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"जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी", कांग्रेस को है पूरा विश्वास - Congress on jammu Kashmir Election - CONGRESS ON JAMMU KASHMIR ELECTION

Congress on jammu Kashmir Election: एआईसीसी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी सचिव मनोज यादव ने ईटीवी भारत से कहा, "तीन चरणों के मतदान के बाद हम कह सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. राहुल गांधी की मौजूदगी, पुरानी पार्टी का फिर से उठकर खड़ा होना और एनसी के साथ सीट बंटवारे के समझौते को इस आकलन के पीछे प्रमुख कारक माना जा रहा है.

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सोपोर में चुनावी जनसभा में राहुल गांधी (फाइल फोटो) (ETV Bharat)
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By Amit Agnihotri

Published : Oct 2, 2024, 7:43 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस ने विश्वास जताया कि जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी. पार्टी का कहना है कि, इसके पीछे का प्रमुख कारण कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति, देश की सबसे पुरानी पार्टी का पुनरुत्थान और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ सीट बंटवारे का समझौता है. जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों के लिए 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को चुनाव हुए थे. नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे. कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत पड़ेगी

एआईसीसी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी सचिव मनोज यादव ने ईटीवी भारत से कहा, "तीन चरणों के मतदान के बाद हम कह सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. मैं अभी संख्याओं के बारे में बात नहीं करना चाहूंगा, लेकिन गठबंधन को बड़े आराम से बहुमत मिलेगा."

उन्होंने कहा कि, कांग्रेस ने पहले और अंतिम चरण में अपनी अधिकांश सीटों पर चुनाव लड़ा. पार्टी मतदाताओं द्वारा दिखाए गए उत्साह से खुश है. मनोज यादव ने कहा कि, जम्मू कश्मीर के मतदाता एक दशक से अधिक के केंद्रीय शासन से तंग आ चुके थे. उन्होंने कहा कि, इन्हीं सब बातों को देखते हुए गठबंधन ने स्थानीय मुद्दों पर चुनाव का फोकस रखा. जम्मू कश्मीर कांग्रेस प्रभारी सचिव मनोज ने कहा कि, जम्मू के इलाकों में उनके तथाकथित गढ़ों में भाजपा के वोट कम हुए.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सीमावर्ती केंद्र शासित प्रदेश में कांग्रेस और गठबंधन को आगे बढ़ाने में तीन कारकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यादव ने कहा, "सबसे बड़ा कारण विपक्ष के नेता राहुल गांधी की उपस्थिति थी, जिनमें लोगों ने अपनी आवाज का प्रतिनिधि देखा, जिसे पिछले एक दशक में नहीं सुना गया था. राहुल केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के अधिकारों के लिए बोल रहे थे, जब बाकी सभी चुप हो गए थे. मतदाताओं ने इसे याद रखा और चुनावों के दौरान पॉजिटिव रिस्पांस दिया. दूसरा कारण कांग्रेस पार्टी का पुनरुत्थान था, जिसे अगस्त 2022 में अनुभवी गुलाम नबी आज़ाद के बाहर निकलने के बाद झटका लगा था. आजाद अपने साथ सभी वरिष्ठ नेताओं को ले गए थे.

मनोज यादव ने कहा कि, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के लिए फिर से उठकर खड़ा होना बहुत मुश्किल था, लेकिन हम ऐसा करने में सफल रहे. श्रीनगर में समाप्त हुई 'भारत जोड़ो यात्रा' ने निश्चित रूप से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद की. वास्तव में, इस बदलाव ने कांग्रेस को एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया और दूसरों को एहसास कराया कि कांग्रेस को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि, नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ सीट बंटवारे के समझौते को स्थानीय लोगों ने अच्छी तरह से स्वीकार किया, जो चाहते थे कि गठबंधन हो, लेकिन कांग्रेस जरूरत पड़ने पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार थी और उसने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवारों की पहचान कर ली थी.

यादव ने कहा, "हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार थे." एआईसीसी पदाधिकारी ने गुलाम नबी आजाद की डीपीएपी को खारिज कर दिया और लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद की अवामी इत्तेहाद पार्टी की संभावनाओं पर संदेह व्यक्त किया. कांग्रेस ने दावा किया कि, आजाद की पार्टी को कोई सीट नहीं मिलेगी क्योंकि, उनके वरिष्ठ नेताओं ने जनता के मूड को भांपते हुए स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ा. जहां तक शेख अब्दुल रशीद की पार्टी का सवाल है, कोई भी चुनाव लड़ सकता है, लेकिन मतदाताओं को इनकी भूमिका पर बहुत संदेह है. यादव ने कहा कि, 8 अक्टूबर को स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. एआईसीसी पदाधिकारी ने पीडीपी की भूमिका की सराहना करते हुए कहा, "उन्होंने संतुलित चुनाव लड़ा."

ये भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर चुनाव 2024: तीसरे चरण में 65.58 प्रतिशत मतदान, छंब में सबसे ज्यादा और सोपोर में सबसे कम वोटिंग

नई दिल्ली: कांग्रेस ने विश्वास जताया कि जम्मू-कश्मीर में इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी. पार्टी का कहना है कि, इसके पीछे का प्रमुख कारण कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उपस्थिति, देश की सबसे पुरानी पार्टी का पुनरुत्थान और नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ सीट बंटवारे का समझौता है. जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों के लिए 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को चुनाव हुए थे. नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे. कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत पड़ेगी

एआईसीसी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी सचिव मनोज यादव ने ईटीवी भारत से कहा, "तीन चरणों के मतदान के बाद हम कह सकते हैं कि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है. मैं अभी संख्याओं के बारे में बात नहीं करना चाहूंगा, लेकिन गठबंधन को बड़े आराम से बहुमत मिलेगा."

उन्होंने कहा कि, कांग्रेस ने पहले और अंतिम चरण में अपनी अधिकांश सीटों पर चुनाव लड़ा. पार्टी मतदाताओं द्वारा दिखाए गए उत्साह से खुश है. मनोज यादव ने कहा कि, जम्मू कश्मीर के मतदाता एक दशक से अधिक के केंद्रीय शासन से तंग आ चुके थे. उन्होंने कहा कि, इन्हीं सब बातों को देखते हुए गठबंधन ने स्थानीय मुद्दों पर चुनाव का फोकस रखा. जम्मू कश्मीर कांग्रेस प्रभारी सचिव मनोज ने कहा कि, जम्मू के इलाकों में उनके तथाकथित गढ़ों में भाजपा के वोट कम हुए.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सीमावर्ती केंद्र शासित प्रदेश में कांग्रेस और गठबंधन को आगे बढ़ाने में तीन कारकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यादव ने कहा, "सबसे बड़ा कारण विपक्ष के नेता राहुल गांधी की उपस्थिति थी, जिनमें लोगों ने अपनी आवाज का प्रतिनिधि देखा, जिसे पिछले एक दशक में नहीं सुना गया था. राहुल केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के अधिकारों के लिए बोल रहे थे, जब बाकी सभी चुप हो गए थे. मतदाताओं ने इसे याद रखा और चुनावों के दौरान पॉजिटिव रिस्पांस दिया. दूसरा कारण कांग्रेस पार्टी का पुनरुत्थान था, जिसे अगस्त 2022 में अनुभवी गुलाम नबी आज़ाद के बाहर निकलने के बाद झटका लगा था. आजाद अपने साथ सभी वरिष्ठ नेताओं को ले गए थे.

मनोज यादव ने कहा कि, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के लिए फिर से उठकर खड़ा होना बहुत मुश्किल था, लेकिन हम ऐसा करने में सफल रहे. श्रीनगर में समाप्त हुई 'भारत जोड़ो यात्रा' ने निश्चित रूप से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद की. वास्तव में, इस बदलाव ने कांग्रेस को एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया और दूसरों को एहसास कराया कि कांग्रेस को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि, नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ सीट बंटवारे के समझौते को स्थानीय लोगों ने अच्छी तरह से स्वीकार किया, जो चाहते थे कि गठबंधन हो, लेकिन कांग्रेस जरूरत पड़ने पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार थी और उसने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवारों की पहचान कर ली थी.

यादव ने कहा, "हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार थे." एआईसीसी पदाधिकारी ने गुलाम नबी आजाद की डीपीएपी को खारिज कर दिया और लोकसभा सदस्य शेख अब्दुल रशीद की अवामी इत्तेहाद पार्टी की संभावनाओं पर संदेह व्यक्त किया. कांग्रेस ने दावा किया कि, आजाद की पार्टी को कोई सीट नहीं मिलेगी क्योंकि, उनके वरिष्ठ नेताओं ने जनता के मूड को भांपते हुए स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में चुनाव लड़ा. जहां तक शेख अब्दुल रशीद की पार्टी का सवाल है, कोई भी चुनाव लड़ सकता है, लेकिन मतदाताओं को इनकी भूमिका पर बहुत संदेह है. यादव ने कहा कि, 8 अक्टूबर को स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. एआईसीसी पदाधिकारी ने पीडीपी की भूमिका की सराहना करते हुए कहा, "उन्होंने संतुलित चुनाव लड़ा."

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