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फिक्स्ड डोज कांबिनेशन की दवा बनाने वाली कंपनियों को राहत, किसी भी निरोधात्मक कार्रवाई पर रोक - Delhi High Court On FDC - DELHI HIGH COURT ON FDC

केंद्र सरकार ने हाल ही में 156 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने एफडीसी की दवाईयां बनाने वाली कंपनियों को राहत दी है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के 02 अगस्त के आदेश के बाद फिलहाल दवा कंपनियों और स्टॉकिस्ट के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

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दवा बनाने वाली कंपनियों को राहत (File Photo)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 31, 2024, 10:12 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने फिक्स्ड डोज कांबिनेशन (एफडीसी) की दवाईयां बनाने वाली कंपनियों को राहत दी है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार के 2 अगस्त के आदेश के बाद फिलहाल दवा कंपनियों और स्टॉकिस्ट के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी.

हाईकोर्ट में छह दवा कंपनियों ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है. जिन दवा कंपनियों ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है, उनमें मैनकाइंड फार्मा, इंडोको रिमेडीज, लीफोर्ड हेल्थकेयर, ऑबसर्ग बायोटेक, नेविल लेबोरेटरीज और विल्को लेबोरेटरीज शामिल हैं. इन दवा कंपनियों ने 2 अगस्त के केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी है जिसमें 156 एफडीसी दवाईयों पर रोक लगा दिया गया है. केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इन दवाईयों के इस्तेमाल से शरीर पर बुरा असर पड़ रहा है.

सुनवाई के दौरान दवा कंपनियों की ओर से पेश वकीलों जवाहर लाल, अर्चना सहदेवा और उदित चौहान ने हाईकोर्ट के 28 जून 2023 के उस आदेश का जिक्र किया, जिसमें 14 एफडीसी दवाईयों पर रोक के आदेश पर दवा कंपनियों को राहत मिली थी. 28 जून 2023 के आदेश में दवा कंपनियों और उनके डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के खिलाफ किसी भी निरोधात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी गई थी. एफडीसी दवाईयों के उत्पादन पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया गया था. हाईकोर्ट ने कहा कि 28 जून 2023 का आदेश केंद्र सरकार के 2 अगस्त के आदेश पर भी लागू होगा.

हाईकोर्ट ने दवा कंपनियों को हलफनामा दाखिल कर एफडीसी दवाईयों के स्टॉक की जानकारी तीन दिनों के अंदर दाखिल करने का निर्देश दिया. इसके अलावा हलफनामा में दवा कंपनियों को स्टॉक के सर्कुलेशन की भी जानकारी देनी होगी. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे चार हफ्ते में जवाब दाखिल करे.

ये भी पढ़ें: बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ीं, दिव्य दंत मंजन को वेजिटेरियन बताने पर हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया

ये भी पढ़ें: JDU के सांगठनिक चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने किया खारिज

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने फिक्स्ड डोज कांबिनेशन (एफडीसी) की दवाईयां बनाने वाली कंपनियों को राहत दी है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार के 2 अगस्त के आदेश के बाद फिलहाल दवा कंपनियों और स्टॉकिस्ट के खिलाफ कोई निरोधात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी.

हाईकोर्ट में छह दवा कंपनियों ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है. जिन दवा कंपनियों ने केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी है, उनमें मैनकाइंड फार्मा, इंडोको रिमेडीज, लीफोर्ड हेल्थकेयर, ऑबसर्ग बायोटेक, नेविल लेबोरेटरीज और विल्को लेबोरेटरीज शामिल हैं. इन दवा कंपनियों ने 2 अगस्त के केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी है जिसमें 156 एफडीसी दवाईयों पर रोक लगा दिया गया है. केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इन दवाईयों के इस्तेमाल से शरीर पर बुरा असर पड़ रहा है.

सुनवाई के दौरान दवा कंपनियों की ओर से पेश वकीलों जवाहर लाल, अर्चना सहदेवा और उदित चौहान ने हाईकोर्ट के 28 जून 2023 के उस आदेश का जिक्र किया, जिसमें 14 एफडीसी दवाईयों पर रोक के आदेश पर दवा कंपनियों को राहत मिली थी. 28 जून 2023 के आदेश में दवा कंपनियों और उनके डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क के खिलाफ किसी भी निरोधात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी गई थी. एफडीसी दवाईयों के उत्पादन पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया गया था. हाईकोर्ट ने कहा कि 28 जून 2023 का आदेश केंद्र सरकार के 2 अगस्त के आदेश पर भी लागू होगा.

हाईकोर्ट ने दवा कंपनियों को हलफनामा दाखिल कर एफडीसी दवाईयों के स्टॉक की जानकारी तीन दिनों के अंदर दाखिल करने का निर्देश दिया. इसके अलावा हलफनामा में दवा कंपनियों को स्टॉक के सर्कुलेशन की भी जानकारी देनी होगी. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वे चार हफ्ते में जवाब दाखिल करे.

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