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'अगर आप सच्चे हैं तो CJM से मांगे माफी', जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने गांदरबल के DC श्यामबीर सिंह से कहा - Jammu Kashmir High Court - JAMMU KASHMIR HIGH COURT

Contempt Of Court Case: जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने अवमानना ​​के एक मामले में गांदरबल के डिप्टी कमिश्नर श्यामबीर सिंह गांदरबल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से माफी मांगने का सुझाव दिया है.

जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट
जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 12, 2024, 7:51 PM IST

श्रीनगर: अवमानना ​​के एक मामले में गांदरबल के डिप्टी कमिश्नर श्यामबीर सिंह सोमवार को जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के समक्ष पेश हुए. उनके खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) गांदरबल ने अवमानना के आरोप लगाए थे. इस दौरान सिंह ने माफी मांगी, लेकिन हाई कोर्ट ने उन्हें सुझाव दिया गया कि वह व्यक्तिगत रूप से सीजेएम गांदरबल से माफी मांगें.

सुनवाई के दौरान जस्टिस अतुल श्रीधरन और संजीव कुमार की खंडपीठ ने सिंह के जवाब की समीक्षा की, लेकिन इसे अपर्याप्त पाया. सिंह ने दावा किया था कि जज का जो भी अनादर हुआ था, वह अनजाने में हुआ था और उन्होंने कहा कि उनका कभी भी अदालत को अपमानित करने का इरादा नहीं था. इसके बावजूद कोर्ट ने सिंह को सलाह दी कि अगर वह वास्तव में ईमानदार हैं तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से सीजेएम गांदरबल से माफी मांगनी चाहिए.

सीजेएम से माफी मांगें
कोर्ट ने कहा, "अगर आप वास्तव में ईमानदार हैं, तो आपको सीजेएम गांदरबल के पास जाना चाहिए और सीधे सीजेएम फैयाज अहमद कुरैशी से व्यक्तिगत रूप से क्षमा मांगें, तभी आपकी क्षमा पर विचार किया जा सकता है."

इस दौरान कोर्ट ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्तियों के बंटवारे को बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि अगर सिंह न्यायिक आदेश से असहमत थे, तो उन्हें न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के बजाय हाई कोर्ट से समीक्षा की मांग करनी चाहिए थी.

14 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
गौरतलब है कि कोर्ट ने सिंह को सीजेएम के पास जाने के लिए बाध्य नहीं किया, बल्कि इसे स्वैच्छिक कदम के रूप में अनुशंसित किया. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई को बुधवार 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया. बता दें कि अवमानना ​​के आरोप एक भूमि विवाद से जुड़े हैं, जिसमें सीजेएम गांदरबल कुरैशी ने सिंह सहित कई अधिकारियों के सैलरी अटैच करने का आदेश दिया था.

जज पर दबाव डालने का आरोप
सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बिना उचित सूचना के जज की भूमि का सर्वे करने के लिए राजस्व टीम तैनात करके उन्हें प्रभावित करने और न्यायिक कार्यवाही को बाधित करने का प्रयास किया था. यह मामला, जिसे शुरू में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने देखा था, अब आगे की समीक्षा के लिए हाई कोर्ट को भेज दिया गया है.

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर: अनंतनाग में कोकरनाग ऑपरेशन तीसरे दिन भी जारी, अतिरिक्त बल तैनात

श्रीनगर: अवमानना ​​के एक मामले में गांदरबल के डिप्टी कमिश्नर श्यामबीर सिंह सोमवार को जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के समक्ष पेश हुए. उनके खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) गांदरबल ने अवमानना के आरोप लगाए थे. इस दौरान सिंह ने माफी मांगी, लेकिन हाई कोर्ट ने उन्हें सुझाव दिया गया कि वह व्यक्तिगत रूप से सीजेएम गांदरबल से माफी मांगें.

सुनवाई के दौरान जस्टिस अतुल श्रीधरन और संजीव कुमार की खंडपीठ ने सिंह के जवाब की समीक्षा की, लेकिन इसे अपर्याप्त पाया. सिंह ने दावा किया था कि जज का जो भी अनादर हुआ था, वह अनजाने में हुआ था और उन्होंने कहा कि उनका कभी भी अदालत को अपमानित करने का इरादा नहीं था. इसके बावजूद कोर्ट ने सिंह को सलाह दी कि अगर वह वास्तव में ईमानदार हैं तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से सीजेएम गांदरबल से माफी मांगनी चाहिए.

सीजेएम से माफी मांगें
कोर्ट ने कहा, "अगर आप वास्तव में ईमानदार हैं, तो आपको सीजेएम गांदरबल के पास जाना चाहिए और सीधे सीजेएम फैयाज अहमद कुरैशी से व्यक्तिगत रूप से क्षमा मांगें, तभी आपकी क्षमा पर विचार किया जा सकता है."

इस दौरान कोर्ट ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्तियों के बंटवारे को बनाए रखने के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि अगर सिंह न्यायिक आदेश से असहमत थे, तो उन्हें न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के बजाय हाई कोर्ट से समीक्षा की मांग करनी चाहिए थी.

14 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
गौरतलब है कि कोर्ट ने सिंह को सीजेएम के पास जाने के लिए बाध्य नहीं किया, बल्कि इसे स्वैच्छिक कदम के रूप में अनुशंसित किया. इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई को बुधवार 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया. बता दें कि अवमानना ​​के आरोप एक भूमि विवाद से जुड़े हैं, जिसमें सीजेएम गांदरबल कुरैशी ने सिंह सहित कई अधिकारियों के सैलरी अटैच करने का आदेश दिया था.

जज पर दबाव डालने का आरोप
सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बिना उचित सूचना के जज की भूमि का सर्वे करने के लिए राजस्व टीम तैनात करके उन्हें प्रभावित करने और न्यायिक कार्यवाही को बाधित करने का प्रयास किया था. यह मामला, जिसे शुरू में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने देखा था, अब आगे की समीक्षा के लिए हाई कोर्ट को भेज दिया गया है.

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