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जम्मू-कश्मीर में बीते साल हुई 786 लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी, दर्ज हुए 1046 मामले - Cyber Crime in Jammu

Cyber Crime in Jammu, पूरे देश में साइबर अपराधों के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम ने जम्मू-कश्मीर के लिए साल 2023 के आंकड़े जारी किए हैं. बीते साल राज्य में 1046 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 786.56 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई है.

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साइबर अपराध
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 9, 2024, 6:32 PM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम ने वर्ष 2023 में 786.56 लाख रुपये से अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी के चौंका देने वाले 1046 मामले दर्ज किए. गृह मंत्रालय द्वारा भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के तहत स्थापित यह प्रणाली वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्टिंग और प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती है.

आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय धोखाधड़ी के अतिरिक्त 253 मामलों को 62.55 लाख रुपये की ग्रहणाधिकार राशि के साथ अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया. आंकड़े इस मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित करते हैं, जो पूरे क्षेत्र में वित्तीय साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौती पर प्रकाश डालते हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर, आंकड़े समान रूप से चिंताजनक हैं, 2023 में कुल 11.3 लाख वित्तीय साइबर धोखाधड़ी के मामले सामने आए. लगभग 200,000 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्य के रूप में उभरा, इसके बाद महाराष्ट्र (130,000), गुजरात (120,000), और राजस्थान व हरियाणा (80,000 प्रत्येक) हैं. इसके विपरीत, लक्षद्वीप में केवल 29 मामलों के साथ सबसे कम मामले दर्ज किए गए.

अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में यूपीआई, डिजिटल बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड और क्यूआर कोड सहित विभिन्न प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी प्रचलित थी. इसके अतिरिक्त, रोज़गार और सोशल मीडिया से संबंधित घोटाले भी बढ़ रहे थे, जो अधिकारियों के लिए एक बहुमुखी चुनौती का संकेत है.

वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए, अधिकारी सक्रिय रूप से जागरूकता अभियानों में लगे हुए हैं. सोशल मीडिया और प्रेस जैसे माध्यमों से जनता को बैंक विवरण, एटीएम पिन और ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी साझा करने से जुड़े जोखिमों के बारे में लगातार सूचित किया जा रहा है. अधिकारी व्यक्तियों से सावधानी बरतने और संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचने का आग्रह कर रहे हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे की भयावहता को उजागर करते हुए, आईआईटी कानपुर-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि जनवरी 2020 से जून 2023 तक देश में 75 प्रतिशत से अधिक साइबर अपराधों के लिए वित्तीय धोखाधड़ी जिम्मेदार थी. इनमें से लगभग 50 प्रतिशत मामले यूपीआई और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़े थे, जिससे मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया.

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम ने वर्ष 2023 में 786.56 लाख रुपये से अधिक की वित्तीय धोखाधड़ी के चौंका देने वाले 1046 मामले दर्ज किए. गृह मंत्रालय द्वारा भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के तहत स्थापित यह प्रणाली वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्टिंग और प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती है.

आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय धोखाधड़ी के अतिरिक्त 253 मामलों को 62.55 लाख रुपये की ग्रहणाधिकार राशि के साथ अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया. आंकड़े इस मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित करते हैं, जो पूरे क्षेत्र में वित्तीय साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौती पर प्रकाश डालते हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर, आंकड़े समान रूप से चिंताजनक हैं, 2023 में कुल 11.3 लाख वित्तीय साइबर धोखाधड़ी के मामले सामने आए. लगभग 200,000 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित राज्य के रूप में उभरा, इसके बाद महाराष्ट्र (130,000), गुजरात (120,000), और राजस्थान व हरियाणा (80,000 प्रत्येक) हैं. इसके विपरीत, लक्षद्वीप में केवल 29 मामलों के साथ सबसे कम मामले दर्ज किए गए.

अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में यूपीआई, डिजिटल बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड और क्यूआर कोड सहित विभिन्न प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी प्रचलित थी. इसके अतिरिक्त, रोज़गार और सोशल मीडिया से संबंधित घोटाले भी बढ़ रहे थे, जो अधिकारियों के लिए एक बहुमुखी चुनौती का संकेत है.

वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए, अधिकारी सक्रिय रूप से जागरूकता अभियानों में लगे हुए हैं. सोशल मीडिया और प्रेस जैसे माध्यमों से जनता को बैंक विवरण, एटीएम पिन और ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी साझा करने से जुड़े जोखिमों के बारे में लगातार सूचित किया जा रहा है. अधिकारी व्यक्तियों से सावधानी बरतने और संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचने का आग्रह कर रहे हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे की भयावहता को उजागर करते हुए, आईआईटी कानपुर-इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि जनवरी 2020 से जून 2023 तक देश में 75 प्रतिशत से अधिक साइबर अपराधों के लिए वित्तीय धोखाधड़ी जिम्मेदार थी. इनमें से लगभग 50 प्रतिशत मामले यूपीआई और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़े थे, जिससे मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों और सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया.

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