ETV Bharat / bharat

येदियुरप्पा के बेटे के लिए चुनौती बने ईश्वरप्पा, पूर्व डिप्टी सीएम से निपटने के लिए बीजेपी ने चली चाल - Eshwarappa contested election - ESHWARAPPA CONTESTED ELECTION

Deputy Chief Minister Eshwarappa: केएस ईश्वरप्पा शिवमोगा लोकसभा सीट के मौजूदा सांसद बीवाई राघवेंद्र के खिलाफ मैदान में उतरेंगे. इससे राघवेंद्र की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

केएस ईश्वरप्पा
KS Eshwarappa
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 23, 2024, 5:40 PM IST

शिवमोगा: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिग्गज नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा के बेटे के ई कांतेश को हावेरी लोकसभा से टिकट नहीं दिया, जिसके बाद ईश्वरप्पा ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी. उन्होंने शिवमोगा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैासला किया है. इतना ही नहीं ईश्वरप्पा पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटों के खिलाफ खुलेआम बयानबाजी भी कर रहे हैं. इस बीच उन्होंने शिवमोगा में प्रचार भी शुरू कर दिया है.

ईश्वरप्पा के इस कदम की राज्यभर में चर्चा हो रही है. उनकी विद्रोह के कारण बीजेपी को शर्मिंदगी भी उठानी पड़ रही है. नामांकन पत्र वापस लेने की समय सीमा तक चुप रहने वाली बीजेपी ने सोमवार को केएस ईश्वरप्पा को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. इसके साथ ही उनका पार्टी से 40 साल पुराना नाता खत्म हो गया.

गौरतलब है कि शिवमोगा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी से मौजूदा सांसद बी वाई राघवेंद्र और कांग्रेस से गीता शिवराजकुमार चुनावी मैदान में हैं. वहीं, ईश्वरप्पा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों को चुनौती देंगे.

निर्दलीय लड़कर दिखाएंगे दम: इससे पहले बीजेपी आलाकमान के आदेश पर ईश्वरप्पा ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में शिवमोगा विधानसभा क्षेत्र छोड़ दिया था और पार्टी की बात मानी थी. वहीं, इस बार वह बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़कर अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं.

शिवमोगा का सियासी समीकरण: शिवमोगा लोकसभा क्षेत्र में 17,29,901 मतदाता हैं. इनमें से 50 फीसदी वोटर ओबीसी समुदाय के हैं. चूंकि ईश्वरप्पा कुरुबा समुदाय से हैं, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि ओबीसी वोटर्स उनके पक्ष में वोट करेंगे. ईश्वरप्पा का दावा है कि पार्टी में पद नहीं मिलने से कई कार्यकर्ता नाराज हैं और वे सभी उनके साथ खड़े हैं.

ईश्वरप्पा की नजर महिला वोटों पर भी है. वह पिछले 10 साल से द मरिकम्बा सेल्फ हेल्प सोसाइटी चला रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि सोसाइटी में शामिल महिलाएं उनका समर्थन करेंगे. 40 साल से कमल के फूल पर चुनाव लड़ने वाले ईश्वरप्पा को इस बार गन्ना किसान चुनाव चिन्ह मिला है.

बीवाई राघवेंद्र के लिए चुनौती: केएस ईश्वरप्पा मौजूदा सांसद बीवाई राघवेंद्र के लिए सीधी चुनौती हैं. वह बड़ी तादाद में बीजेपी के वोट काट सकते हैं. ऐसे में बीजेपी ने ईश्वरप्पा से निपटने के लिए पार्टी की स्थानीय समिति के पूर्व सदस्यों को विभिन्न जिम्मेदारियां देने का वादा किया है. हालांकि, कई स्थानीय नेता ईश्वरप्पा के साथ हैं.

यह भी पढ़ें- सीएम सिद्धारमैया ने नेहा हिरेमथ के पिता से की फोन पर बात, कहा- मुझे माफ करना, मैं आपके साथ हूं - Neha Murder Case

शिवमोगा: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दिग्गज नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा के बेटे के ई कांतेश को हावेरी लोकसभा से टिकट नहीं दिया, जिसके बाद ईश्वरप्पा ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी. उन्होंने शिवमोगा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैासला किया है. इतना ही नहीं ईश्वरप्पा पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटों के खिलाफ खुलेआम बयानबाजी भी कर रहे हैं. इस बीच उन्होंने शिवमोगा में प्रचार भी शुरू कर दिया है.

ईश्वरप्पा के इस कदम की राज्यभर में चर्चा हो रही है. उनकी विद्रोह के कारण बीजेपी को शर्मिंदगी भी उठानी पड़ रही है. नामांकन पत्र वापस लेने की समय सीमा तक चुप रहने वाली बीजेपी ने सोमवार को केएस ईश्वरप्पा को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. इसके साथ ही उनका पार्टी से 40 साल पुराना नाता खत्म हो गया.

गौरतलब है कि शिवमोगा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी से मौजूदा सांसद बी वाई राघवेंद्र और कांग्रेस से गीता शिवराजकुमार चुनावी मैदान में हैं. वहीं, ईश्वरप्पा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों को चुनौती देंगे.

निर्दलीय लड़कर दिखाएंगे दम: इससे पहले बीजेपी आलाकमान के आदेश पर ईश्वरप्पा ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में शिवमोगा विधानसभा क्षेत्र छोड़ दिया था और पार्टी की बात मानी थी. वहीं, इस बार वह बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़कर अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं.

शिवमोगा का सियासी समीकरण: शिवमोगा लोकसभा क्षेत्र में 17,29,901 मतदाता हैं. इनमें से 50 फीसदी वोटर ओबीसी समुदाय के हैं. चूंकि ईश्वरप्पा कुरुबा समुदाय से हैं, इसलिए उन्हें उम्मीद है कि ओबीसी वोटर्स उनके पक्ष में वोट करेंगे. ईश्वरप्पा का दावा है कि पार्टी में पद नहीं मिलने से कई कार्यकर्ता नाराज हैं और वे सभी उनके साथ खड़े हैं.

ईश्वरप्पा की नजर महिला वोटों पर भी है. वह पिछले 10 साल से द मरिकम्बा सेल्फ हेल्प सोसाइटी चला रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि सोसाइटी में शामिल महिलाएं उनका समर्थन करेंगे. 40 साल से कमल के फूल पर चुनाव लड़ने वाले ईश्वरप्पा को इस बार गन्ना किसान चुनाव चिन्ह मिला है.

बीवाई राघवेंद्र के लिए चुनौती: केएस ईश्वरप्पा मौजूदा सांसद बीवाई राघवेंद्र के लिए सीधी चुनौती हैं. वह बड़ी तादाद में बीजेपी के वोट काट सकते हैं. ऐसे में बीजेपी ने ईश्वरप्पा से निपटने के लिए पार्टी की स्थानीय समिति के पूर्व सदस्यों को विभिन्न जिम्मेदारियां देने का वादा किया है. हालांकि, कई स्थानीय नेता ईश्वरप्पा के साथ हैं.

यह भी पढ़ें- सीएम सिद्धारमैया ने नेहा हिरेमथ के पिता से की फोन पर बात, कहा- मुझे माफ करना, मैं आपके साथ हूं - Neha Murder Case

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.