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Video: रंगभरी एकादशी पर बांके बिहारी मंदिर में उड़ा कुंतलों गुलाल-अबीर, भक्तों ने ठाकुरजी को खूब रंग लगाया - Vrindavan News

वृंदावन की होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है. होली का त्योहार (Devotees played Holi in Vrindavan) यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं, बुधवार को रंगभरी एकादशी पर होली का उल्लास अपने चरम पर दिखाई दिया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 20, 2024, 1:16 PM IST

बांके बिहारी मंदिर में उड़ा टनों गुलाल.

मथुरा : बसंत पंचमी से ही कान्हा की नगरी मथुरा में होली की शुरुआत हो जाती है. प्रतिदिन विभिन्न आयोजनों के साथ विभिन्न मंदिरों में भक्त अपने आराध्या के साथ होली खेलते हैं. वहीं, बुधवार को रंगभरी एकादशी पर होली का उल्लास अपने चरम पर दिखाई दिया. जहां एक ओर श्रद्धालुओं ने पंचकोसी परिक्रमा करके पुण्य अर्जित किया तो वहीं देश विदेश से आए श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य भगवान के साथ होली खेलकर अपने आप को धन्य किया. विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में सुबह से ही देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के साथ जमकर होली खेली. साथ ही अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए भक्त आतुर नजर आए.


बांके बिहारी मंदिर के सेवायत गुंजन गोस्वामी ने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर में बसंत पंचमी के दिन से ही 40 दिवसीय होली का शुभारंभ हो जाता है. लेकिन, आज के दिन रंगभरनी एकादशी से बांके बिहारी पूर्णिमा तक होली खेलते हैं सुबह शाम. आप देख रहे हैं शाम को बिहारी जी फूलों की होली भी खेलते हैं, तो आज से ही ठाकुर जी की लड्डू होली, जलेबी होली, फूलों की होली, गुलाल के रंगों की होली, अबीर होली, टेसू के रंग की होली और केसर युक्त ठाकुर जी को जल चढ़ता है. आज से बिहारी जी की पोशाक का रंग भी सफेद हो जाता है. सर्वप्रथम पुजारी ठाकुर जी को केसर का रंग लगाते हैं. अबीर-गुलाल आदि ठाकुर जी को अर्पण होता है और भक्त उस प्रसाद को ग्रहण करते हैं. और यह मान्यता है कि बेरंग जिंदगी में ठाकुर जी अपना रंग स्वयं भर देते हैं.

यह भी पढ़ें : बांके बिहारी मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, व्यवस्थाएं हुईं ध्वस्त

यह भी पढ़ें : रंगभरी एकादशी पर आज बाबा विश्वनाथ खेलेंगे होली, गौना कराने ससुराल पहुंचे देवाधिदेव महादेव

बांके बिहारी मंदिर में उड़ा टनों गुलाल.

मथुरा : बसंत पंचमी से ही कान्हा की नगरी मथुरा में होली की शुरुआत हो जाती है. प्रतिदिन विभिन्न आयोजनों के साथ विभिन्न मंदिरों में भक्त अपने आराध्या के साथ होली खेलते हैं. वहीं, बुधवार को रंगभरी एकादशी पर होली का उल्लास अपने चरम पर दिखाई दिया. जहां एक ओर श्रद्धालुओं ने पंचकोसी परिक्रमा करके पुण्य अर्जित किया तो वहीं देश विदेश से आए श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य भगवान के साथ होली खेलकर अपने आप को धन्य किया. विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में सुबह से ही देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के साथ जमकर होली खेली. साथ ही अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए भक्त आतुर नजर आए.


बांके बिहारी मंदिर के सेवायत गुंजन गोस्वामी ने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर में बसंत पंचमी के दिन से ही 40 दिवसीय होली का शुभारंभ हो जाता है. लेकिन, आज के दिन रंगभरनी एकादशी से बांके बिहारी पूर्णिमा तक होली खेलते हैं सुबह शाम. आप देख रहे हैं शाम को बिहारी जी फूलों की होली भी खेलते हैं, तो आज से ही ठाकुर जी की लड्डू होली, जलेबी होली, फूलों की होली, गुलाल के रंगों की होली, अबीर होली, टेसू के रंग की होली और केसर युक्त ठाकुर जी को जल चढ़ता है. आज से बिहारी जी की पोशाक का रंग भी सफेद हो जाता है. सर्वप्रथम पुजारी ठाकुर जी को केसर का रंग लगाते हैं. अबीर-गुलाल आदि ठाकुर जी को अर्पण होता है और भक्त उस प्रसाद को ग्रहण करते हैं. और यह मान्यता है कि बेरंग जिंदगी में ठाकुर जी अपना रंग स्वयं भर देते हैं.

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