नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ जीत हासिल करने की तैयारी में जुटी आम आदमी पार्टी की सरकार यूं तो दिल्ली की जनता के लिए कई स्कीमें चला रही हैं, लेकिन उन स्कीमों में ज्यादा चर्चा उनकी है जो लोगों को मुफ्त मिल रही है. अब पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में हैट्रिक बनाने की तैयारी में जुटी आप सरकार ने पहले की मुफ्त योजनाओं के अतिरिक्त दिल्ली की आधी आबादी के लिए "मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना" को ऐलान और उसको शर्तिया तौर पर लागू करने का वादा, बीते दो दिनों से ये सुर्खियों में है.
गुरुवार को मुख्यमंत्री आतिशी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे पास किया तो इसकी जानकारी देने के लिए पार्टी संयोजक के नाते केजरीवाल स्वयं आगे आए थे. अगले दिन शुक्रवार को सीएम आतिशी ने दिल्ली सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस योजना के बारे में विस्तार से बताया. दिल्ली की महिलाओं के लिए सरकार के इस स्कीम को लेकर विपक्ष ने आप सरकार को घेरने की कोशिश की.
हालांकि मुख्यमंत्री आतिशी ने इस पर दिल्ली सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आई है, तब से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार ने अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक राशि खर्च कर रही है. दिल्ली का राजस्व संतुलन ठीक है. हालांकि जानकार बताते हैं कि अगर यह योजनाएं बिना किसी आय के नए संसाधन के जारी रहेगी तो आने वाले समय में यह चिंता का कारण बन सकती है. सामने चुनाव है ऐसे में फिलहाल इस बात पर मुख्यमंत्री कोई टिप्पणी नहीं की.
इन मुफ्त योजनाओं का महिलाओं को मिल रहा परोक्ष रूप से लाभ: दिल्ली की महिलाओं को ध्यान में रखते हुए यह आप सरकार की दूसरी बड़ी योजना है. मगर आम आदमी पार्टी सरकार का मानना है कि अभी तक जनहित के लिए जो भी योजनाएं सरकार ने लागू किया है, मुख्यमंत्री आतिशी कहतीं हैं इन सबका लाभ प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से महिलाओं को ही मिलता है. दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त है. 400 यूनिट बिजली की खपत पर सिर्फ 500 रुपये तक का बिल आता है. 20 हज़ार लीटर तक पानी का इस्तेमाल पर जीरो बिल है. मोहल्ला क्लीनिक में मुफ्त उपचार की सुविधा है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में, अस्पतालों में ईलाज व दवाइयां मुफ्त है तो इन सब मद में बचाने वाला पैसा घर की महिलाएं अपना परिवार चलाने में ही खर्च करती हैं.
पिछले चुनाव में मुफ्त बस यात्रा का किया था ऐलान: वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले दिसंबर 2019 में आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली की महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा का ऐलान किया था. इसे लागू हुए करीब 5 साल हो चुके हैं. दिल्ली परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार मुफ्त बस यात्रा होने से बस में यात्रा करने वाले का महिलाओं की संख्या बढ़ी है. एक दिन में तकरीबन 11 लाख महिलाएं बस में सफर करती हैं. इन महिलाओं को पिंक टिकट दिया जाता है इसके बदले कोई शुल्क नहीं लिया जाता. दिल्ली सरकार का दावा है कि महिलाओं को मुफ्त में बस यात्रा करने के फैसले से इस पर कुल 108 करोड़ रुपए प्रति वर्ष खर्च होते हैं.
अन्य मुफ्त योजनाओं का हाल: दिल्ली में बिजली उपभोक्ताओं का 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने के सरकार के फैसले से लाखों उपभोक्ताओं को लाभ मिल रहा है. इस मद में तकरीबन 2000 करोड़ रुपये सरकार प्रति वर्ष सब्सिडी के तौर पर बिजली कंपनियों को देती है. बीते नवंबर महीने के आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन 48 लाख लोगों का बिजली बिल शून्य आया है.
वर्ष 2023- 24 के दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, मुफ्त पानी की स्कीम पर करीब 550 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. इस स्कीम के तहत 20 हज़ार लीटर तक पानी के इस्तेमाल पर उपभोक्ता को जीरो बिल आता है और इसका फायदा तकरीबन 14 लाख लोगों को पहुंच रहा है. दिल्ली में पिछले कुछ वर्षों से नए बुजुर्गों को पेंशन नहीं मिल रही थी, मगर दिल्ली सरकार की तरफ से विधवाओं और दिव्यांगों को दिए जाने वाले पेंशन में किसी प्रकार की कटौती नहीं की गई.
राज्य चुनाव आयोग द्वारा अक्टूबर में जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में वोटरों की संख्या:
- कुल मतदाताओं की संख्या: 1,53,57,529
- पुरुष मतदाताओं की संख्या: 82,78,772
- महिला मतदाताओं की संख्या: 70,77,526
जानिए क्या कहते हैं दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव: दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सहगल कहते हैं कि आम आदमी पार्टी की सरकार प्रत्येक वर्ष बजट पेश करने के दौरान कहती है कि सरकार का बजट सरप्लस है, तो यह अच्छे प्रदर्शन की निशानी नहीं हो सकती. सरप्लस बजट होने का मतलब है कल्याणकारी योजनाओं में सरकार ने खर्च ही नहीं किया. जिन सुविधाओं को सरकार बेहतर बताती हैं और जमीनी स्तर पर वहां अलग दिखता है तो इसका श्रेय सरकार नहीं ले सकती. वे कहते हैं कि ऐसी योजनाएं जिसे लोगों को लाभ तो मिले, उससे सरकार को भी फायदा पहुंचे. अगर सरकार ने नए अस्पताल बनाए हैं, नई बिल्डिंग बनाने का दावा करती है तो वह आधी अधूरे क्यों हैं? इसका फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है तो योजनाओं को जनकल्याणकारी योजना नहीं कह सकते. सरप्लस बजट होने के बाद दिल्ली को सड़कें जर्जर हैं, नए फ्लाईओवर नहीं बने, अस्पताल आधे अधूरे हैं तो यह जनहित में कहां है.
बता दें कि चालू वित्त वर्ष के लिए दिल्ली सरकार ने 76000 करोड़ का बजट पेश किया है. दिल्ली सरकार की आमदनी के दो अहम स्रोत हैं. एक है जीएसटी से होने वाले आमदनी और दूसरा है एक्साइज से होने वाली आय. इसके अलावा हर राज्य सरकार को कुछ केंद्रीय अनुदान भी मिलता है और कुछ कमाई जमा पैसों के लाभांश से भी होती है.
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