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लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या में 16 गुना वृद्धि, 1957-2019 क्या कहते हैं आंकड़ें? - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Women Candidates In ls Polls Since 1957 : लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. दूसरी लोकसभा से लेकर मौजूदा आम चुनाव तक उनकी संख्या में वृद्धि देखी गई है. 1957 के चुनावों में कुल उम्मीदवारों में से केवल तीन प्रतिशत महिलाएं थीं, जो 2019 में बढ़कर नौ प्रतिशत हो गई है.

Women Candidates In ls Polls Since 1957
प्रतीकात्मक तस्वीर. (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 8, 2024, 12:29 PM IST

Updated : Apr 8, 2024, 1:42 PM IST

नई दिल्ली : महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण कानून संसद में पारित हो गया है. लेकिन इसके कार्यान्वयन के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है. बताया जा रहा है कि जनगणना के बाद यह लागू हो जाएगा. आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में यह 33 फीसदी आरक्षण पूरी तरह से लागू नहीं हो सका है. तमिलनाडु में नाम तमिलर पार्टी ने 50 फीसदी आरक्षण देकर ध्यान खींचा है. यहां हम 1957 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के चुनाव तक चुनावी राजनीति में महिला उम्मीदवारों की संख्या और उनकी सफलता दर का विश्लेषण कर रहे हैं.

Women Candidates In ls Polls Since 1957
लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या में 16 गुना वृद्धि.

लोकसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी की बात करें तो निश्चित रूप में उसमें बढ़ोतरी नजर आती है. हालांकि, यह बढ़ोतरी कितनी सार्थक है और कितनी प्रतीकात्मक यह अगल बहस का मुद्दा हो सकती है. 45 से 726 जी हां, संख्या के लिहाज यह वो सफर जो उम्मीदवारों की दावेदारी के लिहाज से हमने अपने लोकतांत्रिक इतिहास में तय की है.

1957 के दूसरे लोकसभा चुनाव में 45 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था जबकि 2019 के चुनाव में 726 लोगों ने चुनाव लड़ा. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, महिला उम्मीदवारों की संख्या 1957 में 4.5 फीसदी से बढ़कर 2019 में 14.4 फीसदी हो गई. जबकि पुरुष उम्मीदवारों की संख्या 1957 में 1474 से बढ़कर 2019 में 7322 हो गई.

इसके साथ ही चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या 1957 की तुलना में 5 गुना बढ़ गई है. महिलाओं की संख्या 16 गुना बढ़ी है. 1957 में केवल 2.9 प्रतिशत महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. 2019 में यह बढ़कर 9 फीसदी हो गयी. हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि अब तक महिला उम्मीदवारों की संख्या कभी भी 1000 से अधिक नहीं हुई है. 1952 के पहले चुनाव में लिंगानुपात के आंकड़े नहीं हैं.

Women Candidates In ls Polls Since 1957
चुनाव वार महिला उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या और उनकी जीत का प्रतिशत.

1957 के दूसरे आम चुनाव के आंकड़ों के अनुसार, मैदान में 45 महिला उम्मीदवारों में से 22 ने जीत हासिल की. सफलता दर 48.88 फीसदी रही. लेकिन 2019 में सफलता दर गिरकर 10.74 फीसदी रह गई. 726 महिला अभ्यर्थियों में से केवल 78 ही सफल रहीं. पुरुष उम्मीदवारों की सफलता दर 1957 में 31.7 प्रतिशत से घटकर 2019 में 6.4 प्रतिशत हो गई.

1991 और 1996 के आम चुनावों में कुल उम्मीदवारों में से चार प्रतिशत महिलाएं थीं. अगले दो लोकसभा चुनावों - 1998 और 1999 - में यह हिस्सेदारी छह प्रतिशत तक बढ़ गई. 2004 और 2009 - क्रमशः 14वीं और 15वीं लोकसभा चुनावों में कुल उम्मीदवारों में से सात प्रतिशत महिलाएं थीं. 2014 के आम चुनाव में कुल उम्मीदवारों में से आठ प्रतिशत महिलाएं थीं, वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में नौ प्रतिशत उम्मीदवार महिलाएं हैं.

1957 में दूसरी लोकसभा में कुल 1,519 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें से 45 महिलाएं थीं. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इनमें से 22 (49 प्रतिशत) सदन के लिए चुनी गईं. केवल चौथी लोकसभा तक 40 प्रतिशत से अधिक महिला उम्मीदवार सदन के लिए चुनी गईं. तीसरी लोकसभा में 66 उम्मीदवार महिलाएं थीं जिनमें से 31 (47 प्रतिशत) विजयी रहीं. 1967 में चौथी लोकसभा में 67 महिलाएं मैदान में थीं और उनमें से 29 (43 प्रतिशत) निर्वाचित हुईं.

Women Candidates In ls Polls Since 1957
संसद भवन. (IANS)

1971 में पांचवीं लोकसभा में लोकसभा चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या बढ़कर 86 हो गई, जिनमें से 21 (24 प्रतिशत) निर्वाचित हुईं. 1977 में छठी लोकसभा में चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या में कमी देखी गई. मैदान में उतरी 70 महिलाओं में से 19 (27 प्रतिशत) निर्वाचित हुईं. 1980 में, सातवीं लोकसभा में, चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या दोहरे अंक में 143 तक पहुंच गई. हालांकि, सदन के लिए चुनी गई महिलाओं की संख्या केवल 28 (19 प्रतिशत) रही.

जब 1984 के लोकसभा चुनावों में 171 महिला उम्मीदवारों में से 43 महिलाएं निर्वाचित हुईं तो यह प्रतिशत 25 प्रतिशत तक बढ़ गया. 1989 में अगली लोकसभा में यह फिर से घटकर 15 प्रतिशत रह गई, जब 198 महिला उम्मीदवारों में से केवल 29 ही संसद में पहुंचीं. 1991 की लोकसभा में, यह प्रतिशत और भी कम होकर 12 प्रतिशत हो गया जब 330 महिला उम्मीदवारों में से केवल 38 निर्वाचित हुईं.

1996 में, केवल सात प्रतिशत महिला उम्मीदवार (अब तक की सबसे कम) सदन के लिए चुनी गईं. जबकि चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या 599 थी, केवल 40 ही सदन के लिए चुनी गईं. 1998 में, निर्वाचित महिलाओं का प्रतिशत बढ़ गया और 16 प्रतिशत तक पहुंच गया जब 274 महिला उम्मीदवारों में से 43 सदन के लिए चुनी गईं.

1999 में 13वीं लोकसभा में 284 उम्मीदवारों में से 49 (17 प्रतिशत) महिलाएं सदन के लिए चुनी गईं, जबकि 2004 के चुनावों में, केवल 13 प्रतिशत - 355 में से 45 महिलाएं - सदन के लिए चुनी गईं. 2009 में, 556 महिलाएं मैदान में थीं और कुल 8,070 उम्मीदवारों में से केवल 11 प्रतिशत (59 महिलाएं) लोकसभा के लिए चुनी गईं. 2014 की लोकसभा में 8,136 उम्मीदवारों में से 668 महिलाएं थीं और केवल नौ प्रतिशत (62 महिलाएं) निर्वाचित हुईं.

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नई दिल्ली : महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण कानून संसद में पारित हो गया है. लेकिन इसके कार्यान्वयन के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है. बताया जा रहा है कि जनगणना के बाद यह लागू हो जाएगा. आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में यह 33 फीसदी आरक्षण पूरी तरह से लागू नहीं हो सका है. तमिलनाडु में नाम तमिलर पार्टी ने 50 फीसदी आरक्षण देकर ध्यान खींचा है. यहां हम 1957 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के चुनाव तक चुनावी राजनीति में महिला उम्मीदवारों की संख्या और उनकी सफलता दर का विश्लेषण कर रहे हैं.

Women Candidates In ls Polls Since 1957
लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या में 16 गुना वृद्धि.

लोकसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी की बात करें तो निश्चित रूप में उसमें बढ़ोतरी नजर आती है. हालांकि, यह बढ़ोतरी कितनी सार्थक है और कितनी प्रतीकात्मक यह अगल बहस का मुद्दा हो सकती है. 45 से 726 जी हां, संख्या के लिहाज यह वो सफर जो उम्मीदवारों की दावेदारी के लिहाज से हमने अपने लोकतांत्रिक इतिहास में तय की है.

1957 के दूसरे लोकसभा चुनाव में 45 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था जबकि 2019 के चुनाव में 726 लोगों ने चुनाव लड़ा. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, महिला उम्मीदवारों की संख्या 1957 में 4.5 फीसदी से बढ़कर 2019 में 14.4 फीसदी हो गई. जबकि पुरुष उम्मीदवारों की संख्या 1957 में 1474 से बढ़कर 2019 में 7322 हो गई.

इसके साथ ही चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या 1957 की तुलना में 5 गुना बढ़ गई है. महिलाओं की संख्या 16 गुना बढ़ी है. 1957 में केवल 2.9 प्रतिशत महिलाओं ने चुनाव लड़ा था. 2019 में यह बढ़कर 9 फीसदी हो गयी. हालांकि गौर करने वाली बात यह है कि अब तक महिला उम्मीदवारों की संख्या कभी भी 1000 से अधिक नहीं हुई है. 1952 के पहले चुनाव में लिंगानुपात के आंकड़े नहीं हैं.

Women Candidates In ls Polls Since 1957
चुनाव वार महिला उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या और उनकी जीत का प्रतिशत.

1957 के दूसरे आम चुनाव के आंकड़ों के अनुसार, मैदान में 45 महिला उम्मीदवारों में से 22 ने जीत हासिल की. सफलता दर 48.88 फीसदी रही. लेकिन 2019 में सफलता दर गिरकर 10.74 फीसदी रह गई. 726 महिला अभ्यर्थियों में से केवल 78 ही सफल रहीं. पुरुष उम्मीदवारों की सफलता दर 1957 में 31.7 प्रतिशत से घटकर 2019 में 6.4 प्रतिशत हो गई.

1991 और 1996 के आम चुनावों में कुल उम्मीदवारों में से चार प्रतिशत महिलाएं थीं. अगले दो लोकसभा चुनावों - 1998 और 1999 - में यह हिस्सेदारी छह प्रतिशत तक बढ़ गई. 2004 और 2009 - क्रमशः 14वीं और 15वीं लोकसभा चुनावों में कुल उम्मीदवारों में से सात प्रतिशत महिलाएं थीं. 2014 के आम चुनाव में कुल उम्मीदवारों में से आठ प्रतिशत महिलाएं थीं, वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में नौ प्रतिशत उम्मीदवार महिलाएं हैं.

1957 में दूसरी लोकसभा में कुल 1,519 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें से 45 महिलाएं थीं. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इनमें से 22 (49 प्रतिशत) सदन के लिए चुनी गईं. केवल चौथी लोकसभा तक 40 प्रतिशत से अधिक महिला उम्मीदवार सदन के लिए चुनी गईं. तीसरी लोकसभा में 66 उम्मीदवार महिलाएं थीं जिनमें से 31 (47 प्रतिशत) विजयी रहीं. 1967 में चौथी लोकसभा में 67 महिलाएं मैदान में थीं और उनमें से 29 (43 प्रतिशत) निर्वाचित हुईं.

Women Candidates In ls Polls Since 1957
संसद भवन. (IANS)

1971 में पांचवीं लोकसभा में लोकसभा चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या बढ़कर 86 हो गई, जिनमें से 21 (24 प्रतिशत) निर्वाचित हुईं. 1977 में छठी लोकसभा में चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या में कमी देखी गई. मैदान में उतरी 70 महिलाओं में से 19 (27 प्रतिशत) निर्वाचित हुईं. 1980 में, सातवीं लोकसभा में, चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या दोहरे अंक में 143 तक पहुंच गई. हालांकि, सदन के लिए चुनी गई महिलाओं की संख्या केवल 28 (19 प्रतिशत) रही.

जब 1984 के लोकसभा चुनावों में 171 महिला उम्मीदवारों में से 43 महिलाएं निर्वाचित हुईं तो यह प्रतिशत 25 प्रतिशत तक बढ़ गया. 1989 में अगली लोकसभा में यह फिर से घटकर 15 प्रतिशत रह गई, जब 198 महिला उम्मीदवारों में से केवल 29 ही संसद में पहुंचीं. 1991 की लोकसभा में, यह प्रतिशत और भी कम होकर 12 प्रतिशत हो गया जब 330 महिला उम्मीदवारों में से केवल 38 निर्वाचित हुईं.

1996 में, केवल सात प्रतिशत महिला उम्मीदवार (अब तक की सबसे कम) सदन के लिए चुनी गईं. जबकि चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या 599 थी, केवल 40 ही सदन के लिए चुनी गईं. 1998 में, निर्वाचित महिलाओं का प्रतिशत बढ़ गया और 16 प्रतिशत तक पहुंच गया जब 274 महिला उम्मीदवारों में से 43 सदन के लिए चुनी गईं.

1999 में 13वीं लोकसभा में 284 उम्मीदवारों में से 49 (17 प्रतिशत) महिलाएं सदन के लिए चुनी गईं, जबकि 2004 के चुनावों में, केवल 13 प्रतिशत - 355 में से 45 महिलाएं - सदन के लिए चुनी गईं. 2009 में, 556 महिलाएं मैदान में थीं और कुल 8,070 उम्मीदवारों में से केवल 11 प्रतिशत (59 महिलाएं) लोकसभा के लिए चुनी गईं. 2014 की लोकसभा में 8,136 उम्मीदवारों में से 668 महिलाएं थीं और केवल नौ प्रतिशत (62 महिलाएं) निर्वाचित हुईं.

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Last Updated : Apr 8, 2024, 1:42 PM IST
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