बेंगलुरु: कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार ने पूर्व की बीजेपी सरकार के दौरान कथित कोविड-19 स्कैम की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया है. इस कथित मामले में कैबिनेट ने रिटायर जस्टिस माइकल डी. कुन्हा आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर आगे की जांच और कार्रवाई करने का फैसला किया है.
गुरुवार को कैबिनेट की बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा कि,राज्य सरकार ने अंतरिम रिपोर्ट की जांच के बाद एसआईटी गठित करने का फैसला किया है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि, कैबिनेट ने रिपोर्ट में आधार, सामग्री और जानकारी के आधार पर आगे की जांच और कार्रवाई के लिए एक एसआईटी गठित करने का फैसला किया है.
जरूरत पड़ी तो एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करेंगे
कानून मंत्री पाटिल ने स्पष्ट किया कि,माइकल डी कुन्हा आयोग की रिपोर्ट में पाई गई अनियमितताओं की जांच की जाएगी. आईजी के नेतृत्व में एसआईटी गठित की जाएगी. उन्होंने कहा, आयोग की सूचना के आधार पर जांच की जाएगी और एसआईटी आर्थिक पहलुओं सहित आपराधिक मामले दर्ज कर कार्रवाई करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि, जरूरत पड़ी तो रिपोर्ट की सूचना के अलावा आगे की जांच कर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी.
कानून मंत्री ने बताया कि,कोविड के दौरान राज्य में अवैध गतिविधियां करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. सच्चाई का पता लगाने और न्याय दिलाने की दिशा में एक और कदम के रूप में एसआईटी गठित करने का निर्णय लिया गया है." उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड के दौरान राज्य में व्यापक भ्रष्टाचार, गैरजिम्मेदारी और धोखाधड़ी हुई. जानकारी के साथ छेड़छाड़ करके फाइल को पहुंच से बाहर बना दिया गया. सभी विधायी समितियों की बैठक पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
कानून मंत्री ने कहा कि, हालांकि पीपीई किट 330-440 रुपये में उपलब्ध थे, लेकिन लाखों किट 2,017 रुपये में खरीदे गए. दवाएं दोगुनी कीमत पर और ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से खरीदी गईं. कोविड-19 अवैधता के संबंध में जांच आयोग नियुक्त किया गया. आयोग द्वारा 50 हजार फाइलों की समीक्षा की गई और एक अंतरिम रिपोर्ट जारी की गई.
मंत्री पाटिल ने बताया कि, रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया गया. कैबिनेट उप-समिति की बैठक में हुई चर्चा को कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत किया गया. देखा गया सर्वव्यापी भ्रष्टाचार, कई अमानवीयताएं, राजनीतिक नेताओं के इशारे पर अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई किसी को भी चौंका देने वाली है. जिस तरह से सरकार ने तब व्यवहार किया, तत्कालीन मंत्रियों और सीएम ने जो कदम उठाए, वह सच की खोज में बाधा डालने वाला कदम है.
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