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कांग्रेस की हिंडनबर्ग-अडाणी मामले में JPC जांच की मांग, भाजपा का पलटवार, बाजार को अस्थिर करने का आरोप - Hindenburg Report

Congress BJP on Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद सियासत भी तेज हो गई. कांग्रेस ने सेबी-अडाणी मामले में JPC जांच की मांग की हैं. वहीं भाजपा ने कांग्रेस पर विदेशी ताकतों के साथ मिलकर भारतीय बाजारा को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगााया है.

Hindenburg report Congress demands JPC probe into Sebi role, BJP calls it conspiracy
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे - पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 11, 2024, 6:04 PM IST

Updated : Aug 11, 2024, 6:52 PM IST

नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी रखी है. इसमें गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने बड़ी मात्रा में पैसे निवेश किया है.

हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने मामले में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच की मांग की है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि SEBI ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पीएम नरेंद्र मोदी के परम मित्र अडाणी को हिंडनबर्ग के जनवरी 2023 के खुलासों में क्लीन चिट दी थी. आज उसी सेबी की मुखिया के तथाकथित वित्तीय रिश्ते उजागर हुए हैं.

उन्होंने आगे लिखा, मध्यम वर्ग से संबंधित छोटे और मध्यम निवेशकों, जो अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में निवेश करते हैं, उनको संरक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि वे SEBI में विश्वास करते हैं. जब तक इस महा-घोटाले में JPC जांच नहीं होगी, तब तक मोदी जी अपने A1 मित्र की मदद करते रहेंगे और देश की संवैधानिक संस्थाएं तार-तार होती रहेंगी.

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि कैसे ऑफशोर फंडिंग से स्टॉक मैन्युपुलेशन होता था और राउंड ट्रिपिंग की जाती थी. हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि माधबी बुच का अडाणी ग्रुप से जुड़े ऑफशोर फंड में निवेश था. माधबी बुच ने SEBI चीफ बनने पर अपनी शेयर होल्डिंग अपने पति धवल बुच को ट्रांसफर कर दी. रिपोर्ट के मुताबिक माधबी बुच और धवल बुच ने 5 जून, 2015 को सिंगापुर में IPE प्लस फंड 1 के साथ खाता खोला था. ये IPE प्लस फंड 1, अडाणी समूह के एक डायरेक्टर ने IIFL के माध्यम से खोला था. IIFL की ओर से एक घोषणा में उनके इन्वेस्टमेंट सोर्स को सैलरी बताया गया है और उनकी कुल संपत्ति 10 मिलियन डॉलर आंकी गई.

कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया, "क्या अडाणी महाघोटाले की जांच इसलिए नहीं हो रही थी, क्योंकि जिसे जांच करनी थी, वो खुद इस मामले में शामिल थी. सुप्रीम कोर्ट बार-बार निवेश की जानकारी मांगता था, SEBI बार-बार आनाकानी करता था. SEBI ने तो कह दिया था कि हमें कुछ मिल ही नहीं रहा है. ये मिनिमम लेवल पर पारदर्शिता को तार-तार करता है और मैक्सिमम लेवल पर सबसे बड़ी 'आपराधिक साजिश' है.

उन्होंने कहा, "इस पूरे खुलासे ने SEBI चीफ, देश की सरकार और प्रधानमंत्री की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं. परम मित्र (गौतम अडाणी) को बचाने के लिए बड़ी साजिश रची गई है. यहां दाल में कुछ काला नहीं है, बल्कि पूरी दाल ही काली है. नाम SEBI, अडाणी, माधबी बुच और ब्लैकस्टोन का आ रहा है, लेकिन पता नहीं बीजेपी क्यों बचाव में आ गई है?

भाजपा का कांग्रेस पर पलटवार
वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस की मदद से वैश्विक ताकतें भारतीय बाजार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं. भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "एक बात स्पष्ट है कि हिंडनबर्ग द्वारा सेबी पर किए गए हमले में कांग्रेस गलत उद्देश्य और लक्ष्यों के साथ एक साझेदार है. इसका लक्ष्य दुनिया की सबसे मजबूत वित्तीय प्रणालियों में से एक को अस्थिर करना, बदनाम करना और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था यानी भारत में अराजकता पैदा करना है. इसमें कोई संदेह नहीं है."

उन्होंने आगे लिखा, "मैंने पूरी रिपोर्ट पढ़ी है. इसमें कोई ठोस सबूत नहीं है. यह कांग्रेस शैली में रचा गया झूठ है, जिसे कुछ तथ्यों के साथ जोड़ दिया गया है और जिसका मकसद बाजार नियामक को बदनाम करना और निवेशकों के लिए बाजार में अराजकता और नुकसान पैदा करना है, जिससे निवेशकों को नुकसान हो. वे बाजार में जारी तेजी को रोकना चाहते हैं."

क्या हैं हिंडनबर्ग के ताजा आरोप
हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी पर उसकी पहली रिपोर्ट के 18 महीने बाद सेबी ने अडाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है. हिंडनबर्ग ने कहा कि सेबी की वर्तमान अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति के पास अडाणी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी है. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया गया है कि दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति के पास छोटी-छोटी संपत्तियों के साथ एक बहुस्तरीय ऑफशोर फंड संरचना में हिस्सेदारी थी. हिंडनबर्ग ने इस बात पर जोर दिया है कि सेबी विनियमित करने के लिए जिम्मेदार हैं.

यह भी पढ़ें- सेबी प्रमुख माधबी बुच के पास अडाणी की ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी, इसलिए नहीं की कोई कार्रवाई: नई हिंडनबर्ग रिपोर्ट

नई दिल्ली: अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि बाजार नियामक सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी रखी है. इसमें गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने बड़ी मात्रा में पैसे निवेश किया है.

हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने मामले में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच की मांग की है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि SEBI ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पीएम नरेंद्र मोदी के परम मित्र अडाणी को हिंडनबर्ग के जनवरी 2023 के खुलासों में क्लीन चिट दी थी. आज उसी सेबी की मुखिया के तथाकथित वित्तीय रिश्ते उजागर हुए हैं.

उन्होंने आगे लिखा, मध्यम वर्ग से संबंधित छोटे और मध्यम निवेशकों, जो अपनी मेहनत की कमाई शेयर बाजार में निवेश करते हैं, उनको संरक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि वे SEBI में विश्वास करते हैं. जब तक इस महा-घोटाले में JPC जांच नहीं होगी, तब तक मोदी जी अपने A1 मित्र की मदद करते रहेंगे और देश की संवैधानिक संस्थाएं तार-तार होती रहेंगी.

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि कैसे ऑफशोर फंडिंग से स्टॉक मैन्युपुलेशन होता था और राउंड ट्रिपिंग की जाती थी. हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि माधबी बुच का अडाणी ग्रुप से जुड़े ऑफशोर फंड में निवेश था. माधबी बुच ने SEBI चीफ बनने पर अपनी शेयर होल्डिंग अपने पति धवल बुच को ट्रांसफर कर दी. रिपोर्ट के मुताबिक माधबी बुच और धवल बुच ने 5 जून, 2015 को सिंगापुर में IPE प्लस फंड 1 के साथ खाता खोला था. ये IPE प्लस फंड 1, अडाणी समूह के एक डायरेक्टर ने IIFL के माध्यम से खोला था. IIFL की ओर से एक घोषणा में उनके इन्वेस्टमेंट सोर्स को सैलरी बताया गया है और उनकी कुल संपत्ति 10 मिलियन डॉलर आंकी गई.

कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया, "क्या अडाणी महाघोटाले की जांच इसलिए नहीं हो रही थी, क्योंकि जिसे जांच करनी थी, वो खुद इस मामले में शामिल थी. सुप्रीम कोर्ट बार-बार निवेश की जानकारी मांगता था, SEBI बार-बार आनाकानी करता था. SEBI ने तो कह दिया था कि हमें कुछ मिल ही नहीं रहा है. ये मिनिमम लेवल पर पारदर्शिता को तार-तार करता है और मैक्सिमम लेवल पर सबसे बड़ी 'आपराधिक साजिश' है.

उन्होंने कहा, "इस पूरे खुलासे ने SEBI चीफ, देश की सरकार और प्रधानमंत्री की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं. परम मित्र (गौतम अडाणी) को बचाने के लिए बड़ी साजिश रची गई है. यहां दाल में कुछ काला नहीं है, बल्कि पूरी दाल ही काली है. नाम SEBI, अडाणी, माधबी बुच और ब्लैकस्टोन का आ रहा है, लेकिन पता नहीं बीजेपी क्यों बचाव में आ गई है?

भाजपा का कांग्रेस पर पलटवार
वहीं, भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस की मदद से वैश्विक ताकतें भारतीय बाजार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही हैं. भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "एक बात स्पष्ट है कि हिंडनबर्ग द्वारा सेबी पर किए गए हमले में कांग्रेस गलत उद्देश्य और लक्ष्यों के साथ एक साझेदार है. इसका लक्ष्य दुनिया की सबसे मजबूत वित्तीय प्रणालियों में से एक को अस्थिर करना, बदनाम करना और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था यानी भारत में अराजकता पैदा करना है. इसमें कोई संदेह नहीं है."

उन्होंने आगे लिखा, "मैंने पूरी रिपोर्ट पढ़ी है. इसमें कोई ठोस सबूत नहीं है. यह कांग्रेस शैली में रचा गया झूठ है, जिसे कुछ तथ्यों के साथ जोड़ दिया गया है और जिसका मकसद बाजार नियामक को बदनाम करना और निवेशकों के लिए बाजार में अराजकता और नुकसान पैदा करना है, जिससे निवेशकों को नुकसान हो. वे बाजार में जारी तेजी को रोकना चाहते हैं."

क्या हैं हिंडनबर्ग के ताजा आरोप
हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी पर उसकी पहली रिपोर्ट के 18 महीने बाद सेबी ने अडाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है. हिंडनबर्ग ने कहा कि सेबी की वर्तमान अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति के पास अडाणी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी है. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया गया है कि दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच और उनके पति के पास छोटी-छोटी संपत्तियों के साथ एक बहुस्तरीय ऑफशोर फंड संरचना में हिस्सेदारी थी. हिंडनबर्ग ने इस बात पर जोर दिया है कि सेबी विनियमित करने के लिए जिम्मेदार हैं.

यह भी पढ़ें- सेबी प्रमुख माधबी बुच के पास अडाणी की ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी, इसलिए नहीं की कोई कार्रवाई: नई हिंडनबर्ग रिपोर्ट

Last Updated : Aug 11, 2024, 6:52 PM IST
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