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जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन को दिल्ली हाईकोर्ट से तगड़ा झटका, आय से अधिक संपत्ति की होगी लोकपाल और सीबीआई जांच!

Lokpal-CBI investigation in Shibu Soren case. झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन को दिल्ली हाईकोर्ट से तगड़ा झटका है. आय से अधिक संपत्ति मामले में लोकपाल और सीबीआई जांच हो सकती है.

Lokpal-CBI investigation in Shibu Soren case
Lokpal-CBI investigation in Shibu Soren case
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 22, 2024, 7:15 PM IST

रांची: आय से अधिक संपत्ति में लोकपाल की जांच से जुड़े मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन को तगड़ा झटका लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सोरेन की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने भारत के लोकपाल की ओर से उनके खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई को चुनौती दी थी.

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद 25 सितंबर 2023 को निर्णय सुरक्षित रख लिया था. अदालत के ताजा आदेश के बाद आय से अधिक संपत्ति के मामले में लोकपाल और सीबीआई की जांच शुरू हो सकती है.

गौरतलब है कि झारखंड के गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से शिबू सोरेन और उनके परिजनों के नाम पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत लोकपाल के समक्ष 5 अगस्त 2020 को दायर की गयी थी. इसमें कहा गया था कि सोरेन और उनके परिजनों ने झारखंड के सरकारी खजाने का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार से अर्जित राशि से अनेक संपत्तियां बनायी हैं. इनमें कई बेनामी आवासीय और कमर्शियल परिसंपत्तियां भी हैं.

इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए लोकपाल की फुल बेंच ने 15 सितंबर, 2020 को सीबीआई को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 20 (1) (ए) के तहत मामले में पीई (प्रीलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज कर छह महीने में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था.

सीबीआई ने मामले की जांच के बाद मार्च 2021 और उसके बाद 1 जुलाई 2021 को सोरेन परिवार की संपत्ति का पूरा ब्यौरा और उनके आयकर रिटर्न पर लोकपाल को रिपोर्ट सौंपी थी. इसके आधार पर लोकपाल ने शिबू सोरेन और परिवार के सदस्यों को नोटिस भेजकर उनका पक्ष मांगा था.

इसके बाद सोरेन परिवार के सदस्यों से मिले जवाब के आलोक में सीबीआई ने अंतिम पीई रिपोर्ट बीते साल 29 जून को लोकपाल के यहां दाखिल की. इसमें सीबीआई की ओर से कहा गया है कि सोरेन और परिवार के सदस्यों ने आय के ज्ञात और घोषित स्रोत से ज्यादा कई बेनामी संपत्तियां बनाई हैं.

लोकपाल ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई की विस्तृत रिपोर्ट के अवलोकन के आधार पर यह पाया गया है कि इस मामले में धारा 20(3) के अंतर्गत प्रोसिडिंग शुरू की जानी चाहिए. इस सिलसिले में शिबू सोरेन को लोकपाल की ओर से नोटिस जारी किया गया था.

  • आज दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकपाल में दाखिल मेरे केस को सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा और दख़लंदाज़ी से इनकार किया ।कोर्ट ने कहा कि सोरेन परिवार के भ्रष्टाचार पर फ़िलहाल लोकपाल की कार्रवाई व CBI क़ानून सम्मत है ।जय राम श्रीराम जय जय राम

    — Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) January 22, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस मामले के शिकायतकर्ता सांसद निशिकांत दुबे ने अदालत के फैसले को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आज दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकपाल में दाखिल मेरे केस की सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा और दखलंदाजी से इनकार किया. कोर्ट ने कहा कि सोरेन परिवार के भ्रष्टाचार पर फिलहाल लोकपाल की कार्रवाई व सीबीआई कानून सम्मत है. जय राम श्री राम जय जय राम."

इनपुट- आईएएनएस

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Disproportionate Assets Case: शिबू सोरेन की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में 15 मार्च को सुनवाई

रांची: आय से अधिक संपत्ति में लोकपाल की जांच से जुड़े मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन को तगड़ा झटका लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को सोरेन की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने भारत के लोकपाल की ओर से उनके खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई को चुनौती दी थी.

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद 25 सितंबर 2023 को निर्णय सुरक्षित रख लिया था. अदालत के ताजा आदेश के बाद आय से अधिक संपत्ति के मामले में लोकपाल और सीबीआई की जांच शुरू हो सकती है.

गौरतलब है कि झारखंड के गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से शिबू सोरेन और उनके परिजनों के नाम पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत लोकपाल के समक्ष 5 अगस्त 2020 को दायर की गयी थी. इसमें कहा गया था कि सोरेन और उनके परिजनों ने झारखंड के सरकारी खजाने का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार से अर्जित राशि से अनेक संपत्तियां बनायी हैं. इनमें कई बेनामी आवासीय और कमर्शियल परिसंपत्तियां भी हैं.

इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए लोकपाल की फुल बेंच ने 15 सितंबर, 2020 को सीबीआई को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 20 (1) (ए) के तहत मामले में पीई (प्रीलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज कर छह महीने में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था.

सीबीआई ने मामले की जांच के बाद मार्च 2021 और उसके बाद 1 जुलाई 2021 को सोरेन परिवार की संपत्ति का पूरा ब्यौरा और उनके आयकर रिटर्न पर लोकपाल को रिपोर्ट सौंपी थी. इसके आधार पर लोकपाल ने शिबू सोरेन और परिवार के सदस्यों को नोटिस भेजकर उनका पक्ष मांगा था.

इसके बाद सोरेन परिवार के सदस्यों से मिले जवाब के आलोक में सीबीआई ने अंतिम पीई रिपोर्ट बीते साल 29 जून को लोकपाल के यहां दाखिल की. इसमें सीबीआई की ओर से कहा गया है कि सोरेन और परिवार के सदस्यों ने आय के ज्ञात और घोषित स्रोत से ज्यादा कई बेनामी संपत्तियां बनाई हैं.

लोकपाल ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई की विस्तृत रिपोर्ट के अवलोकन के आधार पर यह पाया गया है कि इस मामले में धारा 20(3) के अंतर्गत प्रोसिडिंग शुरू की जानी चाहिए. इस सिलसिले में शिबू सोरेन को लोकपाल की ओर से नोटिस जारी किया गया था.

  • आज दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकपाल में दाखिल मेरे केस को सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा और दख़लंदाज़ी से इनकार किया ।कोर्ट ने कहा कि सोरेन परिवार के भ्रष्टाचार पर फ़िलहाल लोकपाल की कार्रवाई व CBI क़ानून सम्मत है ।जय राम श्रीराम जय जय राम

    — Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) January 22, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस मामले के शिकायतकर्ता सांसद निशिकांत दुबे ने अदालत के फैसले को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आज दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकपाल में दाखिल मेरे केस की सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा और दखलंदाजी से इनकार किया. कोर्ट ने कहा कि सोरेन परिवार के भ्रष्टाचार पर फिलहाल लोकपाल की कार्रवाई व सीबीआई कानून सम्मत है. जय राम श्री राम जय जय राम."

इनपुट- आईएएनएस

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