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क्या होता है अंतरिम बजट ? जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश करने वाली हैं. - Nirmala Sitharaman

What is Interim Budget: गुरुवार 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने वाली है. लेकिन इस बार का बजट अंतरिम बजट होगा. क्या होता है ये अंतरिम बजट, जानिये इसकी पूरी ABC

Interim Budget 2024
Interim Budget 2024
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 1:19 PM IST

Updated : Jan 30, 2024, 1:36 PM IST

Interim Budget 2024 : हर साल की तरह इस साल भी 1 फरवरी को सुबह 11 बजे देश के वित्त मंत्री बजट पेश करेंगे. लेकिन इस बार का बजट पिछले 5 सालों में पेश किए गए बजट से अलग है. क्योंकि ये बजट अंतरिम बजट होगा. आखिर क्या होता है ये अंतरिम बजट ? इस बार क्यों पेश किया जा रहा है? आम बजट और अंतरिम बजट में क्या अंतर है? इन सब सवालों के जवाब आपको बहुत ही आसान भाषा में समझाएंगे लेकिन पहले जानते हैं

बजट क्या होता है- हर साल देश के वित्त मंत्री आगामी वित्तीय वर्ष की आय और खर्च का लेखा-जोखा पेश करते हैं. हमारे देश में वित्त वर्ष की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होती है. अलग-अलग देश इसके लिए अलग-अलग अवधि रखते हैं, जैसे ऑस्ट्रेलिया वित्त वर्ष 1 जुलाई से 30 जून, USA में वित्त वर्ष अक्टूबर से 30 सितंबर तो कुछ देशों में इसकी अवधी 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच होती है. कुल मिलाकर ये देश की सरकारों पर निर्भर करता है.

एक वित्तीय वर्ष में सरकार की आय यानी कितना पैसा किस-किस सोर्स से आएगा और सरकार कितना पैसा कहां-कहां खर्च करेगी. इसका पूरा लेखा-जोखा बजट कहलाता है. इसी के आधार पर सरकारें नई योजनाएं, टैक्स स्लैब आदि तय करती हैं. वित्त मंत्रालय से जुड़े अधिकारी देश के सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभागों से जानकारी और डेटा इकट्ठा करते हैं. मंत्रालयों और विभागों से तालमेल, कई बैठकों और लंबी प्रक्रिया के बाद बजट तैयार होता है. जिसे वित्त मंत्री लोकसभा में पेश करते हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश करेंगी अंतरिम बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश करेंगी अंतरिम बजट

अंतरिम बजट क्या है- दरअसल मौजूदा केंद्र सरकार का कार्यकाल खत्म होने वाला है. अप्रैल मई में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं, जिसके बाद केंद्र में नई सरकार का गठन होगा. इसलिये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूरे वित्त वर्ष की बजाय कुछ महीनों का बजट पेश करेंगी. जिसे अंतरिम बजट या वोट ऑन अकाउंट भी कहते हैं. चुनाव के बाद देश में नई सरकार बनेगी. तब केंद्र की नई सरकार संसद का सत्र बुलाएगी और वित्त मंत्री पूर्ण बजट पेश करेंगे. जून या जुलाई में जब संसद का सत्र बुलाया जाएगा तो वित्त मंत्री वित्त फिर से बजट पेश करेंगे, जो वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट होगा.

अब भी नहीं समझे तो ऐसे समझिये- पिछले साल जब वित्त मंत्री ने 2023-24 का जो बजट पेश किया उसमें 1 अप्रैल 2023 से लेकर 31 मार्च 2024 तक के लिए सरकार के खर्च और आमदनी का लेखा-जोखा पेश किया गया. यानी तब एक वित्त वर्ष को ध्यान में रखते हुए बजट तैयार किया गया था लेकिन 31 मार्च के बाद देश में चुनाव होने हैं और नई सरकार बननी है. चुनाव के नतीजे आते-आते और नई सरकार बनते-बनते मई महीना बीत जाएगा. इसके बाद जून या जुलाई में नई सरकार संसद का सत्र बुलाएगी. सोचिये तब तक देश का खर्चा पानी कैसे चलेगा ? इसी को ध्यान में रखते हुए अंतरिम बजट यानी कुछ महीनों का बजट पेश किया जाएगा. कुल मिलाकर अंतरिम बजट के जरिये सरकार आगामी कुछ महीनों के लिए आमदनी और खर्च का लेखा-जोखा रखती है जिससे नई सरकार बनने तक खर्चे मैनेज किए हो सकें.

आम बजट और अंतरिम बजट में अंतर- अगर अब भी आपको अंतरिम बजट के बारे में पता नहीं चल पाया है तो बजट और अंतरिम बजट का अंतर आपकी मदद करेगा. हर साल पेश होने वाले आम बजट और इस बार पेश होने वाले अंतरिम बजट में सबसे मुख्य अंतर उस समय अवधि का है जिसके लिए ये पेश किया जाता है.

- पूर्ण बजट पूरे वित्त वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के लिए पेश किया जाता है. जबकि अंतरिम बजट कुछ महीनों के लिए पेश किया जाता है. ये वक्त अगली सरकार बनने तक होता है, उसके बाद नई सरकार फिर से बजट पेश करती है.

- सरकारें अंतरिम बजट में किसी नीतिगत, टैक्स में बड़े बदलाव करने की घोषणा से बचती हैं, क्योंकि ये आने वाली सरकार पर बोझ हो सकता है. हालांकि इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है. लेकिन अमूमन चुनावी साल में सरकारें इससे बचती हैं. जबकि आम बजट में सरकार नई नीति से लेकर नई योजनाओं और टैक्स में बदलाव जैसा कोई भी फैसला ले सकती हैं.

- बजट से उलट अंतरिम बजट में नई योजनाओं की बजाय पहले से चल रही सरकार की योजनाओं के लिए फंड या बजट दिया जाता है.

-अंतरिम बजट एक तरह से आगामी कुछ महीनों के लिए सरकार का खर्चा होता है, जिसकी मंजूरी संसद से ली जाती है. इस पर कोई चर्चा नहीं होती है. वहीं आम बजट पेश होने के बाद इस पर विस्तार से चर्चा होती है और फिर इसे पारित किया जाता है.

इससे पहले कब पेश हुआ अंतरिम बजट- जिस साल देश में लोकसभा चुनाव होने होते हैं उस साल केंद्र की सरकार आम बजट पेश करती है. पिछली बार साल 2019 में ऐसा हुआ था. जब 1 फरवरी 2019 को तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था. इसके बाद अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में फिर से बीजेपी की सरकार बनी और निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्री के रूप में मोदी कैबिनेट में जगह मिली. निर्मला सीतारमण देश की पहली फुल टाइम वित्त मंत्री बनी थीं और फिर 5 जुलाई 2019 को उन्होंने पहली बार बजट पेश किया जो वित्त वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट था.

ये भी पढ़ें: देश के वो तीन वित्त मंत्री, जो पेश नहीं कर पाए बजट, जानें क्या थी वजह ?

Interim Budget 2024 : हर साल की तरह इस साल भी 1 फरवरी को सुबह 11 बजे देश के वित्त मंत्री बजट पेश करेंगे. लेकिन इस बार का बजट पिछले 5 सालों में पेश किए गए बजट से अलग है. क्योंकि ये बजट अंतरिम बजट होगा. आखिर क्या होता है ये अंतरिम बजट ? इस बार क्यों पेश किया जा रहा है? आम बजट और अंतरिम बजट में क्या अंतर है? इन सब सवालों के जवाब आपको बहुत ही आसान भाषा में समझाएंगे लेकिन पहले जानते हैं

बजट क्या होता है- हर साल देश के वित्त मंत्री आगामी वित्तीय वर्ष की आय और खर्च का लेखा-जोखा पेश करते हैं. हमारे देश में वित्त वर्ष की अवधि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होती है. अलग-अलग देश इसके लिए अलग-अलग अवधि रखते हैं, जैसे ऑस्ट्रेलिया वित्त वर्ष 1 जुलाई से 30 जून, USA में वित्त वर्ष अक्टूबर से 30 सितंबर तो कुछ देशों में इसकी अवधी 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच होती है. कुल मिलाकर ये देश की सरकारों पर निर्भर करता है.

एक वित्तीय वर्ष में सरकार की आय यानी कितना पैसा किस-किस सोर्स से आएगा और सरकार कितना पैसा कहां-कहां खर्च करेगी. इसका पूरा लेखा-जोखा बजट कहलाता है. इसी के आधार पर सरकारें नई योजनाएं, टैक्स स्लैब आदि तय करती हैं. वित्त मंत्रालय से जुड़े अधिकारी देश के सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विभागों से जानकारी और डेटा इकट्ठा करते हैं. मंत्रालयों और विभागों से तालमेल, कई बैठकों और लंबी प्रक्रिया के बाद बजट तैयार होता है. जिसे वित्त मंत्री लोकसभा में पेश करते हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश करेंगी अंतरिम बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को पेश करेंगी अंतरिम बजट

अंतरिम बजट क्या है- दरअसल मौजूदा केंद्र सरकार का कार्यकाल खत्म होने वाला है. अप्रैल मई में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं, जिसके बाद केंद्र में नई सरकार का गठन होगा. इसलिये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूरे वित्त वर्ष की बजाय कुछ महीनों का बजट पेश करेंगी. जिसे अंतरिम बजट या वोट ऑन अकाउंट भी कहते हैं. चुनाव के बाद देश में नई सरकार बनेगी. तब केंद्र की नई सरकार संसद का सत्र बुलाएगी और वित्त मंत्री पूर्ण बजट पेश करेंगे. जून या जुलाई में जब संसद का सत्र बुलाया जाएगा तो वित्त मंत्री वित्त फिर से बजट पेश करेंगे, जो वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट होगा.

अब भी नहीं समझे तो ऐसे समझिये- पिछले साल जब वित्त मंत्री ने 2023-24 का जो बजट पेश किया उसमें 1 अप्रैल 2023 से लेकर 31 मार्च 2024 तक के लिए सरकार के खर्च और आमदनी का लेखा-जोखा पेश किया गया. यानी तब एक वित्त वर्ष को ध्यान में रखते हुए बजट तैयार किया गया था लेकिन 31 मार्च के बाद देश में चुनाव होने हैं और नई सरकार बननी है. चुनाव के नतीजे आते-आते और नई सरकार बनते-बनते मई महीना बीत जाएगा. इसके बाद जून या जुलाई में नई सरकार संसद का सत्र बुलाएगी. सोचिये तब तक देश का खर्चा पानी कैसे चलेगा ? इसी को ध्यान में रखते हुए अंतरिम बजट यानी कुछ महीनों का बजट पेश किया जाएगा. कुल मिलाकर अंतरिम बजट के जरिये सरकार आगामी कुछ महीनों के लिए आमदनी और खर्च का लेखा-जोखा रखती है जिससे नई सरकार बनने तक खर्चे मैनेज किए हो सकें.

आम बजट और अंतरिम बजट में अंतर- अगर अब भी आपको अंतरिम बजट के बारे में पता नहीं चल पाया है तो बजट और अंतरिम बजट का अंतर आपकी मदद करेगा. हर साल पेश होने वाले आम बजट और इस बार पेश होने वाले अंतरिम बजट में सबसे मुख्य अंतर उस समय अवधि का है जिसके लिए ये पेश किया जाता है.

- पूर्ण बजट पूरे वित्त वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के लिए पेश किया जाता है. जबकि अंतरिम बजट कुछ महीनों के लिए पेश किया जाता है. ये वक्त अगली सरकार बनने तक होता है, उसके बाद नई सरकार फिर से बजट पेश करती है.

- सरकारें अंतरिम बजट में किसी नीतिगत, टैक्स में बड़े बदलाव करने की घोषणा से बचती हैं, क्योंकि ये आने वाली सरकार पर बोझ हो सकता है. हालांकि इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है. लेकिन अमूमन चुनावी साल में सरकारें इससे बचती हैं. जबकि आम बजट में सरकार नई नीति से लेकर नई योजनाओं और टैक्स में बदलाव जैसा कोई भी फैसला ले सकती हैं.

- बजट से उलट अंतरिम बजट में नई योजनाओं की बजाय पहले से चल रही सरकार की योजनाओं के लिए फंड या बजट दिया जाता है.

-अंतरिम बजट एक तरह से आगामी कुछ महीनों के लिए सरकार का खर्चा होता है, जिसकी मंजूरी संसद से ली जाती है. इस पर कोई चर्चा नहीं होती है. वहीं आम बजट पेश होने के बाद इस पर विस्तार से चर्चा होती है और फिर इसे पारित किया जाता है.

इससे पहले कब पेश हुआ अंतरिम बजट- जिस साल देश में लोकसभा चुनाव होने होते हैं उस साल केंद्र की सरकार आम बजट पेश करती है. पिछली बार साल 2019 में ऐसा हुआ था. जब 1 फरवरी 2019 को तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था. इसके बाद अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में फिर से बीजेपी की सरकार बनी और निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्री के रूप में मोदी कैबिनेट में जगह मिली. निर्मला सीतारमण देश की पहली फुल टाइम वित्त मंत्री बनी थीं और फिर 5 जुलाई 2019 को उन्होंने पहली बार बजट पेश किया जो वित्त वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट था.

ये भी पढ़ें: देश के वो तीन वित्त मंत्री, जो पेश नहीं कर पाए बजट, जानें क्या थी वजह ?

Last Updated : Jan 30, 2024, 1:36 PM IST
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