 को सुनीता की तबीयत खराब हुई तो उसे श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल लाया गया. 7 सितंबर 2022 को जांच के बाद पता चला कि उसकी दोनों किडनियां निकाल ली गई हैं. इस वजह से उसकी डायलिसिस करनी पड़ी, जो आज तक चल रही है.

फल बेचता था पवन फिर बन गया डॉक्टर: मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया. वहीं पुलिस जांच में पता चला कि पवन कुमार के पास डॉक्टरी की डिग्री नहीं थी. उसके पास MBBS की डिग्री नहीं थी. पवन फल बेचने का बिजनेस करता था, लेकिन ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में एक झोलाछाप डॉक्टर आरके सिंह के कॉन्टैक्ट में आया. उसने पवन से कहा कि क्लिनिक खोल लो, डॉक्टर रख लो, बहुत पैसा है. फिर पवन और आरके सिंह ने क्लिनिक खोल लिया. दोनों फर्जी डॉक्टर बनकर मरीजों को देखने और ऑपरेशन करने की प्रैक्टिस करने लगे.

दो साल से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही सुनीता: बरियारपुर के सकरा थाना के तहत आने वाले गांव बाजी राउत की सुनीता पिछले दो साल से डायलिसिस पर है. यूट्रस के ऑपरेशन के नाम पर उसकी दोनों किडनियां निकालकर पवन कुमार ने बेच दी थी. साल 2022 का यह पूरा मामला है. पिछले साल ही तीन बच्चों की मां सुनीता (34 वर्षीय) का साथ उसके पति ने भी छोड़ दिया था.

ये भी पढ़ें:

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सुनीता किडनी कांड (ETV Bharat)

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर में ऑपरेशन के नाम पर सुनीता (34 वर्षीय) की दोनों किडनी निकालने के मामले में दो साल बाद आखिरकार कोर्ट ने न्याय किया है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल की विशेष कोर्ट (SC/ST एक्ट) ने पवन कुमार को 7 साल जेल की सजा सुनाई है और 18 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

सुनीता किडनी कांड में कोर्ट का फैसला: विशेष लोक अभियोजक (SC/ST एक्ट) जयमंगल प्रसाद ने बताया कि किडनी कांड का मुख्य आरोपी डॉ. आरके सिंह फरार है. उसके विरुद्ध कुर्की की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. विशेष कोर्ट ने उसके मामले को अलग कर दिया है. बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लीनिक में पेट में दर्द की शिकायत पर 11 जुलाई 2022 को सुनीता का उपचार शुरू हुआ था. गर्भाशय में प्रॉब्लम बताते हुए पवन ने उसे निकालने के लिए ऑपरेशन कराने की सलाह दी. इसके लिए उसने 20 हजार रुपये जमा कराए गए थे.

"पवन को सात साल की सजा सुनाई गई है. वही, मुख्य आरोपी डॉ आरके सिंह अब भी फरार है. उसके खिलाफ कुर्की की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. विशेष कोर्ट ने उसके मामले को अलग कर दिया गया है. पवन अगर जुर्माना नहीं देगा तो 4 महीने की सजा और भुगतनी होगी. कोर्ट का यह कदम सराहनीयी है. समुचित न्याय करते हुए पवन को सजा दी गई है. तीन धाराओं में 420, 326 और 384 में सजा हुई है."- जयमंगल प्रसाद, लोक अभियोजक पदाधिकारी, एससी एसटी कोर्ट

आरोपी झोलाछाप डॉक्टर को 7 साल की सजा: इसके बाद 3 सितंबर 2022 को सुनीता के गर्भाशय का ऑपरेशन किया गया था, जिस क्लीनिक में ऑपरेशन हुआ, उसका डॉक्टर पवन कुमार था, जो पुलिस जांच में झोलाछाप डॉक्टर निकला. ऑपरेशन के बाद 5 सितंबर 2022 को सुनीता की तबीयत खराब हुई तो उसे श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल लाया गया. 7 सितंबर 2022 को जांच के बाद पता चला कि उसकी दोनों किडनियां निकाल ली गई हैं. इस वजह से उसकी डायलिसिस करनी पड़ी, जो आज तक चल रही है.

फल बेचता था पवन फिर बन गया डॉक्टर: मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया. वहीं पुलिस जांच में पता चला कि पवन कुमार के पास डॉक्टरी की डिग्री नहीं थी. उसके पास MBBS की डिग्री नहीं थी. पवन फल बेचने का बिजनेस करता था, लेकिन ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में एक झोलाछाप डॉक्टर आरके सिंह के कॉन्टैक्ट में आया. उसने पवन से कहा कि क्लिनिक खोल लो, डॉक्टर रख लो, बहुत पैसा है. फिर पवन और आरके सिंह ने क्लिनिक खोल लिया. दोनों फर्जी डॉक्टर बनकर मरीजों को देखने और ऑपरेशन करने की प्रैक्टिस करने लगे.

दो साल से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही सुनीता: बरियारपुर के सकरा थाना के तहत आने वाले गांव बाजी राउत की सुनीता पिछले दो साल से डायलिसिस पर है. यूट्रस के ऑपरेशन के नाम पर उसकी दोनों किडनियां निकालकर पवन कुमार ने बेच दी थी. साल 2022 का यह पूरा मामला है. पिछले साल ही तीन बच्चों की मां सुनीता (34 वर्षीय) का साथ उसके पति ने भी छोड़ दिया था.

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