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स्वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट को लेकर MSME कॉन्क्लेव, देहरादून रीजन में बन रहे महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण - SWADESHI DEFENSE EQUIPMENT

सेना में स्वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट को लेकर डिफेंस MSME कॉन्क्लेव, देहरादून रीजन में बन रहे महत्वपूर्ण स्वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट

SWADESHI DEFENSE EQUIPMENT
देहरादून में डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 5, 2024, 9:58 AM IST

Updated : Dec 5, 2024, 1:16 PM IST

देहरादून: भारतीय सेना में स्वदेशी उपकरणों को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश की इकोनॉमी और उत्पादों को सेना में उपयोगिता से जोड़ने की कोशिश चल रही है. भारतीय रक्षा मंत्रालय की प्रोडक्शन विंग ने देहरादून में एक डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव का आयोजन किया. इसमें उत्तराखंड रीजन के 70 से ज्यादा उद्यमियों ने प्रतिभाग किया. पेश है ईटीवी भारत संवाददाता धीरज सजवाण की खास रिपोर्ट.

डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव का आयोजन: रक्षा मंत्रालय का यह उद्देश्य है कि सेना के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा लघु और सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयों की सेवाओं का लाभ लिया जाए. ताकि देश में MSME (Micro, Small and Medium Enterprises) सेक्टर को जोड़ते हुए देश की इकोनॉमी के साथ-साथ स्वदेशी को भी बढ़ावा मिले. इसी लक्ष्य की दिशा में की जा रही पहल के तहत उत्तराखंड रीजन के लिए उत्तराखंड में डिफेंस को अपनी सेवा देने वाले या फिर ऐसी संभावनाएं रखने वाले तमाम छोटी औद्योगिक इकाइयों को भारतीय सेना ने देहरादून में हुए स्टेट लेवल डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव में आमंत्रित किया. रक्षा मंत्रालय के इस कॉन्क्लेव में उत्तराखंड से 70 से ज्यादा एमएसएमई सेक्टर के उद्यमी इसमें शामिल हुए जो कि सीधे तौर से डिफेंस प्रोडक्ट तैयार करते हैं.

स्वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट को लेकर MSME कॉन्क्लेव (VIDEO- ETV Bharat)

रक्षा मंत्रालय के लिए बनाए कई महत्वपूर्ण स्वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट: उत्तराखंड से एक बड़े डिफेंस प्रोडक्ट के स्टेक होल्डर DPSU (डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग) इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड के चीफ जनरल मैनेजर विपुल कुमार सिन्हा भी डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव में मौजूद रहे. उन्होंने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस द्वारा स्वदेशी और एमएसएमई इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए की जा रही है यह पहल पिछले कुछ समय में बेहद कारगर साबित हुई है. उन्होंने बताया कि उनके DPSU ने उत्तराखंड रीजन की सभी डिफेंस ओरिएंटेड एमएसएमई को एक प्लेटफार्म पर लाने का काम किया है. इन्होंने बताया कि इसके बाद उन्हें कई उपलब्धियां भी हासिल हुई हैं.

देहरादून बना डिफेंस प्रोडक्ट बनाने का हब: विपुल कुमार ने बताया कि आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण से पॉजिटिव इनराइजेशन सूची निकाली गई थी, जिसके तहत 450 के करीब स्वदेशी प्रोडक्ट सेना के लिए तैयार किए जाने थे. इसमें 300 से ज्यादा डिफेंस इक्विपमेंट उत्तराखंड रीजन में तैयार किए गए थे. इनमें से मिसाइल लॉन्चर में बैलिस्टिक मैकेनिज्म का महत्वपूर्ण कॉम्पोनेंट भी देहरादून रीजन के MSME सेक्टर द्वारा तैयार किया गया है. इसके अलावा मिसाइल इनफॉरमेशन ब्लॉक जो कि आर्म्ड व्हीकल में इस्तेमाल होता है, उसके लिए भी एक आई कंट्रोल सिस्टम देहरादून रीजन में तैयार किया जा रहा है.

बदली हुई जियो पोलिटिकल सिचुएशन में स्वदेशी जरूरी: इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड के चीफ जनरल मैनेजर विपुल कुमार सिन्हा ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि क्षेत्रीय एमएसएमई क्षमता को रक्षा उत्पादों के लिए मजबूत बनाया जाए. उन्होंने बताया कि जिस तरह से प्रधानमंत्री की यह सोच है कि देश को अपने आप पर निर्भर बनाया जाए. खासतौर से रक्षक क्षेत्र में जिस तरह से आज पूरी दुनिया में जियो पॉलिटिकल सिचुएशन बदल रही है, उसके हिसाब से आत्मनिर्भर या फिर रक्षा के मामले में स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत बनाना बेहद जरूरी है.

डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग एक अलग तरह का उद्योग: उन्होंने बताया कि इसी सोच को धरातल पर उतरने के लिए मिनिस्ट्री आफ डिफेंस रीजनल एमएसएमई सेक्टर पर फोकस कर रहा है. उन्होंने कहा है कि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग एक बेहद अलग तरह का उद्योग है. इसमें हर कोई नहीं उतर सकता है. वहीं इसके अलावा उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा छोटी डिफेंस एमएसएमई सेक्टर को जहां एक तरफ लाभ मिलता है, तो वहीं दूसरी तरफ यह एक राष्ट्र निर्माण का भी कार्य है. कई तरह के इलेक्ट्रीशियन एमएसएमई सेक्टर को दिए जाते हैं.

रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और स्वदेशी में एमएसएमई की बड़ी भूमिका: कार्यक्रम में मौजूद DIO (डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन) के सीनियर अधिकारी विवेक विरमानी ने iDEX (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) की विशेषताओं पर बात करते हुए कहा कि भारत में एक बड़ा हिस्सा सूक्ष्म एवं लघु उद्योग (MSME) का है. उन्होंने कहा कि आज रक्षा मंत्रालय के सभी प्रोडक्शन और इनोवेशन विंग देश में एमएसएमई सेक्टर को प्रोत्साहित कर रहे हैं, ताकि देश आप निर्भर और स्वदेशी की तरफ आगे बढ़े. यही सरकार की भी सोच है. इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए डिपार्टमेंट ऑफ़ डिफेंस प्रोडक्शन (DDP) उद्योग संगठनों के साथ मिलकर इस तरह के प्रोग्राम कर रहा है. इस दिशा में देहरादून में भी फिक्की इंडिया के सौजन्य से कॉन्क्लेव किया गया. उन्होंने बताया कि देहरादून और उत्तराखंड रीजन में डिफेंस सेक्टर की कई पब्लिक ऑन इंडस्ट्रीज हैं. इसी में आगे और संभावनाएं बढ़ाते हुए और खासतौर से इस क्षेत्र में नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए यह पूरी कवायद की जा रही है.

कैसे लगा सकते हैं डिफेंस से जुड़ी इंडस्ट्री, क्या मिलेगा आपको लाभ? ईटीवी भारत ने रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से यह भी जानने की कोशिश की कि कैसे कोई स्टार्टअप, डिफेंस इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत कर सकता है. किस तरह से उसे डिफेंस से जुड़ने की जानकारी मिलेगी? इसको लेकर iDEX (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) अधिकारी विवेक विरमानी ने बताया कि वह रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर इसकी पूरी तरह से जानकारी ले सकते हैं. iDEX (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) पर भी आपको नए स्टार्टअप और इससे जुड़ी तमाम योजनाओं के बारे में जानकारी मिलेगी. वहीं डिफेंस सेक्टर की इंडस्ट्री से जुड़ने पर उद्यमी को क्या लाभ मिलेगा? इसको लेकर के भी उन्होंने बताया कि निश्चित तौर से जहां एक तरफ यह राष्ट्र निर्माण का कार्य है, तो वहीं दूसरी तरफ कई अलग-अलग पैरामीटर पर रिलैक्सेशन भी इंडस्ट्री को दिए जाते हैं.
ये भी पढ़ें: खुशखबरीः उत्तराखंड में जल्द शुरू होगा रक्षा उपकरण संस्थान, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

देहरादून: भारतीय सेना में स्वदेशी उपकरणों को बढ़ावा देने के साथ-साथ देश की इकोनॉमी और उत्पादों को सेना में उपयोगिता से जोड़ने की कोशिश चल रही है. भारतीय रक्षा मंत्रालय की प्रोडक्शन विंग ने देहरादून में एक डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव का आयोजन किया. इसमें उत्तराखंड रीजन के 70 से ज्यादा उद्यमियों ने प्रतिभाग किया. पेश है ईटीवी भारत संवाददाता धीरज सजवाण की खास रिपोर्ट.

डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव का आयोजन: रक्षा मंत्रालय का यह उद्देश्य है कि सेना के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा लघु और सूक्ष्म औद्योगिक इकाइयों की सेवाओं का लाभ लिया जाए. ताकि देश में MSME (Micro, Small and Medium Enterprises) सेक्टर को जोड़ते हुए देश की इकोनॉमी के साथ-साथ स्वदेशी को भी बढ़ावा मिले. इसी लक्ष्य की दिशा में की जा रही पहल के तहत उत्तराखंड रीजन के लिए उत्तराखंड में डिफेंस को अपनी सेवा देने वाले या फिर ऐसी संभावनाएं रखने वाले तमाम छोटी औद्योगिक इकाइयों को भारतीय सेना ने देहरादून में हुए स्टेट लेवल डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव में आमंत्रित किया. रक्षा मंत्रालय के इस कॉन्क्लेव में उत्तराखंड से 70 से ज्यादा एमएसएमई सेक्टर के उद्यमी इसमें शामिल हुए जो कि सीधे तौर से डिफेंस प्रोडक्ट तैयार करते हैं.

स्वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट को लेकर MSME कॉन्क्लेव (VIDEO- ETV Bharat)

रक्षा मंत्रालय के लिए बनाए कई महत्वपूर्ण स्वदेशी डिफेंस इक्विपमेंट: उत्तराखंड से एक बड़े डिफेंस प्रोडक्ट के स्टेक होल्डर DPSU (डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग) इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड के चीफ जनरल मैनेजर विपुल कुमार सिन्हा भी डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव में मौजूद रहे. उन्होंने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस द्वारा स्वदेशी और एमएसएमई इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए की जा रही है यह पहल पिछले कुछ समय में बेहद कारगर साबित हुई है. उन्होंने बताया कि उनके DPSU ने उत्तराखंड रीजन की सभी डिफेंस ओरिएंटेड एमएसएमई को एक प्लेटफार्म पर लाने का काम किया है. इन्होंने बताया कि इसके बाद उन्हें कई उपलब्धियां भी हासिल हुई हैं.

देहरादून बना डिफेंस प्रोडक्ट बनाने का हब: विपुल कुमार ने बताया कि आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण से पॉजिटिव इनराइजेशन सूची निकाली गई थी, जिसके तहत 450 के करीब स्वदेशी प्रोडक्ट सेना के लिए तैयार किए जाने थे. इसमें 300 से ज्यादा डिफेंस इक्विपमेंट उत्तराखंड रीजन में तैयार किए गए थे. इनमें से मिसाइल लॉन्चर में बैलिस्टिक मैकेनिज्म का महत्वपूर्ण कॉम्पोनेंट भी देहरादून रीजन के MSME सेक्टर द्वारा तैयार किया गया है. इसके अलावा मिसाइल इनफॉरमेशन ब्लॉक जो कि आर्म्ड व्हीकल में इस्तेमाल होता है, उसके लिए भी एक आई कंट्रोल सिस्टम देहरादून रीजन में तैयार किया जा रहा है.

बदली हुई जियो पोलिटिकल सिचुएशन में स्वदेशी जरूरी: इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड के चीफ जनरल मैनेजर विपुल कुमार सिन्हा ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि क्षेत्रीय एमएसएमई क्षमता को रक्षा उत्पादों के लिए मजबूत बनाया जाए. उन्होंने बताया कि जिस तरह से प्रधानमंत्री की यह सोच है कि देश को अपने आप पर निर्भर बनाया जाए. खासतौर से रक्षक क्षेत्र में जिस तरह से आज पूरी दुनिया में जियो पॉलिटिकल सिचुएशन बदल रही है, उसके हिसाब से आत्मनिर्भर या फिर रक्षा के मामले में स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत बनाना बेहद जरूरी है.

डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग एक अलग तरह का उद्योग: उन्होंने बताया कि इसी सोच को धरातल पर उतरने के लिए मिनिस्ट्री आफ डिफेंस रीजनल एमएसएमई सेक्टर पर फोकस कर रहा है. उन्होंने कहा है कि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग एक बेहद अलग तरह का उद्योग है. इसमें हर कोई नहीं उतर सकता है. वहीं इसके अलावा उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा छोटी डिफेंस एमएसएमई सेक्टर को जहां एक तरफ लाभ मिलता है, तो वहीं दूसरी तरफ यह एक राष्ट्र निर्माण का भी कार्य है. कई तरह के इलेक्ट्रीशियन एमएसएमई सेक्टर को दिए जाते हैं.

रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और स्वदेशी में एमएसएमई की बड़ी भूमिका: कार्यक्रम में मौजूद DIO (डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन) के सीनियर अधिकारी विवेक विरमानी ने iDEX (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) की विशेषताओं पर बात करते हुए कहा कि भारत में एक बड़ा हिस्सा सूक्ष्म एवं लघु उद्योग (MSME) का है. उन्होंने कहा कि आज रक्षा मंत्रालय के सभी प्रोडक्शन और इनोवेशन विंग देश में एमएसएमई सेक्टर को प्रोत्साहित कर रहे हैं, ताकि देश आप निर्भर और स्वदेशी की तरफ आगे बढ़े. यही सरकार की भी सोच है. इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए डिपार्टमेंट ऑफ़ डिफेंस प्रोडक्शन (DDP) उद्योग संगठनों के साथ मिलकर इस तरह के प्रोग्राम कर रहा है. इस दिशा में देहरादून में भी फिक्की इंडिया के सौजन्य से कॉन्क्लेव किया गया. उन्होंने बताया कि देहरादून और उत्तराखंड रीजन में डिफेंस सेक्टर की कई पब्लिक ऑन इंडस्ट्रीज हैं. इसी में आगे और संभावनाएं बढ़ाते हुए और खासतौर से इस क्षेत्र में नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए यह पूरी कवायद की जा रही है.

कैसे लगा सकते हैं डिफेंस से जुड़ी इंडस्ट्री, क्या मिलेगा आपको लाभ? ईटीवी भारत ने रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से यह भी जानने की कोशिश की कि कैसे कोई स्टार्टअप, डिफेंस इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत कर सकता है. किस तरह से उसे डिफेंस से जुड़ने की जानकारी मिलेगी? इसको लेकर iDEX (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) अधिकारी विवेक विरमानी ने बताया कि वह रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर इसकी पूरी तरह से जानकारी ले सकते हैं. iDEX (इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस) पर भी आपको नए स्टार्टअप और इससे जुड़ी तमाम योजनाओं के बारे में जानकारी मिलेगी. वहीं डिफेंस सेक्टर की इंडस्ट्री से जुड़ने पर उद्यमी को क्या लाभ मिलेगा? इसको लेकर के भी उन्होंने बताया कि निश्चित तौर से जहां एक तरफ यह राष्ट्र निर्माण का कार्य है, तो वहीं दूसरी तरफ कई अलग-अलग पैरामीटर पर रिलैक्सेशन भी इंडस्ट्री को दिए जाते हैं.
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Last Updated : Dec 5, 2024, 1:16 PM IST
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