नई दिल्ली: 24 जून से शुरू हो रहे संसद के विशेष सत्र से पहले कांग्रेस दो प्रमुख संसदीय पदों विपक्ष के नेता (LOP) और लोक लेखा समिति के अध्यक्ष, जो महत्वपूर्ण नीतिगत मामलों की जांच करती है, उनके लिए संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा कर रही है. एलओपी का पद औपचारिक रूप से 10 साल बाद कांग्रेस पार्टी के पास आ रहा है, क्योंकि कांग्रेस 2014 में केवल 44 सांसद और 2019 के राष्ट्रीय चुनावों में 52 सांसद ही जीत सकी थी.
नियमों के अनुसार, विपक्ष में कांग्रेस के पास लोकसभा में 54 सांसद होने चाहिए, जो सदन की कुल संख्या 543 का 10 प्रतिशत है, तभी वह औपचारिक रूप से एलओपी का पद पा सकती है. 2024 में, कांग्रेस ने 99 सीटें जीतीं. इसलिए, उसे आसानी से दो प्रमुख संसदीय पद मिल जाएंगे. तदनुसार, राज्यसभा सदस्य सोनिया गांधी, जिन्हें हाल ही में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष चुना गया था, अब दो प्रमुख पदों के लिए सांसदों को नामित करेंगी. जहां तक विपक्ष के नेता पद का सवाल है, पूर्व पार्टी प्रमुख और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी को यह तय करना है कि उन्हें कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव को स्वीकार करना है या नहीं, जिसमें उनसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद लेने का आग्रह किया गया है.
लोकसभा सांसद हिबी ईडन ने ईटीवी भारत से कहा कि, 'हम सभी चाहते हैं कि राहुल गांधी विपक्ष के नेता बनें, लेकिन यह फैसला उन्हें ही लेना है. विपक्ष के नेता और पीएसी अध्यक्ष पद पर फैसला संसद सत्र के दौरान लिया जाएगा'. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, संसद के विशेष सत्र के पहले दो दिनों में यह निर्णय लिया जा सकता है, जब नवनिर्वाचित सांसद शपथ लेंगे.
अगर राहुल विपक्ष के नेता बनते हैं, तो गौरव गोगोई को सदन में उपनेता बनाया जा सकता है. अगर राहुल विपक्ष के नेता पद से इनकार करते हैं, तो गौरव गोगोई इस पद के लिए सबसे आगे हैं. जहां तक पीएसी के अध्यक्ष पद का सवाल है, तारिक अनवर, शशि थरूर और केसी वेणुगोपाल जैसे कई नाम चर्चा में थे, लेकिन चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी सबसे आगे चल रहे थे. तिवारी, जो पहले पंजाब के लुधियाना और आनंदपुर साहिब निर्वाचन क्षेत्रों का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, उनके पास विधायी और प्रशासनिक दोनों तरह का अनुभव है, क्योंकि वे पिछली यूपीए सरकार में मंत्री थे.
लोकसभा सांसद मोहम्मद जावेद ने ईटीवी भारत से कहा कि, 'सदन में कई वरिष्ठ और सक्षम सांसद हैं. पार्टी जल्द ही उचित निर्णय लेगी. हिबी ईडन ने कहा कि, पार्टी और एकजुट विपक्ष सदन में प्रमुख मुद्दों पर एनडीए सरकार का मुकाबला करेंगे. बीजेपी ने प्रोटेम स्पीकर के मनोनयन पर संसदीय परंपरा को तोड़ा है, जो नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाता है. आमतौर पर, यह पद सबसे वरिष्ठ सदस्य को दिया जाता है, चाहे वह किसी भी पार्टी से संबद्ध हो. यह पद हमारे अनुभवी के सुरेश को मिलना चाहिए था, लेकिन बीजेपी ने उन्हें दलित होने के कारण यह मौका नहीं दिया. हम सदन में इसका विरोध करेंगे'.
उन्होंने कहा कि, 'साथ ही, हमारे नेता राहुल गांधी ने कहा है कि हम सदन में NEET-UG, NET-UGC और अन्य परीक्षाओं में घोटाले को उठाएंगे, जिसने इस सरकार को बेनकाब किया है और लाखों छात्रों के जीवन को प्रभावित किया है. हम जनता को प्रभावित करने वाले अन्य प्रासंगिक मुद्दे भी उठाएंगे. हम सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करेंगे और एनडीए बच नहीं पाएगा'.
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