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संसद की सुरक्षा में सेंध मामला: दिल्ली पुलिस को जांच पूरी करने के लिए कोर्ट ने दिए 45 दिन

Parliament Security Breach Case: संसद की सुरक्षा में सेंध मामले में कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जांच पूरी करने के लिए 45 दिन का समय दिया है. साथ ही मामले में सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत भी 30 दिनों के लिए बढ़ा दी है.

breach in parliament
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By ANI

Published : Mar 11, 2024, 5:10 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को संसद की सुरक्षा में सेंध मामले की जांच पूरी करने के लिए 45 दिनों की मोहल्लत दी है. एडिशनल सेशंस जज डॉ. हरदीप कौर ने पुलिस की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया, जिसमें जांच पूरी करने के लिए 90 दिन के समय की मांग की गई थी. कहा गया था कि यह मामला संवेदनशील है और इसमें कुछ रिपोर्ट्स की प्रतीक्षा है. साथ ही इसमें भारी मात्रा में डिजिटल डेटा भी है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को 25 अप्रैल 2024 तक जांच पूरी करने का आदेश दिया है.

मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह पेश हुए. वहीं, कोर्ट ने इस मामले में सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत भी 30 दिनों के लिए बढ़ा दी. सभी आरोपियों को सोमवार को अदालत में पेश किया गया. इससे पहले अदालत ने एक आरोपी नीलम आजाद की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था, 'अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने के लिए आवेदक/अभियुक्तों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति और गंभीरता और जांच के प्रारंभिक चरण को देखते हुए, मुझे यह उपयुक्त मामला नहीं लगता है. इसलिए यह जमानत अर्जी खारिज की जाती है.'

अदालत ने कहा कि वर्तमान में मामले में एफआईआर आईपीसी की धारा 186/353/452/153/34/120बी के साथ यूएपीए की धारा 16/18 के तहत दर्ज की गई है. वर्तमान मामले में जांच प्रारंभिक चरण में है. अभियुक्त के खिलाफ आरोप गंभीर हैं, क्योंकि उस पर अन्य सह-अभियुक्त व्यक्तियों के साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता को बाधित करने में शामिल होने का आरोप है. वहीं, 16 जनवरी को बहस के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि सामग्री, सबूत और अन्य दस्तावेजी सबूत अपराध में उसकी संलिप्तता दिखाते हैं और इस प्रकार उसे जमानत पर रिहा करने का अधिकार नहीं है.

दिल्ली पुलिस ने कहा था, 'प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्ति के खिलाफ उचित आधार हैं जो जमानत पर बढ़ोतरी को खारिज करते हैं, क्योंकि जांच अभी लंबित है.' साथ ही यह भी कहा, 'आरोपी व्यक्ति शक्तिशाली और प्रभावशाली हैं, जो जमानत पर रिहा होने पर जांच एजेंसी के लिए हानिकारक है. अपराध की प्रकृति या अपराध की गंभीरता और सजा की गंभीरता भी जमानत पर विचार के चरण में प्रासंगिक विचार हैं.' गौरतलब है कि इस मामले में सभी छह व्यक्ति वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.

यह भी पढ़ें-संसद सुरक्षा में चूक मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस ने मांगा और 90 दिन

यह भी पढ़ें-दिल्ली दंगा के आरोपी शरजील इमाम की वैधानिक जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को संसद की सुरक्षा में सेंध मामले की जांच पूरी करने के लिए 45 दिनों की मोहल्लत दी है. एडिशनल सेशंस जज डॉ. हरदीप कौर ने पुलिस की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया, जिसमें जांच पूरी करने के लिए 90 दिन के समय की मांग की गई थी. कहा गया था कि यह मामला संवेदनशील है और इसमें कुछ रिपोर्ट्स की प्रतीक्षा है. साथ ही इसमें भारी मात्रा में डिजिटल डेटा भी है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को 25 अप्रैल 2024 तक जांच पूरी करने का आदेश दिया है.

मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह पेश हुए. वहीं, कोर्ट ने इस मामले में सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत भी 30 दिनों के लिए बढ़ा दी. सभी आरोपियों को सोमवार को अदालत में पेश किया गया. इससे पहले अदालत ने एक आरोपी नीलम आजाद की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था, 'अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने के लिए आवेदक/अभियुक्तों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति और गंभीरता और जांच के प्रारंभिक चरण को देखते हुए, मुझे यह उपयुक्त मामला नहीं लगता है. इसलिए यह जमानत अर्जी खारिज की जाती है.'

अदालत ने कहा कि वर्तमान में मामले में एफआईआर आईपीसी की धारा 186/353/452/153/34/120बी के साथ यूएपीए की धारा 16/18 के तहत दर्ज की गई है. वर्तमान मामले में जांच प्रारंभिक चरण में है. अभियुक्त के खिलाफ आरोप गंभीर हैं, क्योंकि उस पर अन्य सह-अभियुक्त व्यक्तियों के साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता को बाधित करने में शामिल होने का आरोप है. वहीं, 16 जनवरी को बहस के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि सामग्री, सबूत और अन्य दस्तावेजी सबूत अपराध में उसकी संलिप्तता दिखाते हैं और इस प्रकार उसे जमानत पर रिहा करने का अधिकार नहीं है.

दिल्ली पुलिस ने कहा था, 'प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्ति के खिलाफ उचित आधार हैं जो जमानत पर बढ़ोतरी को खारिज करते हैं, क्योंकि जांच अभी लंबित है.' साथ ही यह भी कहा, 'आरोपी व्यक्ति शक्तिशाली और प्रभावशाली हैं, जो जमानत पर रिहा होने पर जांच एजेंसी के लिए हानिकारक है. अपराध की प्रकृति या अपराध की गंभीरता और सजा की गंभीरता भी जमानत पर विचार के चरण में प्रासंगिक विचार हैं.' गौरतलब है कि इस मामले में सभी छह व्यक्ति वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.

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