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राहुल गांधी का साथ देने बनारस क्यों नहीं आईं प्रियंका, कहीं इन वजहों ने तो नहीं कर दिया दूर!

Congress Bharat Jodo Nyay Yatra: प्रियंका ने तबीयत खराब होने का हवाला देकर राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से दूरी बना ली है. राजनीतिक विश्लेषकों से जानिए क्या है असल वजह.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 17, 2024, 2:12 PM IST

वाराणसी: बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. पीएम मोदी का धुर विरोधी कांग्रेस कही जाती है. ऐसे में उनकी इस सीट पर कांग्रेस अपना असर दिखाना चाहेगी. साल 2019 में भी कांग्रेस ने यही कोशिश की थी. तब राहुल और प्रियंका दोनों बनारस में थे. मगर इस बार राहुल गांधी अकेले पड़ गए हैं.

प्रियंका ने तबीयत खराब होने का हवाला देकर राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से दूरी बना ली है. ऐसे में इसे राजनीतिक फैसला भी कहा जा रहा है कि बनारस से प्रियंका दूर रहना चाहती हैं. बता दें कि वाराणसी इस समय धर्म का ही नहीं बल्कि राजनीति का भी केंद्र बना हुआ है.

80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के इस शहर में राजनीतिक ऊर्जा बसती है. वजह है कि बनारस से पूर्वांचल को साधना काफी आसान माना जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा अगर किसी के लिए देखने को मिलता है तो वो है भारतीय जनता पार्टी.

बनारस की सभी विधानसभाओं, मेयर और सांसद की कुर्सी भाजपा के ही पास है. ऐसे ही आस-पास के सटे हुए जिलों में लगभग 18-20 का ही अंतर है. इस बार जब 2024 का लोकसभा चुनाव आ रहा है. तब फिर कांग्रेस अपनी पूरी ताकत से बनारस में अपना असर दिखाना चाहेगी.

राहुल के कंधों पर इसकी जिम्मेदारी है. मगर वे अपनी बहन के साथ इस बार नहीं पहुंचे हैं. बनारस के राजनीतिक विश्लेषकों की प्रियंका के न आने पर अपनी अलग राय है. राजनीतिक विश्लेषक एके लारी कहते हैं कि, साल 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब वे बनारस आई थीं तो उनका कार्यक्रम बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन का बना था. उनके इस कार्यक्रम के बनते ही मंदिर में जाने का विरोध शुरू हो गया था.

संत समाज ने भी काफी नाराजगी जताई थी. ऐसे में वे इस बार इन सभी बातों से बचना चाहती होंगी. दूसरी बात ये है कि बनारस में इस समय ज्ञानवापी को लेकर माहौल गर्म बना हुआ है. जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी इसे खुले मंच से मंदिर बोल रही है.

वहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहा है. राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि राम मंदिर मामले में और फिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन कांग्रेस ने अपने आप को हमेशा से दूर रखा है. ऐसे में उनकी एक खास छवि जनता के बीच बनी हुई है.

ऐसे में जब भी राहुल गांधी या फिर प्रियंका गांधी मंदिर में जाते हैं तो उनका विरोध किया जाता है. जैसा कि बनारस में साल 2019 में देखने को भी मिला था. ज्ञानवापी और राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में न शामिल होने को लेकर लोगों के मन में कहीं न कहीं सवाल बने हुए हैं.

ऐसे में किसी भी विवाद की स्थिति से बचने के लिए भी प्रियंका गांधी अपनी बनारस की यात्रा को रद कर दी होंगी. इस मामले में उनके धर्म को लेकर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषक आरती पांडेय का कहना है कि प्रियंका के बनारस न आने की वजह रायबरेली सीट हो सकती है. क्योंकि उनकी मां और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी उस सीट को छोड़ रही हैं और राज्य सभा जाने की तैयारी में हैं.

ऐसे में जब वह सीट खाली हो जाएगी तो वहां पर गांधी परिवार का ही कोई चेहरा रहना चाहिेए होगा. रायबरेली सीट गांधी परिवार की सीट मानी जाती है. ऐसे में सोनिया के बाद प्रियंका गांधी को वहां से सांसद का चुनाव लड़ाने की चर्चा हो रही है.

ऐसे में भदोही के बॉर्डर पर प्रियंका गांधी इस यात्रा में शामिल हो सकती हैं. उन्हें इस यात्रा के साथ ही सांसद के चेहरे के रूप में लॉन्च किया जा सकता है. इसलिए भी वह बनारस से दूरी बनाकर चल रही होंगी.

ये भी पढ़ेंः भारत जोड़ो न्याय यात्रा; बनारस में राहुल गांधी बोले, ये देश नफरत का नहीं है, पर BJP वाले इसे फैला रहे

वाराणसी: बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. पीएम मोदी का धुर विरोधी कांग्रेस कही जाती है. ऐसे में उनकी इस सीट पर कांग्रेस अपना असर दिखाना चाहेगी. साल 2019 में भी कांग्रेस ने यही कोशिश की थी. तब राहुल और प्रियंका दोनों बनारस में थे. मगर इस बार राहुल गांधी अकेले पड़ गए हैं.

प्रियंका ने तबीयत खराब होने का हवाला देकर राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से दूरी बना ली है. ऐसे में इसे राजनीतिक फैसला भी कहा जा रहा है कि बनारस से प्रियंका दूर रहना चाहती हैं. बता दें कि वाराणसी इस समय धर्म का ही नहीं बल्कि राजनीति का भी केंद्र बना हुआ है.

80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के इस शहर में राजनीतिक ऊर्जा बसती है. वजह है कि बनारस से पूर्वांचल को साधना काफी आसान माना जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा अगर किसी के लिए देखने को मिलता है तो वो है भारतीय जनता पार्टी.

बनारस की सभी विधानसभाओं, मेयर और सांसद की कुर्सी भाजपा के ही पास है. ऐसे ही आस-पास के सटे हुए जिलों में लगभग 18-20 का ही अंतर है. इस बार जब 2024 का लोकसभा चुनाव आ रहा है. तब फिर कांग्रेस अपनी पूरी ताकत से बनारस में अपना असर दिखाना चाहेगी.

राहुल के कंधों पर इसकी जिम्मेदारी है. मगर वे अपनी बहन के साथ इस बार नहीं पहुंचे हैं. बनारस के राजनीतिक विश्लेषकों की प्रियंका के न आने पर अपनी अलग राय है. राजनीतिक विश्लेषक एके लारी कहते हैं कि, साल 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब वे बनारस आई थीं तो उनका कार्यक्रम बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन का बना था. उनके इस कार्यक्रम के बनते ही मंदिर में जाने का विरोध शुरू हो गया था.

संत समाज ने भी काफी नाराजगी जताई थी. ऐसे में वे इस बार इन सभी बातों से बचना चाहती होंगी. दूसरी बात ये है कि बनारस में इस समय ज्ञानवापी को लेकर माहौल गर्म बना हुआ है. जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी इसे खुले मंच से मंदिर बोल रही है.

वहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहा है. राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि राम मंदिर मामले में और फिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन कांग्रेस ने अपने आप को हमेशा से दूर रखा है. ऐसे में उनकी एक खास छवि जनता के बीच बनी हुई है.

ऐसे में जब भी राहुल गांधी या फिर प्रियंका गांधी मंदिर में जाते हैं तो उनका विरोध किया जाता है. जैसा कि बनारस में साल 2019 में देखने को भी मिला था. ज्ञानवापी और राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में न शामिल होने को लेकर लोगों के मन में कहीं न कहीं सवाल बने हुए हैं.

ऐसे में किसी भी विवाद की स्थिति से बचने के लिए भी प्रियंका गांधी अपनी बनारस की यात्रा को रद कर दी होंगी. इस मामले में उनके धर्म को लेकर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषक आरती पांडेय का कहना है कि प्रियंका के बनारस न आने की वजह रायबरेली सीट हो सकती है. क्योंकि उनकी मां और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी उस सीट को छोड़ रही हैं और राज्य सभा जाने की तैयारी में हैं.

ऐसे में जब वह सीट खाली हो जाएगी तो वहां पर गांधी परिवार का ही कोई चेहरा रहना चाहिेए होगा. रायबरेली सीट गांधी परिवार की सीट मानी जाती है. ऐसे में सोनिया के बाद प्रियंका गांधी को वहां से सांसद का चुनाव लड़ाने की चर्चा हो रही है.

ऐसे में भदोही के बॉर्डर पर प्रियंका गांधी इस यात्रा में शामिल हो सकती हैं. उन्हें इस यात्रा के साथ ही सांसद के चेहरे के रूप में लॉन्च किया जा सकता है. इसलिए भी वह बनारस से दूरी बनाकर चल रही होंगी.

ये भी पढ़ेंः भारत जोड़ो न्याय यात्रा; बनारस में राहुल गांधी बोले, ये देश नफरत का नहीं है, पर BJP वाले इसे फैला रहे

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