बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी राजनीतिक दल के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करना संभव है. उच्च न्यायालय ने शिवाजीनगर से कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद द्वारा भाजपा के खिलाफ दायर मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि राजनीतिक दल के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया जा सकता है.
भाजपा की राज्य इकाई और उसके पूर्व अध्यक्ष ने 2019 में भाजपा के खिलाफ रिजवान अरशद द्वारा दायर मानहानि मामले को रद्द करने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था. इस याचिका की सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली एकल सदस्यीय पीठ ने इसे खारिज कर दिया और यह आदेश दिया.
दंड संहिता की धारा 499 और 500 में प्रावधान है कि याचिकाकर्ता जैसे व्यक्तियों के संघ को ऐसी आपराधिक कार्यवाही में एक पक्ष बनाया जा सकता है. हमारे जैसे कार्यशील लोकतंत्र में राजनीतिक दलों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को पर्याप्त सुरक्षा की आवश्यकता है. पीठ ने कहा कि इसलिए मानहानि का अपराध इतना गंभीर नहीं है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता.
पीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए स्पष्ट किया कि इस संबंध में अदालत द्वारा व्यक्त किये गये विचारों का विशेष अदालत के समक्ष लंबित मानहानि मामले पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. सुनवाई के दौरान बीजेपी के वकील ने दलील दी, 'दंड संहिता की धारा 499 और 500 के मुताबिक पार्टी को एक व्यक्ति नहीं माना जा सकता.'
इस पर आपत्ति जताने वाले रिजवान के वकील ने कहा, 'जैसा कि आईपीसी की धारा 11 में एक व्यक्ति को परिभाषित किया गया है, पार्टी भी एक संगठन है. इसमें कई व्यक्ति शामिल होते हैं. यह पंजीकृत हो भी सकता है और नहीं भी. फिर भी सरकारों सहित सभी व्यक्ति कंपनियों और ट्रेड यूनियनों का अपना सम्मान है. इस मामले में मानहानि इस आधार पर दायर की गई है कि मूल शिकायतकर्ता की गरिमा प्रभावित हुई है. यह सही है कि विशेष अदालत इसके खिलाफ कार्रवाई कर रही है. उन्होंने पीठ से कहा.
क्या है मामला? : 2019 में बीजेपी ने अपने सोशल मीडिया पर एक कथित अपमानजनक पोस्ट करते हुए कहा था कि विधान परिषद के सदस्य रहे रिजवान अरशद कई चुनावी अनियमितताओं में शामिल थे. रिजवान अरशद ने इसे गंभीरता से लेते हुए बीजेपी और एक शख्स बालाजी अश्विन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इसमें कहा कि बीजेपी के पोस्ट से उनकी पहचान को खतरा हो रहा है. उसके आधार पर जन प्रतिनिधियों की विशेष अदालत ने संज्ञान लिया और भाजपा पार्टी और उसके अध्यक्ष को समन जारी किया. बीजेपी ने इस पर सवाल उठाया और हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की.