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UP सरकार जैसा नहीं आदेश, कांग्रेस नेता ने 'नेमप्लेट' लगाने के आदेश पर दी सफाई, आलाकमान ने जताई थी नाराजगी - Nameplate Controversy

Himachal Pradesh Government: हिमाचल प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी सचिव चेतन चौहान हिमाचल सरकार के 'नेमप्लेट' लगाने के राज्य सरकार के फैसले का बचाव किया है. उन्होंने कहा है कि यह आदेश यूपी सरकार जैसा नहीं है.

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By Amit Agnihotri

Published : Sep 26, 2024, 7:42 PM IST

हिमाचल प्रदेश सरकार का नेमप्लेट लगाने का आदेश
हिमाचल प्रदेश सरकार का नेमप्लेट लगाने का आदेश (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कांग्रेस हिमाचल प्रदेश सरकार के स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नेमप्लेट संबंधी विवादास्पद आदेश को लेकर नाराज है. यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब जम्मू कश्मीर और हरियाणा में चुनावी प्रक्रिया चल रही है. कांग्रेस ने इस मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से स्पष्टीकरण मांगा है.

कांग्रेस आलाकमान को लगता है कि हिमाचल प्रदेश सरकार के इस कदम से हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और नवंबर में संभावित महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों के बीच में पार्टी के बीजेपी विरोधी रुख को झटका लग सकता है. इसलिए कांग्रेस आलाकमान ने नुकसान की भरपाई के लिए तुरंत यह कदम उठाया है.

विक्रमादित्य सिंह से स्पष्टीकरण मांगा
AICC अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख इमरान प्रतापगढ़ी ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को हिमाचल प्रदेश सरकार के उक्त आदेश पर समुदाय के नेताओं द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं के बारे में जानकारी दी, जिसके बाद पार्टी ने हिमाचल प्रदेश के एआईसीसी प्रभारी राजीव शुक्ला ने मंत्री विक्रमादित्य सिंह से स्पष्टीकरण मांगा, जिन्होंने निर्णय की घोषणा की. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, "निर्णय का समय संदिग्ध है और हम जानते हैं कि विक्रमादित्य पहले मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखते थे."

आलाकमान को पसंद नहीं आया आदेश
पार्टी के सूत्रों के अनुसार विवादास्पद आदेश वापस लिया जा सकता है, क्योंकि यह कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा अध्यक्ष राहुल गांधी सहित आलाकमान को पसंद नहीं आया है, जो पड़ोसी राज्य हरियाणा सहित अन्य राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं.

यूपी सरकार जैसा फैसला
दरअसल, हिमाचल प्रदेश सरकार का आदेश भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के समान है, जिसकी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मुसलमानों और दलितों के खिलाफ पहचान की राजनीति के रूप में आलोचना की थी.

बता दें कि हाल ही में कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी लगाने वालों को नेमप्लेट लगाने के लिए कहने वाले यूपी के दिशा-निर्देशों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. यूपी से प्रेरणा लेते हुए मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की भाजपा सरकारों ने भी इसी तरह के निर्देश जारी किए थे.

एआईसीसी सचिव चेतन चौहान ने किया बचाव
हालांकि, कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग ने हिमाचल प्रदेश के विवादास्पद आदेश के समय और इरादे पर सवाल उठाए, लेकिन हिमाचल प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी सचिव चेतन चौहान ने राज्य सरकार के कदम का बचाव किया है.

चौहान ने ईटीवी भारत से कहा, "हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से जारी किया गया नेमप्लेट लगाने आदेश, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पहले जारी किए गए आदेश जैसा नहीं है. यह एक सामाजिक कल्याणकारी कदम है और इसका उद्देश्य उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है.राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के सभी स्ट्रीट वेंडर्स का एक डेटाबेस बनाएगी और उन्हें पहचान पत्र देगी, जिसे उन्हें दिखाना होगा."

उन्होंने कहा कि इससे राज्य सरकार स्ट्रीट वेंडर्स को विनियमित करने और उनके लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने में मदद मिलेगी. इस कदम से स्ट्रीट वेंडर्स द्वारा परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और इसका उनकी पहचान से कोई लेना-देना नहीं है.

AICC पदाधिकारी के अनुसार भाजपा केवल विवाद को हवा देने की कोशिश कर रही है, जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं. उन्होंने कहा कि भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी हार का अहसास हो गया है, इसलिए उसने पुरानी रणनीति अपनाई है.

हिमाचल प्रदेश सरकार का यह कदम उत्तर प्रदेश की तरह किसी धार्मिक आयोजन की पृष्ठभूमि में नहीं आया है और इस फैसले का हरियाणा या केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

यह भी पढ़ें- पार्टी के भीतर से उठी सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग, सीएम का रिजाइन देने से इनकार, BJP का प्रदर्शन

नई दिल्ली: कांग्रेस हिमाचल प्रदेश सरकार के स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नेमप्लेट संबंधी विवादास्पद आदेश को लेकर नाराज है. यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब जम्मू कश्मीर और हरियाणा में चुनावी प्रक्रिया चल रही है. कांग्रेस ने इस मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से स्पष्टीकरण मांगा है.

कांग्रेस आलाकमान को लगता है कि हिमाचल प्रदेश सरकार के इस कदम से हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और नवंबर में संभावित महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों के बीच में पार्टी के बीजेपी विरोधी रुख को झटका लग सकता है. इसलिए कांग्रेस आलाकमान ने नुकसान की भरपाई के लिए तुरंत यह कदम उठाया है.

विक्रमादित्य सिंह से स्पष्टीकरण मांगा
AICC अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख इमरान प्रतापगढ़ी ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को हिमाचल प्रदेश सरकार के उक्त आदेश पर समुदाय के नेताओं द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं के बारे में जानकारी दी, जिसके बाद पार्टी ने हिमाचल प्रदेश के एआईसीसी प्रभारी राजीव शुक्ला ने मंत्री विक्रमादित्य सिंह से स्पष्टीकरण मांगा, जिन्होंने निर्णय की घोषणा की. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, "निर्णय का समय संदिग्ध है और हम जानते हैं कि विक्रमादित्य पहले मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखते थे."

आलाकमान को पसंद नहीं आया आदेश
पार्टी के सूत्रों के अनुसार विवादास्पद आदेश वापस लिया जा सकता है, क्योंकि यह कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा अध्यक्ष राहुल गांधी सहित आलाकमान को पसंद नहीं आया है, जो पड़ोसी राज्य हरियाणा सहित अन्य राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं.

यूपी सरकार जैसा फैसला
दरअसल, हिमाचल प्रदेश सरकार का आदेश भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के समान है, जिसकी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मुसलमानों और दलितों के खिलाफ पहचान की राजनीति के रूप में आलोचना की थी.

बता दें कि हाल ही में कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी लगाने वालों को नेमप्लेट लगाने के लिए कहने वाले यूपी के दिशा-निर्देशों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. यूपी से प्रेरणा लेते हुए मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की भाजपा सरकारों ने भी इसी तरह के निर्देश जारी किए थे.

एआईसीसी सचिव चेतन चौहान ने किया बचाव
हालांकि, कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग ने हिमाचल प्रदेश के विवादास्पद आदेश के समय और इरादे पर सवाल उठाए, लेकिन हिमाचल प्रदेश के प्रभारी एआईसीसी सचिव चेतन चौहान ने राज्य सरकार के कदम का बचाव किया है.

चौहान ने ईटीवी भारत से कहा, "हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से जारी किया गया नेमप्लेट लगाने आदेश, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पहले जारी किए गए आदेश जैसा नहीं है. यह एक सामाजिक कल्याणकारी कदम है और इसका उद्देश्य उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है.राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश के सभी स्ट्रीट वेंडर्स का एक डेटाबेस बनाएगी और उन्हें पहचान पत्र देगी, जिसे उन्हें दिखाना होगा."

उन्होंने कहा कि इससे राज्य सरकार स्ट्रीट वेंडर्स को विनियमित करने और उनके लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने में मदद मिलेगी. इस कदम से स्ट्रीट वेंडर्स द्वारा परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी और इसका उनकी पहचान से कोई लेना-देना नहीं है.

AICC पदाधिकारी के अनुसार भाजपा केवल विवाद को हवा देने की कोशिश कर रही है, जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं. उन्होंने कहा कि भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी हार का अहसास हो गया है, इसलिए उसने पुरानी रणनीति अपनाई है.

हिमाचल प्रदेश सरकार का यह कदम उत्तर प्रदेश की तरह किसी धार्मिक आयोजन की पृष्ठभूमि में नहीं आया है और इस फैसले का हरियाणा या केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

यह भी पढ़ें- पार्टी के भीतर से उठी सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग, सीएम का रिजाइन देने से इनकार, BJP का प्रदर्शन

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