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'आरोपपत्र की तारीख को लेकर वकीलों के बीच मतभेद', SC ने तेलंगाना DGP की उपस्थिति मांगी - Telangana

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि तेलंगाना सरकार के वकील एक मामले में आरोपपत्र दाखिल करने की तारीखों के बारे में अदालत के सवालों का जवाब नहीं दे सके.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि तेलंगाना सरकार के वकील एक मामले में आरोपपत्र दाखिल करने की तारीखों के बारे में अदालत के सवालों का जवाब नहीं दे सके और तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक (DGP) को अगली सुनवाई की तारीख पर शारीरिक रूप से या वर्चुअल मोड के माध्यम से अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया.

इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने की. सुप्रीम कोर्ट बहुजन समाज पार्टी (BSP) नेता वट्टी जनैया यादव की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. वह पहले भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से जुड़े थे.

वकील ने जानकारी की कमी जताई
तेलंगाना की ओर से पेश हुई एडवोकेट देविना सहगल ने कहा कि सभी मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है. जब अदालत ने जानना चाहा कि आरोप पत्र कब दाखिल किए गए, तो सरकारी वकील ने जानकारी की कमी जताई.

मामले के विवरण से सहमत नहीं वकील
पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष और बहस करने वाले वकील आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बारे में मामले के विवरण से सहमत नहीं थे. पीठ ने अपने आदेश में कहा, "हम वास्तव में सरकारी वकील की प्रतिक्रिया से हैरान हैं क्योंकि आरोप पत्र दाखिल करने की संबंधित तिथियां या तो आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए या निर्देश देने वाले अधिकारी को आरोप पत्र दाखिल किए जाने की सूचना दिए जाने पर आरोप पत्र की प्रासंगिक तिथियों को एक साथ इंगित करना चाहिए था. अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है."

4 अक्टूबर को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को तय की है. पीठ ने कहा, "तेलंगाना राज्य के डीजीपी को अगली तारीख पर या तो शारीरिक रूप से या वर्चुअल मोड के माध्यम से कार्यवाही में भाग लेने के लिए उपलब्ध होना चाहिए. अगली तारीख से पहले, राज्य के वकील द्वारा विवरण दाखिल किया जाना चाहिए."

बता दें कि यादव ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और दावा किया था कि बीआरएस छोड़ने और बीएसपी में शामिल होने के बाद तत्कालीन बीआरएस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उन पर आपराधिक उत्पीड़न किया गया. पिछले साल अक्टूबर में अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था और यादव को उनके खिलाफ एफआईआर में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी.

यह भी पढ़ें- नहीं रुकेगा 'बुलडोजर', मंदिर-दरगाह सब होंगे ध्वस्त, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी- हटना चाहिए सड़कों से अवैध अतिक्रमण

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि तेलंगाना सरकार के वकील एक मामले में आरोपपत्र दाखिल करने की तारीखों के बारे में अदालत के सवालों का जवाब नहीं दे सके और तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक (DGP) को अगली सुनवाई की तारीख पर शारीरिक रूप से या वर्चुअल मोड के माध्यम से अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया.

इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने की. सुप्रीम कोर्ट बहुजन समाज पार्टी (BSP) नेता वट्टी जनैया यादव की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. वह पहले भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से जुड़े थे.

वकील ने जानकारी की कमी जताई
तेलंगाना की ओर से पेश हुई एडवोकेट देविना सहगल ने कहा कि सभी मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है. जब अदालत ने जानना चाहा कि आरोप पत्र कब दाखिल किए गए, तो सरकारी वकील ने जानकारी की कमी जताई.

मामले के विवरण से सहमत नहीं वकील
पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष और बहस करने वाले वकील आरोप पत्र दाखिल किए जाने के बारे में मामले के विवरण से सहमत नहीं थे. पीठ ने अपने आदेश में कहा, "हम वास्तव में सरकारी वकील की प्रतिक्रिया से हैरान हैं क्योंकि आरोप पत्र दाखिल करने की संबंधित तिथियां या तो आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए या निर्देश देने वाले अधिकारी को आरोप पत्र दाखिल किए जाने की सूचना दिए जाने पर आरोप पत्र की प्रासंगिक तिथियों को एक साथ इंगित करना चाहिए था. अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच का अंतर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है."

4 अक्टूबर को अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को तय की है. पीठ ने कहा, "तेलंगाना राज्य के डीजीपी को अगली तारीख पर या तो शारीरिक रूप से या वर्चुअल मोड के माध्यम से कार्यवाही में भाग लेने के लिए उपलब्ध होना चाहिए. अगली तारीख से पहले, राज्य के वकील द्वारा विवरण दाखिल किया जाना चाहिए."

बता दें कि यादव ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और दावा किया था कि बीआरएस छोड़ने और बीएसपी में शामिल होने के बाद तत्कालीन बीआरएस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उन पर आपराधिक उत्पीड़न किया गया. पिछले साल अक्टूबर में अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था और यादव को उनके खिलाफ एफआईआर में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी.

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