वाराणसी: कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियों में भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी के लोग भी दिन रात लगे हैं. काष्ठ शिल्पकार कान्हा की अलग-अलग प्रतिमाएं बनाने में जुटे हुए हैं. बनारस में तैयार कान्हा की झांकी, प्रतिमाएं सिंगापुर से लेकर साउथ इंडिया में सजेंगी. इस बार नंद गोपाल के नटखट बाल स्वरूप की सबसे ज्यादा डिमांड है.
दरअसल, 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी का महोत्सव है. इसको लेकर के बनारस में काष्ठ कला कारीगरों के पास बड़ी संख्या में ऑर्डर आया है, जिसे वह तैयार कर रहे हैं. यह आर्डर कई देशों से भी आए हैं खासकर सिंगापुर से वहीं मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, दक्षिण भारत, गुजरात से भी भारी संख्या में आए हैं. जहां कारीगर झांकियां को तैयार कर रहे हैं. इस बार भगवान कृष्ण के खास झूले को भी तैयार किया है, जिसको हर वर्ग का बजट को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है.
काष्ठ कारोबारी बिहारी लाल अग्रवाल बताते हैं कि, हम लोगों ने इस बार नटखट नंद गोपाल के जीवन से जुड़ी झांकियां को बनाया है. जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं और हमारे पास उसकी डिमांड भी आ रही है. सिंगापुर से 26 झांकियां का आर्डर आया है. वहीं देश के अलग-अलग हिस्सों से भी 2200 झूले और 2000 से ज्यादा झांकियां का आर्डर मिला है. जिसे हम लोग तैयार कर भेज रहे हैं. झांकियां लगातार बनाई जा रही है और बिकती भी जा रही हैं. अग्रवाल ने बताया कि इस बार की झांकी की खासियत यह है कि, इसमें रंगों का चुनाव भगवान कृष्ण के पसंदीदा रंगों के आधार पर किया गया है. यही नहीं उस जमाने में जिस तरीके से गोपियां, महिलाएं वस्त्र पहनती थी उन्हीं डिजाइन के वस्त्र को भी तैयार कर इन मूर्तियों को बनाया गया है.
बिहारी लाल अग्रवाल ने बताया कि, झांकी के साथ भगवान कृष्ण के लिए खास झूले भी तैयार किए गए हैं, जिनमें उनके पसंदीदा पशु-पक्षियों को बनाया गया है और इसमें 26 रंगों का प्रयोग किया गया है. झांकी की कीमत 500 से शुरू होकर 20,000 तक है. वहीं, झूले की कीमत 600 से लेकर के हजार रुपए तक है. इसके पहले जब हम लोग लकड़ी के झूले बनाते थे तो वह 4000 से लेकर 20,000 तक बिकते थे. लेकिन इस बार हम लोगों ने मिडिल क्लास परिवारों को देखते हुए भी झूला तैयार किया है, जिसकी कीमत बेहद कम है.
इसके साथ ही अग्रवाल कहते हैं कि इस बार दक्षिण भारत से बनारस के खास नाव का भी आर्डर आया है, जिस पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की जलविहार झांकी सजाई जाएगी. इस नाव का नाम काशी मोक्ष नाव रखा गया है, जिसे बनाने में एक हफ्ते का समय लगता है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां 400 कलाकार बीते 3 महीने से इन झांकियां को बना रहे थे, इस बार कारोबार में 20 से 30 फीसदी तक उछाल देखने को मिला है.
झांकी बनाने वाली महिला कलाकार बताती हैं कि, हम पूरे साफ-सफाई शुद्धता के साथ भगवान कृष्ण का झूला उनकी झांकी बनाते हैं. हमें इससे मुनाफा भी मिलता है और हमारा मन भी प्रसन्न रहता है. बता दें कि, बनारस में काष्ठ कला करीब 400 साल पुरानी कला मानी जाती है, जिसमें वर्तमान समय में 2000 से ज्यादा आर्टिस्ट जुड़े हुए हैं, जो लकड़ी के टुकड़े पर अलग-अलग तरीके की आकृति तैयार करते हैं. हर साल यह लोग भगवान कृष्ण की झांकियां भी बनाते हैं इस बार इन्होंने नटखट बाल स्वरूप की झांकी तैयार की है जिससे खूब पसंद किया जा रहा है.