तिरुवनंतपुरम: केरल में सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) ने सोमवार को पार्टी के दिग्गज नेता और एलडीएफ संयोजक ईपी जयराजन का बचाव करते हुए कहा कि, उनका भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर से मिलना कोई गलत नहीं था. पार्टी का कहना था कि पॉलिटिकल नेताओं के लिए अन्य दलों के अपने समकक्षों से मिलना काफी आम बात है. हालांकि, वाम दल ने यह स्पष्ट कर दिया कि जयराजन को टी जी नंदकुमार जैसे लोगों के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर जावड़ेकर के साथ उनकी कथित मुलाकात का रास्ता खोलकर बिचौलिए की भूमिका निभाई थी.
सत्तारूढ़ सीपीआई(एम) ने जयराजन का बचाव किया
एकेजी सेंटर में एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सीपीआई (एम) के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने कहा कि कुछ येलो जर्नलिज्म का मानना है कि अगर मजदूरों की पार्टी बीजेपी नेता से मुलाकात करने से वह दक्षिणपंथी राजनीति में फंस जाएगी. उन्होंने कहा कि, केरल में वामपंथी दल का एक अलग ही इतिहास रहा है. उन्होंने आगे कहा कि, जयराजन ने खुद बैठक के बारे में पुष्टि की थी, जो एक साल पहले हुई थी. मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए गोविंदन ने कहा कि अब इस विषय को एक बड़े मुद्दे के रूप में चर्चा हो रही है. पूरा मामला कम्युनिस्टों से पूरी तरह नफरत करने वाले किसी व्यक्ति की बड़ी साजिश का नतीजा था और जयराजन उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे जो इस बैठक के संबंध में सरासर झूठ का प्रचार कर रहे हैं. गोविंदन ने आगे कहा कि पार्टी जयराजन को उनकी कानूनी लड़ाई में समर्थन देगी. उन्होंने कहा, 'हालांकि, पार्टी ने यह रुख अपनाया है कि नंदकुमार जैसे व्यक्तियों के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं के रिश्ते खत्म होने चाहिए.'
बीजेपी कमजोर हो रही है, सपीआईएम का दावा
केरल में हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों का विश्लेषण करते हुए, सीपीआई (एम) नेता ने दावा करते हुए कहा कि वामपंथी दक्षिणी राज्य में संसद की अधिकांश सीटों पर जीत हासिल करेगी. गोविंदन ने यह भी दावा किया कि, लोकसभा चुनाव 2024 के प्रत्येक गुजरते चरण के साथ बीजेपी कमजोर होती जा रही है. उन्होंने कहा कि, लोगों ने 'मोदी की गारंटी ' को पूरी तरह से नकार दिया है. उन्होंने कहा कि, लोकसभा चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं, जिनमें केरल की 20 सीटें भी शामिल हैं. वहीं, सीपीआई (एम) के राज्य सचिव ने कांग्रेस पर केरल में वाम दल को कमजोर करने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करने का बड़ा आरोप लगा दिया. गोविंदन ने आरोप लगाया कि सबसे पुरानी पार्टी को भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे से लड़ने के लिए एक धर्मनिरपेक्ष ताकत माना जाता था, लेकिन यह केरल में खासकर वडकारा जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों को सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकृत करने के स्तर तक गिर गई है. उन्होंने कहा कि यूडीएफ ने राजनीतिक रूप से चुनाव लड़ने के बजाय वडकारा में एलडीएफ उम्मीदवार केके शैलजा के खिलाफ अभियान चलाया. उन्होंने बीजेपी नेताओं पर पीएम के सांप्रदायिक एजेंडे को दोहराने का भी आरोप लगाया और कहा कि कुछ नेता मोदी के भाषणों को वैध बनाने की कोशिश में केरल में सफेद झूठ बोल रहे हैं.
सब कुछ पार्टी को रिपोर्ट करने की कोई आवश्यकता नहीं
वहीं, जयराजन ने जावड़ेकर के साथ अपनी मुलाकात को लेकर उत्पन्न विवाद को कम करने की कोशिश करते हुए कहा कि यह राजनीतिक नहीं था, यही वजह है कि उन्होंने अपनी पार्टी को इसके बारे में सूचित नहीं किया. उन्होंने अलाप्पुझा से भाजपा की लोकसभा उम्मीदवार शोभा सुरेंद्रन के दावे को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी. उन्होंने कहा कि वह उनसे पहले कभी नहीं मिले थे या फोन पर भी इस बारे में चर्चा नहीं की थी. सीपीआईएम के कद्दावर नेता ने आगे कहा कि, लोगों के लिए वरिष्ठ नेताओं से मिलना कुछ असामान्य नहीं है. जिसको लेकर पार्टी को सब कुछ रिपोर्ट करने की कोई आवश्यकता नहीं है. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, नेता ने कहा कि उन्हें संदेह है कि घटनाक्रम के पीछे कोई एजेंडा है. वह यह भी चाहते थे कि मीडिया इस मुद्दे की निष्पक्ष जांच करे.
शोभा सुरेंद्र के आरोपों को खारिज किया
नंदकुमार ने सीपीआई (एम) नेता के खिलाफ शोभा सुरेंद्रन के आरोपों को भी खारिज कर दिया, उन्होंने मीडिया से कहा, 'शोभा सुरेंद्रन ने ईपी जयराजन के खिलाफ जो दावा किया था, वह निराधार था. वह उनसे कभी नहीं मिली थीं... जयराजन और जावड़ेकर के बीच मुलाकात में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने आगे दावा किया कि जयराजन ने बैठक के सिलसिले में न तो नई दिल्ली और न ही दुबई का दौरा किया, जैसा कि सुरेंद्रन ने दावा किया है. वहीं जयराजन की बीजेपी में शामिल होने कथित योजना के बारे में राजनीतिक विरोधियों की तरफ से लगाए गए आरोपों से सत्तारूढ़ वामदल में सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. दरअसल, वरिष्ठ भाजपा नेता शोभा सुरेंद्रन ने आरोप लगाया था कि एक बिचौलिए ने जयराजन की मदद करने की कोशिश की थी 'जिन्होंने भाजपा में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी.
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