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कांग्रेस ने EVM पर उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी को किया दरकिनार, पर अंदरखाने विचार-विमर्श जारी - CONGRESS ON OMAR EVM STATEMENT

जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला के ईवीएम पर बयान को कांग्रेस ने विशेष महत्व नहीं दिया है.

CM Omar Abdullah and Congress leader Rahul Gandhi
सीएम उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस नेता राहुल गांधी (IANS)
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By Amit Agnihotri

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली : कांग्रेस ने ईवीएम के खिलाफ पार्टी के रुख पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की हालिया आलोचनात्मक टिप्पणी को ज्यादा तवज्जो नहीं दी, लेकिन आलाकमान इस मामले पर गौर कर रहा है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा था कि कांग्रेस द्वारा हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हार के लिए ईवीएम को दोष देना उचित नहीं है.

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि हाईकमान ने उमर अब्दुल्ला की टिप्पणियों पर ध्यान दिया है, जिसमें उन्होंने नए संसद भवन के निर्माण के लिए पीएम मोदी की प्रशंसा भी की है, लेकिन इस मुद्दे पर इंडिया ब्लॉक पर कोई बड़ा तनाव नहीं है. उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है.यद्यपि यह गुट भाजपा विरोधी भावना के आधार पर केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता में आया था, लेकिन जम्मू क्षेत्र में खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस ने उमर अब्दुल्ला सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था.

वहीं बाद में, कांग्रेस की केंद्र शासित प्रदेश इकाई ने अनुच्छेद 370 के पक्ष में एनसी के रुख से खुद को दूर कर लिया, जिसे 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र ने निरस्त कर दिया था. इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के एआईसीसी प्रभारी भरत सिंह सोलंकी ने ईटीवी भारत से कहा, "उन्होंने क्या कहा, यह उन पर निर्भर है. जब चुनाव आयोग कुछ कहेगा, तब हम टिप्पणी करेंगे, न कि अन्य राजनीतिक दल क्या कहते हैं." कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री द्वारा सहयोगी दल की आलोचना करना तथा केंद्र की प्रशंसा करना, सत्ता में होने के कारण राजनीतिक रूप से सही प्रतीत होने का एक तरीका हो सकता है.

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा की पूर्व सहयोगी पीडीपी पर हमला करके एनसी को फायदा हुआ था और अब उनके लिए केंद्र के साथ गठबंधन करना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा, ‘‘आलाकमान इस मामले से अवगत है और वह समय आने पर अपने विचार बता सकता है लेकिन फिलहाल गठबंधन में कोई तनाव नहीं है. एआईसीसी के एक पदाधिकारी ने कहा, "सहयोगी दलों के बीच सामान्य बातचीत हो रही है. वास्तव में, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी का सहयोगी होने से एनसी को फायदा हुआ."

उन्होंने कहा, "हमें नहीं पता कि यह बयान क्यों दिया गया. हम सरकार में नहीं हैं, लेकिन हमें सहयोगी दलों के साथ इस पर स्पष्टीकरण देने की जरूरत है, क्योंकि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही ईवीएम मुद्दे पर बोल चुके हैं." इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला ने ईटीवी भारत को बताया, "हमने अपने केंद्रीय नेताओं को मामले से अवगत करा दिया है."

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने आगे कहा कि कांग्रेस विभिन्न समितियों को भंग करने के बाद सीमावर्ती केंद्र शासित प्रदेश में फिर से संगठित होने की प्रक्रिया में है और इस मोड़ पर संकट को बढ़ाना समझदारी नहीं होगी. पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा स्थानीय टीमों के साथ संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जम्मू के प्रमुख क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और उन्हें विभाजनकारी ताकतों से लड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शनों का भी नेतृत्व किया है, जो जनता से जुड़ता है.

भल्ला ने कहा, "पैनल को फिर से बनाने की कवायद जारी है और इसमें कुछ और समय लगेगा. जनवरी 2025 तक इसके पूरा होने की संभावना है. हम स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी कर रहे हैं और स्थानीय मुद्दों की पहचान कर रहे हैं क्योंकि हम भगवा पार्टी की तरह विभाजनकारी मुद्दे नहीं उठाते हैं."

ये भी पढ़ें- 'उनकी इंग्लिश अच्छी होगी, लेकिन...', निर्मला सीतारमण पर क्यों भड़के खड़गे? जानें

नई दिल्ली : कांग्रेस ने ईवीएम के खिलाफ पार्टी के रुख पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की हालिया आलोचनात्मक टिप्पणी को ज्यादा तवज्जो नहीं दी, लेकिन आलाकमान इस मामले पर गौर कर रहा है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा था कि कांग्रेस द्वारा हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हार के लिए ईवीएम को दोष देना उचित नहीं है.

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि हाईकमान ने उमर अब्दुल्ला की टिप्पणियों पर ध्यान दिया है, जिसमें उन्होंने नए संसद भवन के निर्माण के लिए पीएम मोदी की प्रशंसा भी की है, लेकिन इस मुद्दे पर इंडिया ब्लॉक पर कोई बड़ा तनाव नहीं है. उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है.यद्यपि यह गुट भाजपा विरोधी भावना के आधार पर केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता में आया था, लेकिन जम्मू क्षेत्र में खराब प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस ने उमर अब्दुल्ला सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था.

वहीं बाद में, कांग्रेस की केंद्र शासित प्रदेश इकाई ने अनुच्छेद 370 के पक्ष में एनसी के रुख से खुद को दूर कर लिया, जिसे 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र ने निरस्त कर दिया था. इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के एआईसीसी प्रभारी भरत सिंह सोलंकी ने ईटीवी भारत से कहा, "उन्होंने क्या कहा, यह उन पर निर्भर है. जब चुनाव आयोग कुछ कहेगा, तब हम टिप्पणी करेंगे, न कि अन्य राजनीतिक दल क्या कहते हैं." कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री द्वारा सहयोगी दल की आलोचना करना तथा केंद्र की प्रशंसा करना, सत्ता में होने के कारण राजनीतिक रूप से सही प्रतीत होने का एक तरीका हो सकता है.

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा की पूर्व सहयोगी पीडीपी पर हमला करके एनसी को फायदा हुआ था और अब उनके लिए केंद्र के साथ गठबंधन करना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा, ‘‘आलाकमान इस मामले से अवगत है और वह समय आने पर अपने विचार बता सकता है लेकिन फिलहाल गठबंधन में कोई तनाव नहीं है. एआईसीसी के एक पदाधिकारी ने कहा, "सहयोगी दलों के बीच सामान्य बातचीत हो रही है. वास्तव में, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी का सहयोगी होने से एनसी को फायदा हुआ."

उन्होंने कहा, "हमें नहीं पता कि यह बयान क्यों दिया गया. हम सरकार में नहीं हैं, लेकिन हमें सहयोगी दलों के साथ इस पर स्पष्टीकरण देने की जरूरत है, क्योंकि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही ईवीएम मुद्दे पर बोल चुके हैं." इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला ने ईटीवी भारत को बताया, "हमने अपने केंद्रीय नेताओं को मामले से अवगत करा दिया है."

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने आगे कहा कि कांग्रेस विभिन्न समितियों को भंग करने के बाद सीमावर्ती केंद्र शासित प्रदेश में फिर से संगठित होने की प्रक्रिया में है और इस मोड़ पर संकट को बढ़ाना समझदारी नहीं होगी. पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा स्थानीय टीमों के साथ संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए जम्मू के प्रमुख क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और उन्हें विभाजनकारी ताकतों से लड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उन्होंने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शनों का भी नेतृत्व किया है, जो जनता से जुड़ता है.

भल्ला ने कहा, "पैनल को फिर से बनाने की कवायद जारी है और इसमें कुछ और समय लगेगा. जनवरी 2025 तक इसके पूरा होने की संभावना है. हम स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी कर रहे हैं और स्थानीय मुद्दों की पहचान कर रहे हैं क्योंकि हम भगवा पार्टी की तरह विभाजनकारी मुद्दे नहीं उठाते हैं."

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