शिमला: राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के छह विधायकों (स्पीकर के फैसले के बाद विधानसभा सदस्यता से बर्खास्त) को अब भाजपा का साथ मिलेगा. भाजपा ने सभी छह नेताओं को पार्टी में सम्मान के साथ समायोजित करने का विचार बनाया है. नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने भी इसके स्पष्ट संकेत दिए हैं. चूंकि सुप्रीम कोर्ट में बर्खास्त विधायकों को फौरी राहत नहीं मिली है और मामले की तारीख भी लंबी है, लिहाजा अब ये पक्की बात है कि छह नेता अपनी याचिका वापिस लेंगे.
SC से याचिका वापस ले सकते हैं बागी: छह सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो चुका है. 7 मई से चुनाव प्रक्रिया शुरू होनी है. वहीं, 6 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तय की है. ऐसे में भाजपा हाईकमान और बागी नेताओं में सहमति हुई है कि चुनाव का सामना तो करना ही होगा तो क्यों न बिना देरी किए एक तरफ हो जाएं यानी जनता के समक्ष जाकर अपना पक्ष रखें. ऐसे में संभावना है कि बागी नेता सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका को वापस लेंगे. वहीं, भाजपा में उनकी सम्मानजनक पोजीशन तय की जाएगी. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला में मीडिया से इस बारे में स्पष्ट बातें कही हैं.
हिमाचल से बाहर हैं कांग्रेस के बागी नेता: जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस के छह नेताओं ने एक बड़ा सियासी कदम उठाया है. उनकी विधानसभा की सदस्यता भी इसी कदम के कारण गई है. उनके योगदान से ही भाजपा को राज्यसभा सीट पर जीत मिली है. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस पर अंतिम फैसला लेगा. जयराम ठाकुर ने कहा कि कोई पार्टी में आता है तो उसका सम्मान किया जाता है. जहां तक पार्टी के कैडर की नाराजगी है तो भाजपा में कैडर हाईकमान का फैसला मानता है और कोई नाराजगी नहीं रहती है. उल्लेखनीय है कि बागी नेता और तीन निर्दलीय विधायक 28 फरवरी से ही प्रदेश से बाहर हैं. पहले वे पंचकूला गए थे, फिर उत्तराखंड और अब गुड़गांव में हैं. करीब तीन सप्ताह होने को आए हैं. अब उनके समर्थक भी यही चाह रहे हैं कि प्रदेश में आकर जनता के बीच अपनी बात कहें.
भाजपा और बागी नेता का क्या होगा अगला कदम: विधानसभा स्पीकर कुलदीप पठानिया ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने को लेकर कांग्रेस के छह विधायकों राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, आईडी लखनपाल, देवेंद्र भुट्टो और चैतन्य शर्मा को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया था. उसके बाद 68 सीटों वाली विधानसभा में छह सीटें खाली घोषित कर दी गई थी. बागी नेताओं ने अपनी बर्खास्तगी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट में पहले ये माना जा रहा था कि 6 मार्च को सुनवाई के लिए मामला लिस्ट हो सकता है, लेकिन ये 18 मार्च को सुना गया. इसमें भी अदालत ने विधानसभा सचिवालय से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 6 मई को तय की है. ऐसे में लंबा अरसा लग जाएगा. यही कारण है कि अब भाजपा और बागी नेता अगले कदम की तरफ बढ़ रहे हैं.
'बागियों को राहत नहीं मिली तो मैदान में उतरना होगा': वरिष्ठ मीडिया कर्मी कृष्ण भानू का कहना है कि यदि छह मई को भी बागियों को राहत नहीं मिली तो मजबूरी में चुनाव मैदान में तो उतरना ही होगा. ऐसे में क्यों न पहले ही कमर कस ली जाए. भानू का कहना है कि चुनाव में तो डेढ़ पल की भी कीमत होती है तो डेढ़ महीने का इंतजार कोई क्यों करेगा? उनका मानना है कि अब हिमाचल का सियासी परिदृश्य रोचक हो जाएगा. कांग्रेस और भाजपा के लिए ये उपचुनाव साख का सवाल हो जाएगा. यदि भाजपा छह के छह नेताओं को टिकट देती है और इन्हें जीत हासिल हो जाती है तो सुखविंदर सरकार पर संकट आ जाएगा.
'लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति मजबूत': वहीं, हिमाचल की राजनीति को पांच दशक से परख रहे वरिष्ठतम मीडिया कर्मी बलदेव शर्मा का कहना है कि बागी नेता भाजपा में शामिल होकर सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले सकते हैं. ऐसी संभावना बनी हुई है. लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की स्थिति हिमाचल में मजबूत है. ऐसे में पार्टी मानकर चल रही है कि छह सीटों पर उपचुनाव में भी उसका पलड़ा भारी रहेगा. वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू निरंतर बागी नेताओं को निशाने पर लिए हुए हैं. वे भाजपा पर भी हमलावर हैं, लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि जब प्रचंड बहुमत हासिल कर पार्टी के नेता चालीस विधायकों को एकजुट नहीं रख पाए तो जिम्मेवारी सरकार के मुखिया की भी बराबर की है. फिलहाल अब सारी नजरें भाजपा के अगले कदम पर टिक गई हैं. आने वाले कुछ दिनों में बागियों की भाजपा में एंट्री हो सकती है.
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