नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए हुए चुनाव की मतगणना की अनुमति दिल्ली हाईकोर्ट ने दे दी है. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि वो 26 नवंबर तक मतगणना की प्रक्रिया पूरी करे. हाईकोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक संपत्तियों की एक हफ्ते के अंदर सफाई और पेंटिंग हो. हाईकोर्ट ने कहा कि छात्र संघ का चुनाव लड़ रहे वर्तमान उम्मीदवारों और भविष्य के उम्मीदवारों की ये जिम्मेदारी है कि वो यूनिवर्सिटी के इंफ्रास्ट्रक्टर को साफ और बेहतर बनाकर रखे.
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव की मतगणना पर मतगणना रोक लगी हुई थी. आज दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की. इससे पहले हाईकोर्ट ने 28 अक्टूबर को भी मतगणना की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने सफाई के संबंध में ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और वकील प्रशांत मनचंदा ने हाईकोर्ट को उन उम्मीदवारों की सूची सौंपी थी जिन्होंने चुनाव के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को विरुपित किया था.
कोर्ट का सफाई संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश: हाईकोर्ट ने सभी उम्मीदवारों को निर्देश दिया था कि खराब की गई सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई करें. कोर्ट ने उम्मीदवारों को निर्देश दिया था कि वे न केवल कॉलेज और यूनिवर्सिटी कैंपस की ही सफाई न करें बल्कि शहर में उन स्थानों की भी सफाई कराएं जहां गंदगी फैलाई गई है. कोर्ट ने सभी उम्मीदवारों को निर्देश दिया था कि वे इस बात का हलफनामा दाखिल करें कि उन्होंने सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई कर दी है. उम्मीदवार सफाई संबंधी फोटो भी कोर्ट में दाखिल करें. इसके अलावा हाईकोर्ट ने सभी उम्मीदवारों को निर्देश दिया था कि वे इस बात का भी हलफनामा दें कि वे भविष्य में सार्येवजनिक संपत्तियों का गंदा नहीं करेंगे.
बता दें कि कोर्ट ने 21 अक्टूबर को भी कहा था कि जब तक सार्वजनिक संपत्ति साफ नहीं हो जाती तब तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए हुए चुनाव की मतगणना की इजाजत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने दिल्ली मेट्रो और दिल्ली पुलिस से सफाई के संबंध में ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था.
क्या है पूरा मामला: सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत मनचंदा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के उस दावे को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि 90 फीसदी सार्वजनिक संपत्तियों को साफ कर दिया गया है. तब कोर्ट ने कहा था कि हम उनके खिलाफ कार्रवाई शुरु कर सकते हैं जिन्होंने सार्वजनिक संपत्तियों को गंदा किया है. हाईकोर्ट ने 9 अक्टूबर को भी कहा था कि जब तक सार्वजनिक संपत्ति साफ नहीं हो जाती तब तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए हुए चुनाव की मतगणना की इजाजत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने छात्र नेताओं से कहा था कि हम नतीजे रोक कर रखना नहीं चाहते हैं. आप सार्वजनिक संपत्ति को साफ कर दें, फिर से पेंट करा दें, हम अगले दिन काउंटिंग करा देंगे. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में मुफ्त खाना बांटा जा रहा था, ऐसा हमने आम चुनाव में भी नहीं देखा. छात्र संघ चुनाव में आम चुनाव से भी ज़्यादा पैसा खर्च हुआ है. यह लोकतंत्र का उत्सव है, यह मनी लांड्रिंग का उत्सव नहीं है. 26 सितंबर को हाईकोर्ट ने मतगणना पर रोक लगा दी थी.
दिल्ली यूनिवर्सिटी को करनी होगी भरपाई: हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी और सभी कॉलेज प्रशासन को निर्देश दिया था कि वे मतदान के बाद ईवीएम और बैलेट बॉक्स को अगले आदेश तक सुरक्षित और संरक्षित रखें. हाईकोर्ट ने कहा था कि जितनी भी सार्वजनिक संपत्ति को गंदा किया गया है, उसकी सफाई में आने वाली लागत की भरपाई दिल्ली यूनिवर्सिटी को करनी होगी. हाईकोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी बाद में इस पैसे की भरपाई चुनाव लड़ने वाले उन उम्मीदवारों से कर सकती है, जिन्होंने उक्त अपराध किया है.
सख्त एक्शन लेना चाहिए: सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या कोई रिकॉर्ड है कि चुनाव में कितना पैसा इस्तेमाल किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने कहा था कि पोस्टर दीवारों और सड़कों पर लगाए जा रहे हैं. इस तरह से पैसा को बर्बाद नहीं होने देना चाहिए. आपको इसके लिए सख्त एक्शन लेना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा था कि जिन उम्मीदवारों के नाम के पोस्टर लगे हुए है उन पोस्टरों को हटाने के पैसे उनसे ही वसूला जाए. यह चुनाव कोई अकेले नहीं लड़ रहा है बल्कि चुनाव में संगठन शामिल हैं. आप अपने आप को इतना असहाय महसूस मत करिए.
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