कोटा. जिला कलेक्टर डॉ रविंद्र गोस्वामी ने कोटा से ही कोचिंग की थी. इसके बाद उन्होंने सक्सेस होते हुए मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम को पास किया और एमबीबीएस की बाद में राज्य सरकार को चित्तौड़गढ़ जिले में सेवाएं दी. बाद में प्रशासनिक सेवा ज्वाइन की. गोस्वामी अब कोटा के जिला कलेक्टर में बने हैं, उन्हें कोचिंग स्टूडेंट की आवश्यकताओं की भी जानकारी है और समस्याओं की भी इसी क्रम को लेकर जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी कोचिंग स्टूडेंट के पेरेंट्स बने हैं और उन्होंने कामयाब कोटा के तहत एक अभियान डिनर विद कलेक्टर शुरू किया है.
इसी के तहत कोटा जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने लैंडमार्क इलाके में 26 जनवरी की रात को गए और उन्होंने शिव रेजीडेंसी हॉस्टल में पहुंचे, जहां पर 2 घंटे तक रुके, जिसमें कोचिंग छात्राओं के साथ ही हॉस्टल की मेस का खाना खाया और कई तरह की चर्चाएं की. कलेक्टर गोस्वामी ने कोचिंग छात्राओं से बात की उनकी समस्याओं के संबंध में जानकारी ली. चंबल हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष विश्वनाथ शर्मा ने कहा कि छात्राओं ने बताया कि इस तरह अचानक हमारे बीच जिला कलेक्टर का आना एक सुखद आश्चर्य था. उन्हें अपने बीच पाकर और भोजन साथ में कर ऐसा लगा जैसे परिवार के बीच हों.
कलेक्टर ने छात्राओं की फरमाइश पर गया गाना: कोचिंग छात्रों के साथ के साथ डाइनिंग टेबल पर कई मुद्दों पर अनौपचारिक बातचीत भी डॉ. गोस्वामी ने की. कलेक्टर ने सहजता से उनकी बातें सुनी और अपनी बातें कहीं व विद्यार्थी जीवन के अपने अनुभव बांटे. पढ़ाई के दौरान रूटीन में आने वाली परेशानियों और दिक्कत हो को भी उन्होंने साझा किया, जिसमें असमंजस, अध्ययन के तौर तरीके, अध्ययन में एकाग्रता, टाइम मैनेजमेंट और सफलता के टिप्स के बारे भी कलेक्टर से चर्चा की. कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने छात्राओं की फरमाइश पर "आ,चल के तुझे, मैं ले के चलूं एक ऐसे गगन के तले.. जहां गम भी ना हो आंसू भी ना हो बस प्यार ही प्यार पले.." गाना गाकर सुनाया जिसमें छात्राओं ने भी उनके साथ में स्वर मिलाया.कलेक्टर ने इन छात्राओं के साथ तिरंगा केक भी काटा और सभी को पेन गिफ्ट में दिया.
मन नहीं लगने पर वे खुद कोटा से चले गए थे: डॉ. गोस्वामी ने कहा कि कोटा में एक विद्यार्थी के रूप में कोचिंग के लिए आए और मन नहीं लगने पर जल्दी ही यहां से चले गए और फिर स्वयं के बूते ही पढ़ाई कर सफलता पाई. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन में इस तरह के दौर आते हैं, जब असमंजस, अनिर्णय की स्थिति होती हैं और स्ट्रेस घेर लेता है. ऐसे में मजबूत होकर समझदारी से काम लेने की जरूरत होती है. ऐसे में किसी भी समस्या से घबराएं नहीं, समस्याएं हमें मजबूत बनाने के लिए आती हैं. उन्होंने कहा कि घबरा के भागने के बजाय इनका सामना करें, आगे बढ़ें, भविष्य उज्जवल ही होगा.
कलेक्टर ने छात्राओं को यह दिए टिप्स:-
- व्यक्तिगत आदतों और पढ़ाई में एकाग्रता और संतुलन बनाने के लिए खुद से कंपटीशन करें. अपनी कमियों को दूर करते हुए लगातार बेहतर होने का प्रयास करें.
- परिणाम अच्छा रहने पर खुद को रिवॉर्ड भी दें.
- अपने पढ़ाई के समय को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटें. एक साथ लंबी सिटिंग के बजाए छोटे छोटे टुकड़ों में समय और उनके लक्ष्य बांट कर पढ़ें.
- यह समय आपका सिर्फ रास्ता है, मंजिल नहीं. बड़ा सोचें, बड़े सपने देखें. विफलता से निराश ना हों, अन्य विकल्पों के लिए तैयार रहें.
- बैक अप प्लान तैयार रखें.असफल होते भी है तो यह मान लेना चाहिए कि आपके लिए अन्य कुछ बेहतर या आपके अनुकूल ईश्वर ने रखा है
- खुशी सबसे बड़ी है जिस क्षेत्र में आप आत्मविश्वास महसूस करें,खुश रहें वह करें.
- हॉस्टल में साथियों के साथ परिवार का माहौल बनाएं, जिससे घर की कमी नहीं खले और पढ़ाई में भी मदद मिलेगी.
- एडजस्ट करने की आदत डालें कुछ चीज जो अपने अनुकूल नहीं हैं, उनके साथ एडजस्ट के प्रयास करें.
- जीवन एक ईश्वरीय उपहार है, इसे पूरी शिद्दत के साथ जीने के लिए अपने बड़े लक्ष्य तय करें.
- करियर लक्ष्य पाने का एक रास्ता मात्र है, मंजिल नहीं. लक्ष्य पाने में असफलताएं आएंगी, निराशा भी मिलेगी लेकिन हार नहीं माने.
- किसी परीक्षा में विफल होने मात्र से अपना आकलन ना करें. यदि आप डिजर्व करते हैं. तो प्रयास जारी रखें, लेकिन इसकी एक सीमा जरूर हो.